रायपुर। बार-बार जन्म होगा मृत्यु होगी, मृत्युलोक में जन्म लेना सरल है. लेकिन महादेव की भक्ति व कीर्तन प्राप्त करना कठिन है। यहां 46 से 47 डिग्री क़ि तीव्र गर्मी होने के बाद भी आप सब भगवान शिव की कथा का लाभ लेने पहुंचे है. इससे बड़ा कोई लाभ नहीं हो सकता। सूर्यदेव की कृपा है कि इस भीषण गर्मी में भी वह धूप और छांव कर रहे है. और भक्तों पर करुणा बरसा रहे है. भगवान शिव हमें एक क्षण में मिल सकते है. उसके लिए हमें महादेव के चरणों में समर्पित होना होगा। हमें भगवान शिव के दर्शन भले ही न हो लेकिन वे हमारी हर समस्या का हल जरुर करते है. इस घोर कलयुग में शिव युग आकर समाहित हो गया यह कोई नहीं जान सका। ये बातें अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने चौथे दिन श्रद्धालुओं को बताई। गुरुवार को कथा श्रवण करने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी कौशल्या देवी साय भी पहुंची हुई थी. जिन्होंने कथावाचक प्रदीप मिश्रा से आशीर्वाद ग्रहण किया। आयोजक पवन खंडेलवाल, विशाल खंडेलवाल, मोनू साहू व विशेष सहयोगी बसंत अग्रवाल ने कौशल्या देवी साय को प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। इस दौरान छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरणदेव सिंह, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव व कांग्रेस नेता सुबोध हरितवाल भी मौजूद थे।
*भगवान शिव दिखाई नहीं देते पर जवाब जरुर देते हैं*
पंडित प्रदीप मिश्रा ने लोगों को एक सीख देते हुए कही -मोबाइल में बात करते हुए अपनी सारी बातें कह देते हैं. जिसको देख नहीं पर रहे hote हैं. आप बात कर रहे हो वह दिखाई नहीं दे रहा है. हा वीडियो कॉलिंग है तो दिखाई जरुर देगा। नहीं दिखाई देने वाले व्यक्ति को हम अपनी दिल की सारी बातें कह देते हैं. वह सुनता रहता है और जवाब थोड़ा बहुत देता है। जब हम भगवान शंकर के मंदिर में जाकर एक लोटा जल चढ़ाते है वह दिखाई तो देता नहीं है लेकिन आपके द्वारा इस दौरान कहीं गई हर बात को वह सुनता है और उसका जवाब जरुर देता है।
*सर्विस वाला समर्पण नहीं चाहिए*
कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने कहा कि दुनिया के कई लोग कहते है ईश्वर है, कोई कहता है नहीं है, कोई कहता है मंदिर तक जाओ शंकर की सेवा करो – आराधना करो, कोई कहता है आपको पूजन नहीं करना है, हम तो केवल इतना कहते है तुम्हें जो अच्छा लगे उसकी पूजा करो. जिस भी भगवान का पूजन करो पूर्ण समर्पण होकर करो। हमारे यहां दो तरह के व्यक्ति होते है एक वह जो सर्विस करता है दूसरा वह जिसकी खुद की दुकान है। दोनों में क्या अंतर है? सबसे बड़ा अंतर यह है कि नौकरी वाले व्यक्ति का 5 बजे छुट्टी होती है तो वह 4 बजे से घड़ी देखना प्रारंभ कर देता है लेकिन दुकानदार कभी भी घड़ी नहीं देखता है, रात के 10 बजे तक वह दुकान में वह बैठे रहता हैं. इस दौरान कोई ग्राहक पहुंच गया तो उससे वह सामान देकर विदा करता है। इसलिए मैं कहता हूं नौकरी करने वाला समर्पित नहीं बल्कि दुकान वाला समर्पित रहता है। नौकर भले कंजुसाई कर दे लेकिन दुकान वाला नहीं करता है। शिव महापुराण कथा यही कहती है कि हमें सर्विस वाला समर्पण नहीं चाहिए। 80 वर्ष का बुजुर्ग, 75 वर्ष की बुजुर्ग माँ घर के रसोई में खाना बनाने में पीछे नहीं हटती लेकिन आज का युवा यही काम करना में हिचकिचाता है।
*ज्ञानी और मुर्ख व्यक्ति बनाने में भगवान ने की हैं बहुत मेहनत*
