संविधान प्रदत्त नागरिक अधिकारों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
HNS24 NEWS January 26, 2021 0 COMMENTSरायपुर, 26 जनवरी 2021/मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर के लालबाग मैदान में ध्वजारोहण के बाद प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि देश की एकता, अखण्डता के साथ प्रदेश में संविधान प्रदत्त नागरिक अधिकारों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। समाज के किसी भी वर्ग पर यदि कहीं से कोई भी संकट आता है तो हमारी सरकार उनके साथ चट्टान की तरह खड़ी मिलेगी।
किसानों, ग्रामीणों तथा आम जनता का सबसे बड़ा संरक्षक हमारा संविधान है, लेकिन अगर कोई नया कानून इस व्यवस्था में आड़े आता है तो ऐसी चुनौती से निपटना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, जिसे हमने छत्तीसगढ़ कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक के माध्यम से निभाया। मैं आज फिर एक बार कहना चाहता हूं कि संविधान ने जो संरक्षण आपको दिया है, उसके रास्ते में आने वाली बाधाओं के निदान के लिए हम हमेशा तत्पर रहेंगे, चाहे इसके लिए किसी भी स्तर पर संघर्ष करना पड़े।
हमारी सरकार ने बीते दो वर्षों में विशेषकर जरूरतमंद तबकों के हक और हित में बड़े कदम उठाए हैं। गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की बहुतायत को देखते हुए, उन्हें राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने की चुनौती स्वीकार की। किसानों, ग्रामीणों, भूमिहीनों के साथ आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को न्याय दिलाने का वादा पूरा करने के लिए हम हर चुनौती का सामना करने को तैयार हैं।
*मुख्यमंत्री ने अमर शहीदों, संविधान निर्माताओं और देश के नेताओं को याद किया*
मुख्यमंत्री ने महान राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर प्रदेशवासियों का हार्दिक अभिनंदन करते हुए कहा कि सबसे पहले मैं परलकोट विद्रोह के नायक अमर शहीद गैंदसिंह और उनके साथियों को नमन करता हूं, जिन्होंने सन् 1857 की पहली व्यापक क्रांति के पहले ही छत्तीसगढ़ में आजादी की अलख जगाई थी। उसकी ज्वाला को वीर गुण्डाधूर और शहीद वीरनारायण सिंह जैसे क्रांतिकारियों ने आगे बढ़ाया और फिर पूरा छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गया। आजादी की लड़ाई को जुनून में बदलने वाले अनेक अमर शहीदों के साथ इसे निर्णायक मुकाम पर पहुंचाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, उस दौर के सभी नायकों और भारतमाता के गुमनाम सिपाहियों को मैं सादर नमन करता हूं। आजाद देश को अपना भाग्य विधाता बनाने का अवसर हमारे महान संविधान ने दिया, जिसे बनाने वाली संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और प्रारूप समिति के सभापति बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे। उनके साथ ही देश के विभिन्न क्षेत्रों के विचारकों और कानूनविदों ने संविधान सभा तथा विभिन्न समितियों के सदस्य के रूप में ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी, इनमें हमारे छत्तीसगढ़ के कानूनविद भी शामिल थे, आज मैं उन सबको नमन करता हूं। हमारे संविधान की सबसे बड़ी बात यह है कि इसे हम भारत के लोगों ने स्वयं बनाया और स्वयं को आत्मार्पित किया है।
*सद्भाव और समरसता के रास्ते पर अडिग रहा है छत्तीसगढ़*
