November 22, 2024
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रायपुर/18 अगस्त/ प्रदेश में जब-जब कांग्रेस की सरकार रही है तब-तब मछुआरों के हितो पर कुठाराघात करने का काम हुआ है। जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, तब लीज अवधी को 10 वर्ष से कम कर 5 वर्ष कर दिया। वहीं जब छत्तीसगढ़ में पहली कांग्रेस सरकार बनी उस समय 18 फरवरी 2003 में नवीन मछली पालन का प्रकाशन किया जिसमे लीज अवधी 5 वर्ष रखते हुए 200 हेक्टेयर से अधिक के जलक्षेत्र तक के जलाशयों को मछलीपालन विभाग द्वारा नीलाम करने का प्रावधान रखा गया था। जिसमे सुधार करते हुए, भाजपा की सरकार नें मछुआरा प्रकोष्ठ (मांझी) की मांग पर एवं मछुआरा समुदाय के आग्रह को मानते हुए मछुआ नीति के बिंदु क्रमांक 1.4 में दिनाँक 18 सितंबर 2007 को आदेश पारित कर संशोधन किया गया 200 हेक्टेयर एवं 1000 हेक्टेयर तथा 5000 हेक्टेयर के ऊपर के जलाशय निर्धारित समयावधि के लिए पंजीकृत मछुआ सहकारी समिति समूहों को पट्टे पर दिया जाएगा तथा 1000 से 5000 हेक्टेयर के जलाशय छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य महासंघ को रॉयल्टी आधार पर प्रदान किया जाएगा ।

राज्य सरकार के द्वारा विगत दिनांक 14 जुलाई 2022 दिन गुरुवार मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित राज्यमंत्री मंडल के बैठक में छत्तीसगढ़ की नवीन मछली निति को मंजूरी दी गई है, लेकिन सरकार द्वारा जो मछली नीति लाई गई है, वह छत्तीसगढ़ के गरीब मछुआरों के हितो को ना ही पंजीकृत मछुआरों व ना ही सहकारी समिति से जुड़े कृषकों के हितों को संरक्षित करता है।

वर्तमान कांग्रेस सरकार द्वारा 14 जुलाई 2022 को जिस प्रस्तावित मछुआ निति को मंजूरी दी है उसके अनुसार बिंदु क्रमांक 1 के अनुसार त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था अंतर्गत तालाब / जलाशय को मछली पालन हेतु पट्टे पर देने / खुली निविदा आमंत्रित कर 10 वर्ष के लिए आबंटित करने का अधिकार दिया है।

त्रि-स्तरीय पंचायत व्यवस्था के अंतर्गत तालाब, जलाशय को मछली पालन हेतु पट्टा आवंटित करना ही दोष पूर्ण है। इस कंडिका में कही भी यह उल्लेख नहीं है, कि खुली निविदा जो उक्त जल क्षेत्रो को आबंटन हेतु आमंत्रित की जा रही है, जिसमे पंजीकृत मछुआरों सहकारी समिति एवं मछुआ समूह को प्राथमिकता के क्रम पर आवंटित की जाएगी जो समाज के छोटे मत्स्य कृषकों का अपमान है, इससे बड़े तालाबों व जलाशयों व बैराजों पर पूंजीपतियों का प्रभुत्व स्थापित हो जायेगा व सामाजिक बन्धु बेरोजगार होकर जीविकोपार्जन हेतु मजदूरी करने पर विवश हो जायेंगे।

नवीन मछुआ नीति में मछुआ शब्द का अर्थ स्पष्ट नहीं है। मछुआ एवं मछुआरा शब्द से आशय मंशानुगत, जन्मजात मछलीपालन, मछली व्यवसाय एवं मछली पकड़ कर जीविको पार्जन का कार्य करने वालों से है जिनकी भूमिका को स्पष्ट नही किया गया है।
ग्राम पंचायत में गोठान के समीप स्थित तालाबों, जलाशयों को गोठान समिति द्वारा प्राथमिकता के क्रम में आजीविका मिशन के अंतर्गत संचालित महिला स्वसहायता समूह को मछलीपालन हेतु पट्टा आवंटित करना उस ग्राम पंचायत में निवास रत मछुआरा समाज की गरीब मत्स्य कृषकों के पेट में लात मारने के बराबर है।

कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में भारतीय जनता पार्टी मछुआरा प्रकोष्ठ की प्रदेश कार्यसमिति बैठक का आयोजन हुआ। इस बैठक में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे पूर्व मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने मछुआरा समाज के लोगों से यह कहा कि जिस प्रकार भगवान राम के तीर से समुंद्र भी सो गया था और उनसे डर गया था ठीक उसी प्रकार से हमारे मछुआरा समाज के तीर से इस सरकार को सुखा देने का काम करना है और इसे उखाड़ फेंकना है।

माननीय पूर्व मंत्री एवं विधायक बृजमोहन  अग्रवाल ने कहा कि जैसा कि मुझे ज्ञात हुआ है कि यह मछुआरा समाज इस धरने प्रदर्शन को पहले मंडल स्तर पर, इसके बाद जिले स्तर पर और फिर प्रदेश स्तर तक इस धरने प्रदर्शन को करते हुए राजभवन में राज्यपाल को इसके प्रति ज्ञापन सौंपने की तैयारी कर चुका है। मैं मछुआरा समाज को यह आश्वासन देता हूं कि जब भी राजधानी में वह इस प्रदर्शन को लेकर आएंगे मैं उनका इस प्रदर्शन में पूरा सहयोग व समर्थन करूँगा।

पूर्व मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल  ने यहाँ पर कहा कि प्रदेश के मछुआ समाज को केवल यहीं तक सीमित नही रहना है, बल्कि अपने रोजगार के लिए और ज़ोर से आवाज़ उठानी है। आने वाली 24 अगस्त को एक बड़ा प्रदर्शन किया जा रहा है जिसमें मुख्यमंत्री निवास घेराव किया जाएगा। इसमें मैं मछुआरा प्रकोष्ठ की सभी सदस्यों व पदाधिकारियों को आमंत्रित करता हूं कि इस विशाल धरना प्रदर्शन मुख्यमंत्री निवास घेराव में अपनी सक्रिय सहभागिता निभाकर इस अभियान को सफल बनाएं।

HNS24 NEWS

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