मुख्यमंत्री ने जनपद झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए हादसे का लिया संज्ञान, पीएम मोदी ने झांसी मेडिकल हादसे में मृत बच्चों के परिजनों के लिए की सहायता की घोषणा
HNS24 NEWS November 16, 2024 0 COMMENTSलखनऊ: 16 नवंबर , 2024,मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनपद झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए हादसे का संज्ञान लिया। मुख्यमंत्री ने मृतक बच्चों के शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।मुख्यमंत्री ने घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाकर जिला प्रशासन के अधिकारियों को उनके समुचित उपचार के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की भी कामना की है।मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन के अधिकारियों और फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को मौके पर पहुंचकर राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए।
झांसी मेडिकल कालेज में लगी आग, 10 बच्चों की मौत: एनआईसीयू में भर्ती थे, फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ियां मौके पर.झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शिशु वार्ड (एसएनसीयू) में शुक्रवार रात भीषण आग लग गई. हादसे में 10 नवजात बच्चों की जलकर मौत हो गई. उनके शव निकाले जा चुके हैं. मौके पर दमकल की 6 गाड़ियां मौजूद हैं. आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है.हादसा रात साढ़े बजे.
सीएम योगी ने झांसी में एनआईसीयू में हुए हादसे का संज्ञान लिया. राहत कार्य हेतु अधिकारियों एवं चिकित्सकों को तत्काल मौके पर जाने के निर्देश दिए.
CM योगी के निर्देश पर उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक एवं प्रमुख सचिव स्वास्थ्य झाँसी रवाना हुए.
- CM योगी द्वारा झांसी कमिश्नर एवं DIG द्वारा घटना/ हादसे की जाँच कर 12 घंटे के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में हुई दुर्घटना पर गहरा दुःख जताया है। - ● शुक्रवार देर रात घटना की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री ने रातों-रात उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को मौके पर भेजा।
- ● मुख्यमंत्री जी पूरी रात घटनास्थल से पल-पल की जानकारी लेते रहे। टीवी पर भी नजर बनाए रखी।
- ● मुख्यमंत्री के निर्देश पर घटना में असमय काल कवलित नवजात बच्चों के माता-पिता को 05-05 लाख रुपये तथा घायलों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से उपलब्ध कराई जा रही है।
- ● मुख्यमंत्री जी ने झांसी के मंडलायुक्त और डीआईजी को 12 घंटे में घटना के संबंध में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
- झांसी मेडिकल कालेज अग्निकांड पर बड़ा खुलासा.
- मेडिकल कॉलेज में लगे फायर एक्सटिंग्विशर एक्सपायर.
- आग से बचाव के लिए लगाया जाता है फायर एक्सटिंग्विशर.
- खानापूर्ति के लिए मेडिकल कॉलेज में फायर सिलेंडर लगे थे…
- पीएम मोदी ने झांसी मेडिकल हादसे में मृत बच्चों के परिजनों के लिए की सहायता की घोषणा…
- झांसी अग्निकांड: मासूमों की मौत से कांप उठा दिल, हादसा या लापरवाही?
- झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन देखभाल यूनिट (NICU) में लगी भीषण आग ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में 10 नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 16 बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना का दर्द इतना गहरा है कि सवाल उठने लाजमी हैं—यह हादसा था या प्रशासन की बड़ी लापरवाही?
- *प्रत्यक्षदर्शी ने खोला राज:*
- हमीरपुर के भगवान दास, जिनका पोता NICU वार्ड में भर्ती था, ने खुलासा किया कि हादसे के समय नर्स ने ऑक्सीजन सिलेंडर के पाइप को जोड़ने के लिए माचिस की तीली जलाई। तीली जलते ही आग पूरे वार्ड में फैल गई। अगर सेफ्टी अलार्म समय पर बज जाता, तो कई मासूमों की जान बचाई जा सकती थी।
- *सिस्टम की खामियां:*
- *4 साल से एक्सपायर था फायर सिलेंडर: आग बुझाने वाले उपकरण निष्क्रिय थे।*
- *54 बच्चों से भरा वार्ड: लेकिन सुरक्षा के लिए कोई कारगर योजना नहीं थी।*
- *शॉर्ट सर्किट या मानवीय चूक? शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट की बात सामने आई थी, लेकिन अब प्रत्यक्षदर्शी की गवाही से सवाल गहराते जा रहे हैं।*
- *सरकार और प्रशासन का रुख:*
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए 12 घंटे में जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और एडीजी मौके पर पहुंचकर घटना का जायजा ले रहे हैं।
- *परिवारों का दुख:*
- इस हादसे में मासूमों की जिंदगी पलभर में खत्म हो गई। नवजात, जिन्होंने अभी ठीक से दुनिया देखी भी नहीं, उनकी मौत ने माता-पिता को गहरे शोक में डाल दिया है।
- *कब सुधरेगा सिस्टम?*
- यह हादसा महज एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक गंभीर सवाल है—आखिर कब तक लापरवाही मासूमों की जान लेती रहेगी? फायर सेफ्टी सिस्टम, कर्मचारियों की ट्रेनिंग और सुरक्षा उपकरणों की नियमित जांच क्यों नहीं होती?
