सीधी ,:लगातार प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना मरीजों के चलते कुछ मौका परस्त लोग भी इस महामारी में मानवता के साथ खिलवाड़ करने से नहीं बाज आ रहे है। आपको बता दे की जबलपुर, छिंदवाड़ा, भोपाल, इंदौर सहित अन्य जिलों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की बड़ी संख्या में ब्लैक मार्केटिंग देखने को मिली है जिसके चलते कुछ जिले में आरोपियों को भीनर्स के घर से बंट रहा रेमडेसिविर इंजेक्सन पुलिस द्वारा धर दबोचा गया है। ऐसा ही नजारा विगत दिनो सीधी जिला अस्पताल में देखने को मिला जहां शर्मिला तिवारी पति सोमेश्वर प्रसाद तिवारी उम्र उम्र 55 वर्ष बीते बुधवार को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हुई थी उनकी हालत खराब होने के कारण ड्युटी डाक्टर अविनाश जान ने शायं 5 बजे रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने के लिए फाइल में लिख कर चले गए। लेकिन जब भर्ती मरीज को इंजेक्शन नही लगाया गया तो इधर-उधर भटकने लगे। लेकिन मरीज के परिजनों को रेमडेसिविर इंजेक्शन नही मिला तब रात 12 बजे मरीज के परिजनों को आईसोलेशन बार्ड के बार्डबॉय से सम्पर्क करने को कहा गया। तब बार्डबॉय द्वारा आईसोलेशन बार्ड की इंचार्ज जयललिता से सम्पर्क किया गया। पहले तो इंचार्ज द्वारा न नुकुर की जाती रही लेकिन बाद में बार्ड बॉय को बोली घर आ जाओ और इंजेक्शन ले जाओ। फिर इसके बाद बार्ड बॉय और मरीज के परिजन इंचार्ज जयललिता के घर पहुंचे और जयललिता को साथ में लाकर इंजेक्शन लगवाया गया है। इस स्टिंग ने पूरे स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल के रख दी है। जहां एक ओर कलेक्टर,एसपी,अपर कलेक्टर दिन रात मेहनत कर व्यवस्था को दुरूस्त करने के प्रयास में लगे है तो वहीं दूसरी ओर सीएमएचओ व सिविल सर्जन पूरी तरह से पानी फेरने में लगे हुए है।
*व्हाट्सएप्प चैटिंग में किया कबूलनामा*
रेमेडेसिविर इंजेक्शन घर ले जाने के संबंध में जब मीडियाकर्मियों द्वारा व्हाट्सएप्प पर पूंछा गया कि आप इंजेक्शन घर लेकर कैसे जा सकती है तो जयललिता ने जबाव दिया कि स्टाफ के भरोषे नही रख सकते न रेमेडेसिविर हो जायेगा फिर। वहीं मीडियाकर्मी ने पूंछा कि लाक लगा कर रख सकती है यहां पर तो जयललिता ने कहा कि पेसेंट के भले के लिए सिविल सर्जन ने बोला था इमरजेंसी में। अब सबसे बड़ा सवाल उठता है कि इन सब के पीछे सिविल सर्जन का हांथ है या और किसी का यह तो जांच का विषय है।
कहीं ब्लैक मार्केटिंग तो नही
अन्य जिलों की तरह सीधी जिले में भी रेमडेसिविर इंजेक्शन की ब्लैक मार्केटिंग तो नही की जा रही है। बेशकीमती दवाईयों को जहां अस्पताल में होना चाहिए वह अस्पताल में न होकर नर्सो के घरों में रखी है। जिससे सीधी जिले में भी रेमडेसिविर की ब्लैक मार्केटिंग की आशंका व्यक्त की जा रही है। मरीज के परिजनों के अनुसार बार्ड बॉय से बात करने के बाद ही रात 12 बजे मरीज को इंजेक्शन मिल पाता है जबकि डॉक्टर अविनाश जॉन द्वारा शायं 5 बजे ही लगा दिया गया था तो बार्ड इंचार्ज द्वारा इंजेक्शन क्यों नही लगाया गया।
*तो क्या इंजेक्शन का कीया जा रही ब्लैक मार्केटिंग*
शासन के द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार रेमडेसिविर इंजेक्शन स्वास्थ्य विभाग या जिला चिकित्सालय के अंदर ही होना चाहिए लेकिन स्टाफ नर्स की घर सेरेमडेसिविर इंजेक्शन का मिलना स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े करता है क्या इस कालाबाजारी में सिर्फ केवल नर्स शामिल है या फिर नर्स के कहे अनुसार सिविल सर्जन भी बराबर का हिस्सेदार है। वही राजनीतिक दबाव से ऐसे दोषी स्वास्थ्य कर्मियों पर कार्रवाई नहीं होने से भी इनके हौसले बुलंद होते हैं। बात करें तो 1 हफ्ते के अंदर 8 से ऊपर लोगों की जान गई है जिनको यह रेमडेसिविर इंजेक्शन नसीब नहीं हो पाया है।
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मामले की जानकारी प्राप्त हुई है मैं कार्रवाई के लिए कलेक्टर को निर्देशित करता हूं।
अनिल सुचारी,कमिश्रर रीवा
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