भूमि नामांतरण के लिये रिश्वत लेने वाले नायाब तहसीलदार को 4 वर्ष का सश्रम कारावास
HNS24 NEWS August 24, 2022 0 COMMENTSपारस राठौर: नीमच। श्रीमती सोनल चौरसिया, विषेष न्यायाधीष (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम), जिला-नीमच द्वारा भूमि नामांतरण का निर्णय फरियादी के पक्ष में किये जाने हेतु 25,000रू. रिश्वत की मांग कर 5,000रू. की रिश्वत लेने वाले आरोपी तत्कालीन नायाब तहसीलदार टप्पा रतनगढ़, तहसील सिंगोली शंभूसिंह पिता शिवसिंह सिसौदिया, उम्र-62 वर्ष, निवासी-19 अभिनंदन कॉलोनी, जिला मंदसौर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 एवं 13(1)(डी), 13(2) के अंतर्गत 4-4 वर्ष के सश्रम कारावास एवं कुल 10,000रू जुर्माने से दण्डित किया।
श्री विवेक सोमानी, विशेष लोक अभियोजक द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि फरियादी बालमुकुंद धाकड़ द्वारा विशेष पुलिस स्थापना, लोकायुक्त कार्यालय, उज्जैन में उपस्थित होकर आरोपी के विरूद्ध एक शिकायती आवेदन प्रस्तुत किया गया, जिसके अनुसार उसकी माता केलीबाई का निधन हो जाने से उसके माता के नाम पर ग्राम मुवादा में जो 57 आरी कृषि भूमि थी, जिसका उसके नाम पर नामांतरण कराये जाने हेतु आवेदन लगाया था, जिस पर फरियादी के भाई प्यारचंद ने आपत्ति लगा दी थी, जिसका प्रकरण आरोपी तत्कालीन नायाब तहसीदार शंभूसिंह सिसौदिया के न्यायालय में चल रहा था। दिनांक 10.08.2015 को आरोपी ने फरियादी से कहा कि 25,000रू. दे दो तो तुम्हारे पक्ष में फैसला कर दूंगा। फरियादी रिश्वत नहीं देना चाहता था, इसलिये उसने दिनांक 11.08.2015 को लोकायुक्त पुलिस को कार्यवाहीं किये जाने हेतु आवेदन दिया, जिस पर से फरियादी द्वारा दिनांक 12.08.2015 को रिश्वत लिये जाने संबंधीत बातचीत को रिकार्ड किया गया जिसमें आरोपी द्वारा रिश्वत की रकम को लेकर फरियादी को उसके शासकिय आवास पर बुलाया गया। इसके पश्चात निरीक्षक श्री बसंत श्रीवास्तव द्वारा ट्रेप दल का गठन कर किया गया व फरियादी के पास 25,000रू. नहीं होने से वह 5,000रू. लेकर दिनांक 13.08.2015 को शाम के लगभग 06ः30 बजे आरोपी के शासकिय आवास पर पहुचा, जहाँ वह आरोपी के शासकिय आवास में पँहुचा व थोड़ी देर बाद बाहर आकर हाथ सिर घुमाते हुए ट्रेप दल को ईशारा किया। इसके बाद आरोपी को पकड़कर उसके आवास के बाथरूम की बाल्टी के पीछे से लिफाफे में 5,000 रूपये जप्त किए तथा आरोपी के हाथ धुलाने पर घोल का रंग गुलाबी हो गया था। निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव द्वारा मौके की समस्त कार्यवाही कर वापस लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन आ गए। इसके पश्चात लोकायुक्त पुलिस द्वारा शेष आवश्यक अनुसंधान पूर्ण कर अभियेग पत्र विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) नीमच में प्रस्तुत किया गया।
श्री विवेक सोमानी, विशेष लोक अभियेजक द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान फरियादी, ट्रेपदल के सदस्य, पंचसाक्षी व विवेचक सहीत सभी महत्वपूर्ण गवाहों के बयान करवा कर आरोपी द्वारा 25,000रूपये की रिश्वत की मांग कर व 5,000 रूपये रिश्वत लिये जाने के अपराध को संदेह से परे प्रमाणित कराते हुए आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किए जाने का निवेदन किया गया। माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 एवं 13(1)(डी), 13(2) के अंतर्गत 4-4 वर्ष के सश्रम कारावास एवं कुल 10,000रू जुर्माने से दण्डित किया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी श्री विवेक सोमानी, विशेष लोक अभियोजक द्वारा की गई।
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