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यह अवसर है कि हम अपने संविधान निर्माताओं की चिंता को साझा करें, आपस में विचार-विमर्श करें। संविधान के आधार पर देश चले, संविधान निर्माताओं की भावनाओं का सम्मान हो और हमारे संसदीय लोकतंत्र की गौरवशाली परंपराओं का मान कायम रहे, इस दिशा में मजबूती से चलने का संकल्प लेना भी इस वक्त की एक बड़ी जरूरत है। मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी हो रही है कि हमारा छत्तीसगढ़ हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं की आशाओं के अनुरूप सद्भाव और समरसता के रास्ते पर अडिग रहा, जिसके लिए आप सब बधाई के पात्र हैं। भाइयों और बहनों, हमारी सबसे पहली प्राथमिकता, अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति बहुल अंचल तथा ग्रामीण जनता है, जिन्हें विकसित स्थानों एवं लोगों की बराबरी में लाने के लिए विशेष जतन की जरूरत है। जब हम संविधान के प्रावधानों पर चिंतन-मनन करते हैं, अवसरों की बराबरी की बात करते हैं, न्याय की बात करते हैं, व्यक्ति की गरिमा की बात करते हैं तो हमारी आंखों के सामने उसी तबके के चेहरे अधिक नजर आते हैं, जो बुनियादी सुविधाओं से वंचित रह गए।
*राज्य सरकार ने बीपीएल परिवारों के हक और हित में उठाए बड़े कदम*
श्री बघेल ने कहा कि हमारी सरकार ने बीते दो वर्षों में विशेषकर इन तबकों के हक और हित में बड़े कदम उठाए हैं। गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की बहुतायत को देखते हुए तथा उन्हें राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने की चुनौती स्वीकार करते हुए हमने पूना माड़ाकाल दंतेवाड़ा कार्यक्रम शुरू किया, जो ऐसे अन्य जिलों में भी तेज विकास के लिए नवाचार का आधार बनेगा। इस अभियान से दंतेवाड़ा जिले में 10 माह में कुपोषण की दर 26 प्रतिशत कम हुई। 500 एकड़ भूमि लघु उद्योगों के लिए चिन्हांकित की गई। रोजगार के नए अवसर बने। स्थानीय लोगों को जोड़कर 4 कारखाने शुरू किए गए हैं, जो रेडीमेड परिधानों के नए ब्रांड डैनेक्स (दंतेवाड़ा नेक्स्ट) को राष्ट्रीय स्तर पर बाजार में उतारेंगे। लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की जमीन वापसी और जगरगुंडा में 13 साल बाद स्कूलों में रौनक वापसी हुई। मेहरार चो मान बेटियां के स्वाभिमान का अभियान बना तो आमचो बस्तर स्वावलम्बन का नया प्रतीक। मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजनाएं, कुपोषण और मलेरिया मुक्ति का आगाज भी बस्तर से हुआ, जो आगे चलकर पूरे प्रदेश के लिए एक नजीर और प्रेरणा स्रोत बना।
*दूरसंचार टॉवर व हवाई सेवाओं से बस्तर में एक नए युग की शुरूआत*
*झीरम गांव में आजादी के 73 साल बाद पहुंची बिजली*
मुख्यमंत्री ने कहा कि आकांक्षी जिलों की देशव्यापी डेल्टा रैंकिंग में बीजापुर देश में अव्वल आया। आकांक्षी जिलों के अन्य मापदण्डों में कोण्डागांव, नारायणपुर और सुकमा जिले ने भी अपना झण्डा गाड़ा। झीरम गांव में आजादी के 73 साल बाद बिजली पहुंचने की जितनी खुशी बस्तरवासियों को है, उससे अधिक खुशी हमें है। बस्तर में 400 के.व्ही. से लेकर 132 के.व्ही. का ऐसा अति उच्च दाब नेटवर्क बनाया गया, जिससे बस्तर में दोहरी-तिहरी बिजली आपूर्ति की व्यवस्था हो। इसी प्रकार सौर ऊर्जा से घरों, अस्पतालों, शालाओं, आश्रमों को रोशन करने के कीर्तिमान बने, ताकि बिजली की शक्ति भी आदिवासी समाज की शक्ति बने। बस्तर को दूरसंचार टॉवर व हवाई सेवाओं से जोड़कर सुगम सम्पर्क का एक नया युग भी शुरू किया गया। दशकों से वनोपज के नाम पर तेंदूपत्ता संग्रहण को सीमित तौर पर आजीविका का साधन बनाकर रखा गया था, हमने संग्रहण पारिश्रमिक 2 हजार 500 रूपए से बढ़ाकर 4 हजार प्रति मानक बोरा किया, शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के माध्यम से इस काम में लगे परिवारजनों को सुरक्षा और बेहतरी का सुरक्षा कवच उपलब्ध कराया। इसके साथ ही 7 से बढ़ाकर 52 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की शुरुआत की तथा वनांचल में प्रसंस्करण केन्द्रों की स्थापना पर जोर दिया।