प्रदीप मिश्रा ने कहा कि चंद्रवंश में नंद राम के राजा थे जिनका एक बेटा खरबूज था वह अपने पिता के अनुरुप ही शिव भक्ति में डूबा रहता था। संसार में मनुष्यों को बनाने में भगवान ने बहुत मेहनत की है। ज्ञानी भी बनता है तो मेहनत से बनाता है, बहुत ज्ञानी बना रहा है तो उसमें और ज्यादा मेनहत करते है। इसके साथ ही भगवान ने मुर्ख व्यक्ति बनाने में भी बहुत मेहनत क़ि है। इसलिए मुर्ख व्यक्ति को तुम जितना भी समझाओंगे वह किसी की सुनता है बस अपने ही मन का करता है। तुम उसे बदलना चाहते हो लेकिन वह नहीं बदलता. उसे मत बदलो, बल्कि हमें अपने आपको खुद बदलना होगा। इस घोर कलयुग में शिव युग आकर समाहित हो गया यह कोई नहीं जान सका। मानव का देह मिला है इसलिए हमें अच्छा करना चाहिए। जिसने भी किसी को धोखा दिया है वह अगले जन्म में पागल बनता है।
*भैंस के आगे बिन बजाने से कुछ नहीं होगा*
कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आज हम देखते हैं कि छोटे-छोटे बच्चे शिव मंदिर में जल चढ़ाने लगे हैं. यह कलयुग का अंत का समय है. अमलेश्वर की जनता के साथ करोड़ों लोगो से अपील करना चाहता हूं कि जिस घर का बच्चा शंकर जी के मंदिर में एक लोटा जल चढ़ा दिया उस घर का बुजुर्ग कभी वृद्धाश्राम की सीढ़ी नहीं चढ़ेगा। जो बच्चा मंदिर जाना चालू कर दिया उसके मन में भगवान के प्रति जागृति आ जाएगी और वह कभी किसी को कष्ट नहीं देगा. इसलिए गांव में फसल बिगड़ रही है और शहर में नस्ल बिगड़ रही है इससे सुधारने का प्रयास करना होगा। पहले लोग गाय का दूध पीते थे, आज भैंस का दूध पी रहे हैं. इसलिए सास – बहु पिता-पुत्र, भाई-बहन में आए दिन लड़ाई और झगड़ा हो रहा है इसलिए इनके आगे जितना भी बिन बाजा लो. भैंस का दूध पिया है इसलिए आज का व्यक्ति टस से मस नहीं हो रहा है। अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है. एक-एक गौ माता घर में जरुर रखो और उसकी सेवा करो।
*प्रसाद का स्पर्श करो तो कभी लकवा की बीमारी नहीं होगी*
प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जब भी हम किसी तीर्थ स्थल, अपने गुरु के दरवाजे पर जाएं, भोग-भंडारे में जाएं तो वहां मांग कर खा लेना वहां भोजन नहीं भोलेनाथ का प्रसाद मिलता है। जैसे ही प्रसाद हमारे हाथ में आ गया समझ लेना तुम्हें भगवान शिव के दर्शन हो गए। जिस दिन हम उस प्रसाद को स्पर्श कर लिया उसी समय से तुम्हें होने वाले लकवा की बीमारी दूर हो जाएगी और कभी लकवा की बीमारी नहीं आएगी। कितना भी बड़ा आदमी हो मंदिर अगर गए हो तो दोनों हाथ जोड़कर प्रमाण करना कभी मत भूलना और जो भी प्रसादी के रुप में मिले उसे ग्रहण जरुर करना।
*महाराज भले खड़ा न हो लेकिन भोले बाबा तुम्हारे दुख की घड़ी में हमेशा खड़ेगा रहेगा*
तुम्हारे दुख के घड़ी में सिहोर वाले प्रदीप मिश्रा महाराज भले खड़ा न हो लेकिन भोले बाबा तुम्हारे दुख की घड़ी में हमेशा खड़ेगा रहेगा। तुम्हारा कष्ट तुम्हें सहना है कोई दूसरा नहीं सहेगा. परिवार वाले आएंगे, केवल शंकर जी को जल चढ़ाया है तो नंदी ही तुम्हारा वह दर्द बाटेंगे. देवाधी देव महादेव पृथ्वी पर रहता है वह तुम्हारे पास आएगा तुम्हारा दुख हरने लेकिन उसके लिए तुम्हें उन्हें दिल से पुकारना होगा।
*रात्रि 9-15 बजे का पूजन करो, लीवर व कैंसर की बीमारी हो जाएगी दूर*
प्रदीप मिश्रा ने कथा दौरान एक पत्र पढ़ते हुए कहा कि रात को 9.15 बजे भगवान शंकर को चढ़ाया गया जल व बेलपत्र से लीवर व कैंसर जैसी बीमारी दूर हो जाता है इसका प्रमाण यहां आप सबके सामने हैं. जब दुर्ग जिले की एक महिला को कैंसर था और उसने रायपुर के एम्स हॉस्पिटल में इलाज कराया तो कैंसर निकला इसके बाद उनके यह पूजा प्रारंभ किया और जब दोबारा टेस्ट कराया तो रिपोर्ट निगेटिव आया। एक और पत्र को उन्होंने पढ़ा और बताया कि जबलपुर की रहने वाली 6 वर्षीय बच्ची जो बोल नहीं सकती थी और उसके दिल में गाठ हो गया था। इसके बाद उन्होंने भगवान शिव की पूजा प्रारंभ किया और रुद्राक्ष का जल पीने से वह 90 प्रतिशत बोलने लगी हैं। उसके दिल में गठान भी था वह भी ठीक हो गया। महाराज श्री ने मंच पर बुलाकर बच्ची और उसके माता-पिता का बेलपत्र देकर सम्मानित किया।
