रायपुर, 06 फरवरी 2023/ राज्य में गौमूत्र से जैविक कीटनाशक ब्रम्हास्त्र और फसल वृद्धिवर्धक जीवामृत का उत्पादन और उपयोग खेती में होने लगा है। गौठानों में 4 रूपए लीटर की दर से अब तक 1 लाख 26 हजार 858 लीटर गौमूत्र क्रय किया जा चुका है, जिससे गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा 47 हजार 447 लीटर कीट नियंत्रक ब्रम्हास्त्र और 21 हजार लीटर वृद्धिवर्धक जीवामृत बनाया गया है। खेती में उपयोग के लिए किसानों द्वारा अब तक 59 हजार 557 लीटर ब्रम्हास्त्र और जीवामृत क्रय किया गया है, जिससे गौठानों को 25 लाख 74 हजार 355 रूपए की आय हुई है।
गोबर से 27.56 लाख क्विंटल कम्पोस्ट खाद का उत्पादन-
गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौठानों में 2 रूपए किलों में गोबर की खरीदी गौठानों में महिला समूहों द्वारा अब तक कुल 27 लाख 56 हजार क्विंटल से अधिक कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है। जिसमें 22 लाख 5 हजार 138 किवंटल वर्मी कम्पोस्ट, 5 लाख 50 हजार 862 क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट एवं 18,924 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद शामिल है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से क्रमशः 10 रूपए, 6 रूपए तथा 6.50 रूपए प्रतिकिलो की दर पर विक्रय किया जा रहा है। महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 105 करोड़ 67 लाख रूपए की आय हो चुकी हैं। राज्य में गौठानों से 11,885 महिला स्व-सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 1,36,123 है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत एवं प्राकृतिक पेंट सहित अन्य सामग्री का भी उत्पादन किया जा रहा है।
*3 लाख 23 हजार से अधिक ग्रामीण लाभान्वित-* राज्य में गोधन के संरक्षण और संर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। गौठानों में पशुधन देख-रेख, उपचार एवं चारे-पानी का निःशुल्क प्रबंध है। राज्य में अब तक 10,743 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 9671गौठान निर्मित एवं शेष गौठान निर्माणाधीन है। गोधन न्याय योजना से 3 लाख 23 हजार 983 ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं।
*गौठानों में 17.58 लाख क्विंटल धान पैरा एकत्र-* मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अपील पर राज्य के किसानों द्वारा अपने गांवों के गौठानों को पैरादान किए जाने का सिलसिला अनवरत रूप से जारी है। राज्य के किसान भाई पैरा को खेतों में जलाने के बजाय उसे गौमाता के चारे के प्रबंध के लिए गौठान समितियों को दे रहे हैं। ऐसे किसान भाई जिनके पास पैरा परिवहन के लिए ट्रेक्टर या अन्य साधन उपलब्ध है, वह स्वयं धान कटाई के बाद पैरा गौठानों में पहुंचाकर इस पुनीत कार्य में सहभागिता निभा रहे हैं। गौठान समितियों द्वारा भी किसानों से दान में मिले पैरा का एकत्रीकरण कराकर गौठानों में लाया जा रहा है। गौठानों में अब तक 17 लाख 58 हजार क्विंटल पैरा गौमाता के चारे के लिए उपलब्ध है।