रायपुर। छत्तीसगढ़ में गोबर खरीदी के बाद अब गौ-मूत्र की खरीदी के संबंध में राज्य सरकार गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है। गौ-मूत्र खरीदी के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए टेक्निकल कमेटी के गठन के निर्देश दिए। कमेटी में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और कामधेनु विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाएगा। यह कमेटी गौ-मूत्र के संग्रहण, गौ-मूत्र की गुणवत्ता की टेस्टिंग, गौ-मूत्र से तैयार किए जाने वाले उत्पादों के बारे में अपनी अनुशंसा देगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में बुधवार को यहां उनके निवास कार्यालय में आयोजित बैठक में गौ-मूत्र की खरीदी के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने गौठानों में विकसित किए जाने वाले महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना के लिए विभिन्न जिलों में स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कच्चे माल और उनसे तैयार किए जाने वाले उत्पादों के लिए पोटेंशियल मैपिंग का कार्य 15 दिनों में पूर्ण करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए । मुख्यमंत्री ने कहा,हर विकासखण्ड में चार-चार रूरल इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करने की कार्ययोजना तैयार की जाए, इसमें स्थानीय स्तर पर कच्चे माल की उपलब्धता का ध्यान रखा जाए। मुख्यमंत्री ने रूरल इंडस्ट्रियल पार्काें में बिजली, पानी और वर्किंग स्पेस विकसित करने, इन पार्काें में महिला स्व-सहायता समूहों और ग्रामीणों को विभिन्न गतिविधियों में प्रशिक्षण देने के लिए ट्रेनिंग हॉल की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा,रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में तैयार किए जाने वाले उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के साथ उनकी मार्केटिंग की भी पुख्ता व्यवस्था की जाए। रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में मांग के अनुसार उत्पाद तैयार किए जाने चाहिए। ताकि उत्पादों की खपत आसानी से हो सके।
वनोपज और कोसा प्रसंस्करण केंद्र स्थापित होंगे
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बीजापुर, दंतेवाड़ा और कोण्डागांव जिले में जहां महुआ, इमली, तिखुर के साथ विभिन्न लघु वनोपजें होती है। वहां इनके प्रसंस्करण की इकाईयां स्थापित की जाएं। इसी तरह कोरबा से सरगुजा तक के गौठानों में वनौषधियों के प्रसंस्करण के लिए, कोरबा, जांजगीर-चांपा, बस्तर में कोसे का काम होता है। यहां कोसे के कपड़े तैयार करने की इकाइयां स्थापित की जाएं।
शहरों में वर्मी कम्पोस्ट उपलब्ध कराएं
मुख्यमंत्री ने गौठानों में संचालित विभिन्न गतिविधियों की समीक्षा के दौरान कहा,अधिकारी गौठानों का भ्रमण कर वहां संचालित गतिविधियों का निरीक्षण करें और उनका सुचारू संचालन सुनिश्चित करें। इसके साथ वर्मी कम्पोस्ट से होने वाले लाभों की जानकारी देने के लिए गांवों में वॉल राइटिंग कराने और हैण्डबिल वितरित करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने गौठानों में तैयार की जा रही वर्मी कम्पोस्ट विक्रय के लिए शहरों में भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
गौ-मूत्र में यूरिया, मिनिरल और इंजाइम्स भी होते हैं
बैठक में बताया गया कि गौ-मूत्र से बॉयो फर्टिलाईजर और बॉयो इनसेक्टिसाइडस तैयार किए जाते हैं। गौ-मूत्र में यूरिया सहित अनेक मिनिरल और इंजाइम्स भी होते हैं। फर्टिलाइजर के रूप में गौ-मूत्र का उपयोग करने से सूक्ष्म पोषक तत्व नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का अवशोषण बढ़ता है। पौधों की ऊंचाई और जड़ में अच्छी वृद्धि होती है। मिट्टी में लाभकारी जीवाणु बढ़ते हैं और गौ-मूत्र में पाये जाने वाला यूरिया बहुत से कीटों और बीमारियों को नियंत्रित करता है। बैठक में यह भी बताया कि प्रदेश में गौ-वंशीय और भैस वंशीय पशुओं की संख्या 111 लाख से अधिक है। प्रति पशु औसतन प्रतिदिन 7 लीटर गौ-मूत्र विसर्जित करना है।
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