*वन अधिकार पट्टाधारियों से भी समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का निर्णय*
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन अधिकार दावों के निरस्त हो जाने से अनुसूचित जनजाति तथा परंपरागत वन निवासियों में बेहद निराशा थी, हमने निरस्त दावों की पुनः समीक्षा से बड़े पैमाने पर काबिज जमीन का विधिवत अधिकार देकर बड़े पैमाने पर आशा का संचार किया। सामुदायिक वन अधिकार पत्र तथा सामुदायिक वन संसाधन पत्र देने के नए उपायों को बड़ी सफलता मिली। अब हमने वन अधिकार पट्टाधारियों से भी समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का निर्णय लिया है। मुझे विश्वास है कि आदिवासी समाज के सम्मान व स्वावलम्बन में इस पहल का दूरगामी असर होगा। मैं चाहूंगा कि पट्टाधारी किसान इस पहल का भरपूर लाभ उठाएं।
*राम वनगमन पर्यटन परिपथ से होगा स्थानीय विकास और आजीविका के नए साधनों का निर्माण*
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान राम के वनवास से जुड़े प्रसंग लोक आस्था का विषय हैं। छत्तीसगढ़ के लोक मानस में वनवासी राम की स्मृतियां बसी हैं लेकिन बीते दौर में संबंधित प्रसंगों तथा चर्चित स्थलों के विकास के लिए समुचित उपाय नहीं किए जाने से इन स्थलों की चमक धूमिल पड़ गई थी। हमारी सरकार ने जो राम वनगमन पर्यटन परिपथ विकसित करने का बीड़ा उठाया है, उससे स्थानीय विकास तथा आजीविका के नए साधनों का निर्माण भी होगा।
*जल संसाधनों के विकास में बोधघाट परियोजना का होगा अहम योगदान*
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने आगामी 5 वर्षों में जल संसाधनों के विकास की जो रणनीति बनाई है, उसमें बोधघाट परियोजना का अहम योगदान होगा। यह परियोजना न सिर्फ बस्तर की जीवन-रेखा इंद्रावती को नवजीवन देगी, बल्कि मुआवजा तथा पुनर्वास पैकेज के निर्धारण के नए कीर्तिमान भी रचेगी। इसमें प्रभावित क्षेत्र के निवासियों की सहमति तथा भागीदारी की निर्णायक भूमिका होगी।
*विकास प्राधिकरणों से बढ़ा स्थानीय नेतृत्व को सम्मान*
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी अंचलों में स्थानीय नेतृत्व को सम्मान और अधिकार देने के लिए हमने बस्तर, सरगुजा तथा मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरणों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नियुक्ति भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों से की है और उन्हें क्षेत्रीय विकास के निर्णय लेने हेतु व्यापक अधिकार दिए हैं। सरकार की सेवाएं जनता के निकट ले जाने के लिए हमने गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिला तथा 24 नई तहसीलों का गठन भी किया। इस प्रकार क्षेत्रीय असंतुलन समाप्त करने तथा प्रदेश के सर्वांगीण विकास में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग के साथ ही ऐसे क्षेत्रों को तवज्जो दी गई है, जो अब तक उपेक्षा के शिकार थे।
*कमजोर तबकों को न्याय दिलाने करेंगे हर चुनौती का सामना: सर्वाधिक धान खरीदी का बना कीर्तिमान*
