रबी सीजन में भी इस बार खेतों में हरियाली… नहरों की पक्की लाइनिंग से 799 हेक्टेयर में सिंचाई व्यवस्था की पुनर्स्थापना
HNS24 NEWS February 18, 2021 0 COMMENTSरायपुर. 18 फरवरी 2021. मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से हुए नहरों की पक्की लाइनिंग ने कई गांवों में सिंचाई व्यवस्था को पुनर्स्थापित कर दिया है। बीजापुर जिले में नौ लघु जलाशयों में निर्मित पक्के नहरों से अंतिम छोर में स्थित खेतों तक समय पर सिंचाई के लिए पानी पहुंचने से किसान गदगद हैं। खरीफ मौसम के दौरान पक्की नहरों से खेतों तक पानी पहुंचने से इस साल किसानों ने अच्छी पैदावार ली है। मनरेगा और डीएमएफ (जिला खनिज न्यास निधि) के अभिसरण से वर्ष 2019-20 में जलाशयों की सिंचाई परियोजनाओं को पुनर्स्थापित करने का एक महती काम शुरू किया गया था। इसके सकारात्मक परिणाम अब जमीनी स्तर पर नजर आने लगे हैं। इस काम से बीजापुर जिले के 799 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई व्यवस्था की पुनर्स्थापना हुई है।
नहरों की पक्की लाइनिंग से जहां एक ओर जिले का सिंचित रकबा बढ़ा है, वहीं दूसरी ओर यह किसानों की आर्थिक उन्नति का रास्ता खोल रहा है। मनरेगा अभिसरण से बीजापुर के भैरमगढ़ विकासखण्ड के कोडोली ग्राम पंचायत में भी नहर लाइनिंग का कार्य कराया गया है। कोडोली जलाशय की नहरों (तालाब क्रमांक-1 व 2 से) में 1800 मीटर लम्बाई की सी.सी. लाइनिंग कर सिंचाई व्यवस्था पुनर्स्थापित की गई है। महज एक साल में ही बीजापुर जिला प्रशासन की इस पहल के सुखद परिणाम देखने को मिल रहे हैं। यह परियोजना कोडोली के नरहर नेताम जैसे किसानों के जीवन में खुशहाली लेकर आई है जिनकी सात एकड़ कृषि भूमि इस नहर से लगी हुई है।
नरहर नेताम का घर-आंगन आज बासमती चावल की खुशबू से महक रहा है। नहर लाइनिंग के बाद मिल रही सिंचाई सुविधा को देखते हुए उन्होंने इस साल खरीफ मौसम में अपने चार एकड़ खेतों में बासमती और तीन एकड़ में महेश्वरी धान की बुआई की थी। खेतों तक सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी पहुंचने से इस बार पिछले वर्षों की तुलना में अच्छा धान हुआ है। नेताम कहते हैं कि नहर लाइनिंग का यह काम उनके जैसे किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। पहले यह कच्ची नहर थी। जब भी किसी किसान को पानी की जरूरत होती थी, तो वह नहर के किनारों को काटकर अपने खेतों की सिंचाई कर लेता था। इसके कारण जलाशय के नजदीक के ही कुछ खेतों को पानी मिल पाता था। वहीं नहर कच्ची होने के कारण उसमें गाद भरने के साथ-साथ झाड़ियां भी उग आई थीं। इन सब वजहों से आखिरी गांव तक नहर का पानी नहीं पहुँच पाता था।
नरहर नेताम बताते हैं कि रबी की फसल तो दूर, खरीफ फसल में भी नहर से सिंचाई को लेकर किसानों के बीच झगड़े की स्थिति निर्मित हो जाती थी। पर अब नहरों की पक्की लाइनिंग हो जाने से यह समस्या दूर हो गई है। अब खरीफ फसल के बाद किसान दूसरी फसल ले रहे हैं। नेताम ने भी तीन साल बाद अपने एक एकड़ खेत में भुट्टा, आधा एकड़ में चना व सरसों तथा आधा एकड़ में खरबूजा लगाया है। मनरेगा और डीएमएफ के अभिसरण से विकसित हुई सिंचाई सुविधा के फलस्वरूप आने वाले कुछ महीनों में भैरमगढ़, कोडोली, मिरतुर और नेलसनार के बाजारों में इनके उत्पाद नजर आएंगे।
नेताम के परिवार को मनरेगा से हुए इस नहर लाइनिंग के काम में 185 दिनों का सीधा रोजगार भी मिला है। उनके परिवार को वर्ष 2019-20 में 80 दिनों के रोजगार के एवज में 14 हजार रूपए से अधिक की मजदूरी मिली थी। वहीं चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में उनके परिवार को 105 मानव दिवस काम के बदले करीब 20 हजार रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया है।
RELATED ARTICLES
R.O,No: 13028/174
R.O,No: 13028/174
R.O,No: 13028/174
Recent Posts
- कृषि अनुसांधान केन्द्र किसानों को वैज्ञानिक पद्धतियों से जोड़ते हुए उनकी आय बढ़ाने में मदद करेगा-उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा
- छत्तीसगढ़ में शुरू होगी ‘‘मुख्यमंत्री गुड गवर्नेंस फेलो योजना’’ *गुड गवर्नेंस रीजनल कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री श्री साय ने की घोषणा* *छत्तीसगढ़ के मूलनिवासी छात्रों के लिए पब्लिक पॉलिसी एण्ड गवर्नेस में मास्टर पाठ्यक्रम होगा शुरू
- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय 23 नवम्बर को बिलासपुर में 143 करोड़ की लागत के विकास कार्यों का करेंगे लोकार्पण
- सभी जनप्रतिनिधियों और किसानों को सहकारिता से जोड़ा जाए – केदार कश्यप
- मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ सीमेंट ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित दीपावली मिलन समारोह में हुए शामिल