November 22, 2024
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रायपुर : क्या बताए क्या हो रहा है इस सवाल को यह खबर शांत कर सकती है । ” लो अब 35 करोड़ का जुगाड़ और हो गया ! रद्दी मोबाइल का पेमेंट निकालेंगे और गद्दी संभालेंगे! जय हो ” इस बात को मजाक ना लें।

आखिरकार दस जनपथ को भेदने का अस्त्र मिल ही गया। बेशक यह धन लक्ष्मी देवी ही हैं इनकी कृपा से इस सृष्टि का सारा भौतिक सुख प्राप्त किया जा सकता है!

अब दाऊ सारी ताकत उसी में लगाना तय किये हैं। कहा जा रहा है कि एक मेडिकल कॉलेज से सम्बन्ध रखने वाले मुकेश और कुछ डायरेक्टर तथा दाऊ के खास आकाश अपने सूर्या के साथ दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं। धनलक्ष्मी भी साथ हैं! वो भी खोखा के वेश में!

गांधी परिवार और दस जनपथ की पैसो से मतलब भ्रष्टाचार के नाम से भेद पिटने मतलब अपमानित होने का ये लाजवाब उदाहरण है! लगता है कि बोफोर्स सौदे में भी इतना नाम खराब नहीं हुआ, जितना दाऊ के सिपहसलाहकरो ने कर डाला! पग-पग में हर पल-पल में छोटे बड़े व्यापारी कर्मचारी उद्योगपति अधिकारी सबके मुंह में एक ही बात है कि भ्रष्टाचार का ऐसा अद्वितीय उदाहरण अब तक नही देखा गया था।

पटवारी पकड़े जा रहे, संकुल समन्वयक भी अब उगाही करने लगे, कृषि के खाद बीज का ये हाल कि वो मिट्टी से भी बदतर हो गया है। इसी भ्रष्टाचार को आगे बढ़ने बढाने की दिशा में अद्भुत खेल अब महिला बाल विकास में भी चालू हो गया है। 2018 में राजेश नाम के राणा ने मोबाइल खरीद दिया, अपना हिस्सा भी ले लिए पर पार्टी का भुगतान रुक गया और आज भी पार्टी चक्कर लगा रही है! बेचारे व्यापारी को भुगतान नही हुआ। मोबाइल का ये हाल की सभी खराब! उनका कोई फिजिकल वेरिफिकेशन नही हुआ। पर अब उस अटके भुगतान जिसका राशि लगभग 35 करोड़ संभावित है, के भुगतान की तैयारी की जा रही है। एक सुब्रत नाम के महान सहारा हैं, जो अपनो को बेहद सहारा देते हैं और अधिकारी यदि महिला हो तो बेहद संजीदगी के साथ सहारा देते हैं! उनका भाग्य है कि इस महिला बाल विकास की सचिव भी महिला अधिकारी है।

सूत्र बताते हैं कि सबके सहारा सुब्रत ने अपने खासमखास अत्यंत प्यारे सचिव को मोबाइल का आधा भुगतान कर देने का निर्देश दे दिया है। यदि ऐसा है तो 15 से 17 करोड़ रुपया का भुगतान बिना फिजिकल वेरिफिकेशन के हो जाएगा और चांदी हो जाएगी सबके सहारे सुब्रत की!

गजब बात ये है कि ये आईएएस कौम ऐसा बंदा है जो ईमानदारी की धरती पर जीती जागती प्रतिमूर्ति है और इस उदाहरण को अभी के ढाई साल में सारी जनता ने देखा है! ये भ्रष्टाचार से कोई वास्ता नही रखते! उन्हें भ्रष्टाचार की बू पसंद नही है! अपने सभी मातहतों को जींवन भर ईमानदारी का उदाहरण और भाषण भी देते हैं! इसी वजह से इनके ऊपर जल्दी से जांच स्थापित नही होती। इनका हाजमा इतना बेमिसाल होता है कि जैसे आज कल के जानवर प्लास्टिक, पॉलीथिन आदि भी खा जाते हैं वैसे ही ये हर एक चीज को हजम कर जाते हैं! पर सीने पर ये ईमानदार का तमगा लगाए घूमते हैं! इसीलिए मोबाइल का भुगतान करने कराने की प्रक्रिया का पालन करने हेतु एक जांच समिति बना दी गई। जिसमें उसी निर्णय की अनुशंषा कर दी गई जो सुब्रत का सहारा और सचिव महिला बाल विकास के निर्देश थे!

समिति ने बताया कि राजेश के राणा की कोई गलती नही। वे दूध से धुले अधिकारी हैं और नीचे के दो अधिकारी एक बेचारा लेखा अधिकारी और दूसरे खान साहब को मोबाइल खरीदी के लिए दोषी बना दिया गया! अब सोचो कि 35 करोड़ के मोबाइल मंत्रालय में सचिव और संचालक के इच्छा के बिना लेखा अधिकारी या छोटा सा अधिकारी खरीद सकता है क्या?? बेवकूफ, अंधा इंसान भी इसे नही मान सकता और समिति ने यह भी अनुशंषा कर दी कि पचास प्रतिशत भुगतान पार्टी का किया जा सकता है! है ना गजब कहानी! कहा जा रहा है कि इस पैसे का भुगतान कर भ्रष्टाचार की राशि को गांधी जी को भेजा जायेगा!

अब देखना है कि इस प्रकरण को बेनकाब करने के बाद भी भुगतान होता है या कि जांच में विध्न पड़ जायेगा। यदि भुगतान नही कर पाए तो घुरवा के माटी के मुसाफिर को दोष दे दिया जाएगा! वैसे सुब्रत जी आप ऐसे सहारों से दूर रहिये, क्यूंकि लैला-मजनू पिक्चर से तक दूर रहना उचित होगा। अन्यथा मंत्रालय के कॉरिडोर में कोई बात छिपती नही है!

HNS24 NEWS

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