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों, ग्रामीणों, भूमिहीनों के साथ आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को न्याय दिलाने का वादा पूरा करने के लिए हम हर चुनौती का सामना करने को तैयार हैं। हमारे किसान भाइयों, बहनों और उनके परिवारजनों के लिए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी बहुत बड़ा आसरा है। यह काम बड़ी सोच और व्यवस्थित ढंग से करने पर इसका लाभ कितने अधिक परिवारों तक पहुंचाया जा सकता है, इसकी मिसाल दो वर्षों में पंजीकृत और धान विक्रेता किसानों की लगातार बढ़ी संख्या है। हमारे जिम्मेदारी संभालने के पहले लगभग 15 लाख किसानों का पंजीयन ही हुआ था, जबकि इस साल 21 लाख 52 हजार 485 किसानों का पंजीयन हुआ है। वहीं पंजीकृत रकबा भी 24 लाख 46 हजार से बढ़कर लगभग 28 लाख हेक्टेयर हो गया है। विगत 2 वर्षों की तरह इस बार भी हमने सर्वाधिक धान खरीदी का नया कीर्तिमान बना लिया है। एक नई पहल के तहत बहुत बड़ी मात्रा में खुले में संग्रहित धान को खराब होने से बचाने के लिए गांवों में 7 हजार से अधिक धान संग्रहण चबूतरों का निर्माण किया गया है। हमने धान सहित 14 तरह की फसल लेने वाले किसानों को आर्थिक मदद देने के लिए ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना‘ शुरू की थी और किसानों को 5 हजार 700 करोड़ रुपए देने का वादा किया था, तीन किस्तों में जिसका 80 प्रतिशत भुगतान किया जा चुका है। इसी वित्तीय वर्ष में शतप्रतिशत भुगतान भी कर दिया जाएगा। यह योजना फसल विविधीकरण व किसानों के आर्थिक सशक्तीकरण का लक्ष्य भी साधेगी।
*सुराजी गांव योजना से गांवों में नवाचार और रोजगार के खुले नये द्वार*
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से 5 माह में लगभग 72 करोड़ रुपए का भुगतान सरकारी दर पर गोबर विक्रेताओं को किया गया है। इस योजना से बड़ी संख्या में भूमिहीनों, महिलाओं तथा कमजोर तबकों को लाभ मिला है। सुराजी ग्राम योजना के तहत नरवा, गरवा, घुरवा, बारी के विकास से गांवों में नवाचार और रोजगार के नए द्वार खुले हैं। इससे न सिर्फ भूमि की उत्पादकता बढ़ रही है, जल संसाधनों का विकास हो रहा है, फल-सब्जी के उत्पादन से गांवों में कुपोषण से लड़ने के साधन जुट रहे हैं, बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन हो रहा है बल्कि वर्मी कम्पोस्ट और गोबर से विभिन्न कलात्मक वस्तुओं का उत्पादन होने लगा है, जो आगे चलकर जैविक उत्पादों के बड़े बाजार में छत्तीसगढ़ की बड़ी हिस्सेदारी सुनिश्चित करेगा। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारी योजनाओं से महिलाएं और युवा साथी बड़ी संख्या में जुड़े हैं। शिक्षा से लेकर संस्कार तक, कौशल से लेकर रोजगार तक, प्रतिभाओं की परख से लेकर विस्तार तक, नए विश्वास का वातावरण बना है। निःशुल्क शिक्षा का दायरा कक्षा 12वीं तक बढ़ाना, स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना, छत्तीसगढ़ खेल विकास प्राधिकरण, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद, राष्ट्रीय स्तर की खेल अकादमी, निःशुल्क खेल प्रशिक्षण केन्द्र, दो नये विश्वविद्यालय, दर्जनों नये महाविद्यालय, मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन योजना की नई गाइड लाइन जैसे उपायों ने युवाओं की आंखों को नए सपने दिए हैं। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर भागीदारी, नौकरी तथा रोजगार के अवसरों से सपनों में सफलता के नए-नए रंग भी भरे जा रहे हैं। विभिन्न विभागों द्वारा ब्लॉक स्तर पर किए जाने वाले निर्माण कार्य में युवा बेरोजगारों को एक बार में 20 लाख रुपए तथा वर्ष में अधिकतम 50 लाख रूपए तक कार्य आबंटित करने के लिए ’ई-श्रेणी एकीकृत पंजीयन’ की व्यवस्था की गई है। इस योजना में सामान्य क्षेत्रों के स्नातकों तथा अनुसूचित क्षेत्रों में हायर सेकेण्डरी उत्तीर्ण युवाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई है। इसके अतिरिक्त एक अन्य योजना में बेरोजगार डिग्रीधारी तथा डिप्लोमाधारी इंजीनियरों एवं राजमिस्त्रियों के लिए पृथक निविदा प्रक्रिया की व्यवस्था की गई है। इसी तरह विभिन्न क्षेत्रों में कुछ नया करने वाले युवाओं तथा संस्थाओं के नवाचारों को मान्यता, बाजार तथा उद्यमिता विकास के अवसरों से जोड़ने के लिए नवप्रवर्तक प्रोत्साहन योजना शुरू की गई है। इसके अंतर्गत नवाचार हेतु अनुदान, प्रोटोटाइप विकास, बौद्धिक सम्पदा के रूप में पंजीयन आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
*दो वर्षों में औसतन 2 हजार बसाहटों में प्रतिवर्ष पहुंचाई बिजली*
मुख्यमंत्री ने कहा कि नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने की जिम्मेदारी संभालने के लिए हमारी नई पीढ़ी नए जोश और नई तैयारी के साथ आगे आ रही है। हमने नई सोच के साथ अधोसंरचना के विकास को गति दी ताकि जल्दी से जल्दी उसका लाभ वास्तविक आवश्यकताओं के क्षेत्र में मिले। उदाहरण के लिए विगत 18 वर्षों में प्रतिवर्ष औसतन 1 हजार 300 मजरों-टोलों में बिजली पहुंचाई जाती रही, जबकि हमने दो वर्षों में औसतन 2 हजार बसाहटों में प्रतिवर्ष ग्रिड से बिजली पहुंचाई। इसके अलावा जहां यह साधन नहीं है वहां सौर ऊर्जा से घरों को रोशन किया गया। इसी प्रकार दो वर्षों में 63 हजार सिंचाई पम्पों का ऊर्जीकरण, उपकेन्द्र, लाइन विस्तार आदि कार्य भी अपेक्षाकृत तेज गति से किए गए। कुशल प्रबंधन के कारण इस वर्ष हमारे ताप बिजली घरों का पी.एल.एफ. भी देश में सर्वोच्च स्तर 70 प्रतिशत को पार कर गया। इस प्रकार एक ओर विद्युत विकास की बड़ी उपलब्धियां राज्य के खाते में आई हैं तो उसका लाभ भी आम जनता को दिया गया है। ‘हाफ बिजली बिल योजना’ से अब तक 38 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को 1 हजार 336 करोड़ रूपए की राहत दी गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने जल संसाधन विकास का काम भी व्यावहारिक सोच के साथ किया है, जिसके कारण वास्तविक सिंचाई का सर्वाधिक लाभ किसानों को मिल रहा है। 5 वर्षों में सिंचाई क्षमता दोगुनी करने के लिए एक ओर जहां पुरानी योजनाओं को शीघ्रता से पूरा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर 15 नई वृहद सिंचाई परियोजनाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है। प्रदेश में जल संसाधन विकास को उच्च प्राथमिकता देने और समग्र पहलुओं पर सार्थक पहल के लिए नई जल संसाधन नीति तैयार की जा रही है। हम स्पष्ट रणनीति बनाकर ऐसी सड़कें बना रहे हैं, जिसमें कृत्रिम सजावट के स्थान पर गुणवत्ता, उपयोगिता तथा उस पर ज्यादा से ज्यादा लोगों की पहुंच की प्रधानता रहे। इस तरह जवाहर सेतु योजना, ‘मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना’, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं विकास योजना, प्रधानमंत्री सड़क योजना के माध्यम से सैकड़ों पुल-पुलिया तथा 4 हजार किलोमीटर से अधिक सड़कें बनाई जा रही हैं।
मनरेगा में बना देश में सर्वाधिक रोजगार देने का कीर्तिमान: योजनाओं के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय स्तर पर अव्वल रहा