*मित्र ऐसा बनाओ जो हाथ पकड़ कर कथा तक लें जाए*
दुनिया में अच्छे मित्र बड़ी मुश्किल से पमिलते हैं, जिस दिन तुम्हें अच्छा मित्र मिल जाए समझ ले महादेव खुद तुम्हारे पास उतर कर आएं है। मित्र ऐसा नहीं चाहिए जो मित्रता को छुड़वा दें, भगवान की भक्ति और कीर्तन करने से मना करें, मित्र ऐसा चाहिए जो हाथ पकड़कर तुम्हे कथा तक ले जाएं।
*पार्वती, सीता और राधा ने किया हैं बड़ा संघर्ष*
प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जितनी अन्य देवियों ने संघर्ष नहीं किया है उससे कहीं ज्यादा माता पार्वती ने संघर्ष किया है। जितनी देवियों ने परीक्षा दी है उससे कहीं ज्यादा पार्वती ने दी है। मैना, धन्या, कला इन तीनों के कोख से माता पार्वती, सीता और राधा खेली है और इन तीनों देवियों ने बहुत संघर्ष किया है। अथक संघर्ष के बाद माता पार्वती शिवजी के पास पहुंची है। जिसने अपनी जिंदगी में बहुत दर्द और संघर्ष किया है उसने अपना नाम रौशन किया है। मनुष्य का जन्म मिला है तो मेहनत से पीछे मत हटना, जितना भी संघर्ष करोगे मेरे महोदेव उसे निखारेंगे अवश्य।
*स्त्री का अच्छा होना जरुरी*
उन्होंने कहा कि लगन और परिश्रम से हम आगे बढ़ते हैं और इसी लगन, मेहनत और परिश्रम में कभी कमी आने मत देना। एक स्त्री पर निर्भर करता है कि उसे कैसा घर बनाना है और घर अच्छा बनने में मिस्त्री और स्त्री की बहुत मेहनत होती है। राजमिस्त्री बिगडा है तो चलेगा लेकिन स्त्री बिगड़ गई और वह अच्छी नहीं तो वह घर कभी अच्छा बन ही नहीं सकता है। स्त्री अगर संस्कारी है तो टूटी-फुटी झोपड़ी में रहकर वह घर को अच्छे से चला लेती है लेकिन स्त्री संस्कारी नहीं है तो 4 मंजिला मकान भी छोटा पड़ जाता है।
*लव जिहाद पर जमकर बरसे*
प्रदीप मिश्रा ने लव जिहाद पर कथा के दौरान जमकर हमला बोला। उन्होंने आज की युवा पीढ़ी युवतियों से कहा कि जो तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हारें लिए लड़का ढूंढा हैं. वह 100 प्रतिशत अच्छा ही होगा। लेकिन आज के जमाने में हमारी बेटियां ऐसे लड़के के झांसे में आ रही है जिसके बारे में वह जानती नहीं है कि वह कहां से आया है, क्या करता है, कहां रहता है। घुड़घुड़ गाडिय़ों आते हैं, थोड़ी बॉडी – सॉडी बनाकर उन्हें अपने झांसे में फंसाकर उनसे संबंध बनाकर हरिद्वार की नदी में कांटकर फेंक देते है। सभी बेटियों से निवेदन करते हैं कि माता-पिता कभी तुम्हारें लिए गलत नहीं सोंचेंगे, सारे निर्णय लो लेकिन शादी का निर्णय माता/पिता पर छोड़ दो।
*कथा सुनने बैठ जाओ समस्या हो जाएगी दूर*
धर्मगुप्त ने रीझ से गलत दोस्ती कर लिया इसलिए उसे भुगतना भी पड़ा। जिस सामान पर मक्खी बैठ गई वह किसी काम का नहीं होता है लेकिन जब वही मक्खी सोने के कांटे पर बैठ गई तो उस मक्खी की कीमत हो जाती है। इसलिए तुम्हें इधर – उधर जाकर बैठने की जरुरत नहीं है, कथा सुनने बैठ जाओ तुम्हारी हर समस्या दूर हो जाएगी। पास के पीछे नहीं मत भागो क्योंकि शिव महापुराण कथा सबसे बड़ा टेंशन हैं और जिस दिन तुम बिना पास के कथा श्रवण करने शंकर जी के सामने बैठ जाओगे तुम्हारी समस्या अपने आप ही दूर हो जाएगी।
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