- झाँसी मेडिकल कॉलेज में नवजात शिशुओं की मौत के मामले की जांच एक विशेष पैनल करेगा.
- प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य ने जांच के लिए 6 डॉक्टरों का विशेष पैनल गठित किया.
- झांसी हादसे के बाद लखनऊ में बड़ा एक्शन.
लखनऊ के 80 अस्पतालों को नोटिस दिया गया, - फायर विभाग ने अस्पतालों को नोटिस दिया,
गाइडलाइंस के मुताबिक नहीं मिले इंतजाम,
कई अस्पतालों में फायर विभाग ने जांच की,
906 अस्पताल में 301 अस्पताल के पास फायर एनओसी,बचे अस्पतालों में अभी भी जांच कर करेगा कार्रवाई. -
पीएम मोदी ने झांसी मेडिकल हादसे में मृत बच्चों के परिजनों के लिए की सहायता की घोषणा.
-
*अग्निशमन विभाग द्वारा होटलों का किया गया निरीक्षण*
जैमिनी कॉन्टिनेंटल और होटल क्लार्क अवध का निरीक्षण किया गया।
अग्निशमन सुरक्षा व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया।
होटल में उपस्थित कर्मचारियों को अग्नि सुरक्षा का प्रशिक्षण दिया।
-
झांसी अग्निकांड: मासूमों की मौत से कांप उठा दिल, हादसा या लापरवाही?*
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन देखभाल यूनिट (NICU) में लगी भीषण आग ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में 10 नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 16 बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना का दर्द इतना गहरा है कि सवाल उठने लाजमी हैं—यह हादसा था या प्रशासन की बड़ी लापरवाही?
*प्रत्यक्षदर्शी ने खोला राज:*
हमीरपुर के भगवान दास, जिनका पोता NICU वार्ड में भर्ती था, ने खुलासा किया कि हादसे के समय नर्स ने ऑक्सीजन सिलेंडर के पाइप को जोड़ने के लिए माचिस की तीली जलाई। तीली जलते ही आग पूरे वार्ड में फैल गई। अगर सेफ्टी अलार्म समय पर बज जाता, तो कई मासूमों की जान बचाई जा सकती थी।
*सिस्टम की खामियां:*
*4 साल से एक्सपायर था फायर सिलेंडर: आग बुझाने वाले उपकरण निष्क्रिय थे।*
*54 बच्चों से भरा वार्ड: लेकिन सुरक्षा के लिए कोई कारगर योजना नहीं थी।*
*शॉर्ट सर्किट या मानवीय चूक? शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट की बात सामने आई थी, लेकिन अब प्रत्यक्षदर्शी की गवाही से सवाल गहराते जा रहे हैं।
*सरकार और प्रशासन का रुख:*
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए 12 घंटे में जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और एडीजी मौके पर पहुंचकर घटना का जायजा ले रहे हैं।
*परिवारों का दुख:*
इस हादसे में मासूमों की जिंदगी पलभर में खत्म हो गई। नवजात, जिन्होंने अभी ठीक से दुनिया देखी भी नहीं, उनकी मौत ने माता-पिता को गहरे शोक में डाल दिया है।
*कब सुधरेगा सिस्टम?*
यह हादसा महज एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक गंभीर सवाल है—आखिर कब तक लापरवाही मासूमों की जान लेती रहेगी? फायर सेफ्टी सिस्टम, कर्मचारियों की ट्रेनिंग और सुरक्षा उपकरणों की नियमित जांच क्यों नहीं होती?