मुख्यमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत न सिर्फ देश में सर्वाधिक रोजगार देने का कीर्तिमान बनाया गया बल्कि इसके अभिसरण से अनेक नवाचार किए जा रहे हैं, जिसमें आंगनवाड़ी केन्द्रों के निर्माण सहित अनेक कार्य हो रहे हैं। लगभग 5 हजार गौठानों का निर्माण पूर्ण किया गया है तथा गौठानों में लगभग 43 हजार वर्मी कम्पोस्ट टंकी बनाई गई है। लगभग 3 हजार चारागाह विकसित किए गए हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, बायोगैस संयंत्रों की स्थापना, ओडीएफ प्लस पंचायतों का विकास जैसी अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय स्तर पर अव्वल रहा है।
*स्वास्थ्य सुविधाओं को घर तक पहुंचाने की रणनीति*
श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हमने स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास को भी ऐसे अधोसंरचना विकास के रूप में देखा जिसमें पहुंच की भूमिका ज्यादा हो। इस तरह हमने विद्यमान स्वास्थ्य केन्द्रों में ज्यादा अवधि तक कार्य करने, ज्यादा सुविधाएं जुटाने और ज्यादा मरीजों के लिए आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने की रणनीति अपनाई। हमारी इसी तैयारी की वजह से कोरोना संकट के दौरान लोगों को राहत देने और उपचार की व्यवस्था संभव हुई। कोरोना की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों का उन्नयन और सेवाओं का विस्तार तत्परता से करना संभव हुआ। राज्य की सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों में मरीजों का सही समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाना भी बड़ी समस्या थी, जिसके समाधान के लिए हमने समुदायों और लोगों के घरों तक पहुंचने की रणनीति अपनाई। इस तरह मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना का विस्तार शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना, दाई-दीदी मोबाइल क्लीनिक योजना, मिनीमाता डायग्नोस्टिक सेंटर योजना आदि स्वरूपों में जांच व उपचार की सुविधाएं जन-जन व घर-घर तक पहुंचीं।
डाॅ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना तथा मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य योजना से
*मरीजों को मिला नया जीवन*
मुख्यमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक धन तथा मरीजों को बीमा योजनाओं के जंजाल से निकालते हुए हमने डाॅ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना तथा मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य योजना शुरू की, इस तरह सामान्य बीमारियों से लेकर दुर्लभ बीमारियों तक के निःशुल्क इलाज की व्यवस्था की गई और बहुत से मरीजों को 20 लाख रूपए तक निःशुल्क इलाज की सुविधा से नया जीवन मिला। हमारी इस पहल की सराहना भी राष्ट्रीय स्तर पर हुई है। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की रणनीतिक सफलता का परिणाम एक वर्ष में 65 प्रतिशत मलेरिया नियंत्रण है। अब इसी प्रकार सघन अभियान से सरगुजा तथा समूचे छत्तीसगढ़ को भी मलेरिया मुक्त बनाया जाएगा।
*प्रदेश की 97 प्रतिशत आबादी को पोषण सुरक्षा: 99 हजार बच्चे हुए कुपोषण मुक्त*
मुख्यमंत्री ने कहा कि सेहत के साथ सुपोषण का गहरा नाता होता है। हमने सार्वभौम पीडीएस योजना लागू करके प्रदेश की 97 प्रतिशत आबादी को पोषण सुरक्षा दी है। मुख्यमंत्री सुपोषण योजना से एक वर्ष में 99 हजार बच्चों का कुपोषण मुक्त तथा 20 हजार महिलाओं का एनीमिया मुक्त होना एक बड़ी उपलब्धि है। सामुदायिक भागीदारी और डीएमएफ जैसी निधियों के उपयोग की इसमें बड़ी भूमिका रही है। हमने डीएमएफ के उपयोग के लिए जो नई गाइड लाइन जारी की थी, उससे शिक्षा, पोषण, रोजगार तथा पुनर्वास में जो मदद मिली है, वह भी हमारी सोच और सही दिशा का प्रतीक है।
