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रायपुर : दिनांक 10अगस्त 2019 को आज
गणेश विनायक ऑय हॉस्पिटल के डायरेक्टर  डॉ. चारुदत्त कलमकार  ने बताया कि  अनचाहे आँखों के तिरछेपन का  इलाज अब छ ग में भी सम्भव है।  विनायक ऑय हॉस्पिटल के डाक्टरों ने यह सम्भव कर दिखाया है।

पिछले कई वर्षो में नेत्र चिकित्स्य क्षेत्र में विश्वसनीयता और उच्तम तकनीक से अपना नाम सफलता के उचाई पर पहुंचाकर गणेश विनायक ऑय हॉस्पिटल ने हाल ही में एक और बेहतरीन कार्य करा ।रजंदगाऊं निवासी २० वर्षीय तरुणा साहू , कोरबा निवासी १८ वर्षीय गिरजा कुमारी व बेमेतरा निवासी १९ वर्षीय संध्या राजपूत जो इस जन्म से भेंगेपन का शिकार थे वे सामाजिक अवहेलना झेल रहे थे, उन्हें गणेश विनायक ऑय हॉस्पिटल ने सफलतापूर्वक ऑपरेशन करके इस अवसाद से छुटकारा दिलाया है। प्रदेशवासियों को जन्मजात तिरछेपन से निजात पाने के लिए अब कहीं भी शहर से बहार जाने के आवशकता नहीं पड़ेगे । अब किफायती दामों में ये सुविधा का लाभ लोग आसानी से उठा सकेंगे। विख्यात नेत्र सर्जन व गणेश विनायक ऑय हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ चारुदत्त कलमकार ने इसकी जानकारी प्रेस वार्ता में देते हुए बताया की “जब दोनों आँखें एक साथ मिलकर एक ही लक्ष्या पर ध्यान केंद्रित करने में असक्षम हो जाते हैं तो ऐसे स्थिति को भेंगापन कहते हैं । जिन लोगों को ये समस्या होते है उनके आँखें अलग अलग दिशा में देखते है व अलग अलग वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करते है. स्कॉइन्ट(Squint)जिसे आँखों का तिरछापन या भेंगापन भी कहा जाता है जिससे आँखों कि मांसपेशियां जो कि आँखों कि घुमाव को नियंत्रित करती उनके संतुलन में कमी आ जाती है . आँखों का तिरछापन बच्चो में और बड़ो में दोनों ही में हो सकता है.

“तिरछेपन के निम्नलिखित कारण है- पैदायशी तौर पर जिसमे बच्चा तिरछेपन के साथ ही पैदा होता है , अनुवांशिक जिसमे तिरछापन परिवार में पिढी दर पिढी चला आ रहा हो, दूर कि या पास कि नजर की कमी – जिसमे आँखों को पर्याप्त नंबर न मिलने कि वजह से तिरछेपन में रूपांतरण होता है , मांसपेशियों कि कमजोरी – जिसमे आँखों कि एक से अधिक मासपेशी ठीक से कम नहीं करती व दिमाग में सूजन भी तिरछेपन के लिए कारणीभूत हो सकता है .” ऐसा डॉ कलमकार ने आगे बताया। जाने मने नेत्र सर्जन व श्री गणेश विनायक ऑय हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर सुनील मल्ल ने कहा की “तिरछेपन के लक्षण में -एक या दोनो आँखों को अलग – अलग दिशाओ में घूम जाना , एक या दोनो आँखों कि दृष्टि का कम होना ,एक से ज्यादा आकृति का दिखना है ।तिरछेपन का इलाज उसके प्रकार के अनुसार बदलता है जैसे दृष्टि को ठीक करने वाले नंबर इस्तेमाल करने से तिरछापन ठीक होता है और ओक्लुशन पेंचिंग – अच्छी आँख पर पट्टी लगाने से कमजोर आँख देखने के लिए प्रोत्साहित होती है, जो चिकित्सक कि देखरेख में किया जाता है. यदि इस इलाज से भी तिरछापन का इलाज नहीं होता है तो सर्जरी कर तिरछापन को ठीक किया जा सकता है।”
“अगर जरुरत हो तो सर्जरी जन्म के कुछ ही महीनो के भीतर कि जा सकती है . वयस्क मरीज़ में भी सर्जरी के माध्यम से तिरछेपन का इलाज पूरी तरह संभव है . सामान्यतः सभी बच्चो कि आँख कि जाच उनके चौथी वर्षगाठ के पूर्व करानी चाहिये`”डॉ चारुदत्त कलमकार ने ये जानकारी साझा करी।
कोरबा निवासी मरीज गिरजा कुमारी ने कहा ” हम नहीं जानते थे की ये सर्जरी जन्म के कुछ समय बाद ही की जा सकते है। यदि पता होता तो समाज के हीं दृष्टि का सामना नहीं करना पड़ता । प्रदेश में ये सुविधा होने से हमे कहीं जाने के जरुरत नहीं पड़े । किफायती दरों में  गणेश विनायक ऑय हॉस्पिटल ने इस तिरछेपन का इलाज संभव कर दिखाया ।
गणेश विनायक आई हॉस्पिटल के बारे में
पिछले चार वर्षों से देश की रोकी जा सकने वाली दृष्टिहीनता की समस्या से जूझ रहे श्री गणेश विनायक आई हॉस्पिटल ने पिछले तीन वर्षों में 1 लाख से अधिक मोतियाबिंद सर्जरी की हैं। यह 50 बेडेड अस्पताल नवीनतम उपकरणों और नई तकनीकों से सुसज्जित है। धमतरी रोड, रायपुर के सामने स्थित, डॉ. चारुदत्त कलामकर (एम्स), डॉ. अनिल गुप्ता (शंकर नेत्रालय), डॉ. विनय जायसवाल, और डॉ. सुनील मॉल (एम्स) के मार्गदर्शन में यह सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल है। उपचार की सस्ती कीमत पर एक छत के नीचे अंतरराष्ट्रीय मानक व्यापक नेत्र देखभाल सुविधा प्रदान करने के लिए सेट किया गया है जो आम लोगों की पहुंच के भीतर है।

HNS24 NEWS

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