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रायपुर : दिनांक03 जुलाई 2019। धान के समर्थन मूल्य में सिर्फ 85 रू. प्रति क्विंटल की वृद्धि को अपर्याप्त ठहराते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा बतायें कि लोकसभा चुनावों में किसानों की आय दुगुनी करने का वादा भाजपा कब निभायेगा।प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि कांग्रेस की सरकार मोदी सरकार के किसान विरोधी रवैये से अप्रभावित रहेगी। किसानों को भूपेश बघेल की सरकार 2500 रू. प्रति कि्ंवटल देना जारी रहेगी। पिछले साल ही केन्द्र सरकार ने कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ने धान का लागत मूल्य प्रति कि्ंवटल 1484 रू. तय किया था, जिसमें बीज, खाद, मजदूरी सहित सभी कृषि आदानो की लागत को जोड़ा गया है। भाजपा ने बार-बार किसानों से स्वामिनाथन कमेटी के सिफारिशों को लागू करने की बात कही है लेकिन इसे लागू करने का साहस और किसान समर्थक कम कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने छत्तीसगढ़ में कर दिखाया है। मोदी सरकार ने धान के लागत मूल्य पर 50 प्रतिशत अधिक दाम देने का वादा क्यों नहीं निभाया? अगर भाजपा वाकई में किसान हितेषी होती तो 2014 के लोकसभा चुनाव में स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का वादा निभाती। किसानों को धान के लागत मूल्य पर 50 प्रतिशत अधिक दाम देने का वादा नहीं निभाने का कारण मोदी सरकार और भाजपा किसानों को, प्रदेश और देश की जनता को बतायें? किसानों को उनकी फसल की लागत मूल्य पर 50 प्रतिशत लाभ देने का साहस दिखाएं जैसा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार भूपेश बघेल की सरकार कर रही है। धान का 300 रू. बोनस 5 साल देने का संकल्प तक तो जिस भाजपा ने नहीं निभाया, उससे किसानों के भले की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

किसान के छले जाने पर भाजपा जले पर नमक तो न छिड़के ,

शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है झूठ की बुनियाद पर व ‘लागत+50 प्रतिशत’ मुनाफा की जुमलावाणी कर मोदी जी ने देश के अन्नदाता किसान का फिर से समर्थन तो हासिल कर लिया, पर पिछले 5 सालों से फसलों पर ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ की के वादे कभी खरे नहीं उतरे। मोदी सरकार ने एक बार फिर किसानों को ‘राजनैतिक लॉलीपॉप’ दिखाकर नए जुमले गढे और फिर से सफलता प्राप्त करने किसानों को फिर से ठगना आरंभ कर दिया है। सच तो यह है कि ‘मोदीकाल’ में किसान ‘काल का ग्रास’ बनने को मजबूर हो गया है। न समर्थन मूल्य मिला, न मेहनत की कीमत। न कर्ज से मुक्ति मिली, न किसान के अथक परिश्रम का सम्मान। न खाद, कीटनाशक दवाई, बिजली, डीज़ल की कीमतें कम हुईं और न ही हुआ किसान को फसल के सही बाजार भावों का इंतजाम।

अन्नदाता किसान का पेट केवल ‘जुमलों’ और ‘कोरे झूठ’ से भर सकता। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने पूछा है कि क्या झूठी वाहवाही लूटने, अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनने, ऊँट के मुंह में जीरा डाल नगाड़े बजाने व समाचारों की सुर्खियां बटोरने से आगे बढ़कर मोदी जी देश को और किसानों को जवाब देंगे?

शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि आज घोषित खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य ‘लागत + 50 प्रतिशत’ की शर्त को कहीं भी पूरा नहीं करता। यह किसान के साथ धोखा है।

अगर पिछले चार वर्षों में ‘लागत + 50 प्रतिशत’ मुनाफा सही मायनों में मोदी सरकार ने किसान को दिया होता, तो लगभग 200000 करोड़ रुपया किसान की जेब में उसकी मेहनत की कमाई के तौर पर जाता। परंतु मोदी सरकार यह करना भूल गई।
मोदी सरकार ने जानबूझकर ‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग’ की चालू साल 2018-19 की सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं किया। आज मोदी मंत्रीमंडल ने खरीफ फसलों के मूल्यों की घोषणा कृषि मूल्य आयोग द्वारा पिछले साल, यानि 2017-18 के लागत मूल्य आंकलन को भी ध्यान में रखकर नहीं की है, कृषि मूल्य आयोग के मौज़ूदा साल यानि 2018-19 के लागत मूल्य आंकलन के आधार पर तो किसान के साथ धोखाधड़ी की ही है।
20 जून, 2018 को नमो ऐप पर किसानों से बातचीत करते हुए खुद मोदी जी ने ‘लागत + 50 प्रतिशत’ का आंकलन ^C2* के आधार पर देने का वादा किया (http://www.hindkisan.com/video/pm-modis-interaction-with-farmers-via-namo-app/) स्पष्ट तौर पर कहा कि फसल की लागत मूल्य में किसान के मज़दूरी व परिश्रम + बीज + खाद + मशीन + सिंचाई + ज़मीन का किराया आदि शामिल किया जाएगा। फिर वह वायदा आज फिर से जुमला बन गया।
मोदी सरकार किसानों की मसीहाई का नाटक बंद करें। भाजपा की अटल बिहारी बाजपेई सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 6 वर्षो में 490 रू. से 550 रू. किया था। (मात्र 60 रू. की वृद्धि), अब मोदी सरकार ने चार वर्षो में मात्र 200 रु.की थी और पिछले साल 200 रू. की वृद्धि की थी। इस वर्ष सिर्फ 85 रू. प्रति क्विंटल की वृद्धि किसानों के साथ भद्दा मजाक है। भाजपा की सरकारों ने धान का समर्थन मूल्य 11 वर्षो में कुल 460 रू. की वृद्धि की है, जो कि स्पष्ट रूप से भाजपा के किसान विरोधी धान विरोधी रवैये को उजागर करती है। जबकि कांग्रेस ने 10 वर्षो में 890 रू. की वृद्धि की है। यूपीए 1 में धान का समर्थन मूल्य 5 वर्षों में 2004 से 2009 तक 450 रूपयें बढ़ाया गया। (550 रू. प्रति कि्ंवटल से 900 रू. प्रति कि्ंवटल) और यूपीए 2 में 2009 से 2014 तक 5 वर्षों में धान का समर्थन मूल्य 440 रूपयें बढ़ाया गया।

HNS24 NEWS

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