*‘छत्तीसगढ़ माॅडल’ की पूरे देश में चर्चा*
*किसानों-कर्मवीरों-वन आश्रितों-स्थानीय कलाओं के लिए खोला सरकारी खजाना*
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के बाहर ‘छत्तीसगढ़ माॅडल’ की खूब चर्चा होती है। जगजाहिर है कि हमें विराट जनादेश तो मिला लेकिन हमारी सरकार को विरासत में खाली-खजाना मिला था। लोगों को न्याय का इंतजार था, इसलिए तात्कालिक राहत के साथ दूरगामी विकास के कदम भी उठाने थे। हमने इस स्थिति का मुकाबला गांधी-नेहरू-शास्त्री-पटेल-आजाद-डाॅ. अम्बेडकर जैसे मनीषियों की वैचारिक विरासत से किया। सादगी, सरलता, जन विश्वास और राज्य के संसाधनों के सम्मान और वेल्यू एडीशन को मूलमंत्र बनाया। किसानों-कर्मवीरों-वन आश्रितों-स्थानीय कलाओं के लिए सरकारी खजाना खोल दिया। कमजोर माली हालत वाले लोगों के लिए राहत का पिटारा खोल दिया। इस तरह गांव से लेकर शहर तक आर्थिक गतिविधियों का थमा हुआ पहिया घूमने लगा। गांवों-घरों में पहुंचे पैसों से बाजारों की रौनक लौटी तो इसकी चमक भी अन्य प्रदेशों ने देखी। इस दौर में हमारी माताओं-बहनों ने जिस तरह धीरज, साहस और रचनाशीलता के साथ गौठानों में, स्व-सहायता समूह में, बिहान समूहों में गोबर की कलाकृतियां, मास्क, सेनेटाइजर तथा अन्य वस्तुएं बनाकर योगदान दिया, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है। कोरोना महामारी और लाॅकडाउन के दौर में भी छत्तीसगढ़ में उत्पादन और विकास का पहिया चलता रहा।
*कोरोना वैक्सीन की खोज करने वाले वैज्ञानिकों को किया नमन: प्रदेशवासियों से टीकाकरण अभियान सफल बनाने मांगा सहयोग*
मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सबने कोरोना संकट के दौर में न केवल खुद को संभाला, अपने संपर्क में आने वाले लोगों को संभाला बल्कि प्रदेश को भी संभाल लिया। लाखों प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित व सफल घर वापसी हुई। उन्हें छत्तीसगढ़ महतारी के आंचल में अपनी नई जिंदगी शुरू करने का अवसर मिला। कोरोना के वैक्सीन की खोज करने वाले महान वैज्ञानिकों को नमन करते हुए मैं आव्हान करता हूं कि समस्त प्रदेशवासी टीकाकरण के अभियान को सफल बनाने में भी सहयोग प्रदान करें। विकास के छत्तीसगढ़ माॅडल की सफलता यह आश्वस्त करती है कि आने वाला कल चुनौतियों का नहीं बल्कि ऐसे अवसरों का होगा जिससे आपकी खुशहाली की नई इबारतें लिखी जाएंगी। मैं सोचता हूं कि आपको साधुवाद देने के लिए गणतंत्र दिवस से बेहतर अवसर कोई और हो ही नहीं सकता। मैं वादा करता हूं कि छत्तीसगढ़ के कर्मवीरों और श्रमवीरों के कल्याण के लिए उठाए गए हमारे विभिन्न कदम, बेहतरी के नए सोपानों की ओर बढ़ेंगे।
*नये उद्योगों में 43 हजार करोड़ रूपए का निवेश: 64 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार*
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी नीतिगत पहल और आप सबके अच्छे व्यवहार ने ही राज्य में निवेश का सकारात्मक वातावरण बनाया है, जिसके कारण विगत दो वर्षों में नए उद्योगों की स्थापना के लिए 43 हजार करोड़ रूपए के निवेश तथा इनमें ही 64 हजार लोगों को रोजगार देने की स्थिति बनी है। हमारा प्रदेश, देश में निवेशकों के सबसे पसंदीदा राज्य के रूप में उभरा है। हमने अनेक नवाचारी क्षेत्रों में निवेश के लिए आकर्षक प्रावधान किए हैं। सरोधा-दादर, सतरेंगा, राम वनगमन परिपथ, सिरपुर बौद्ध पर्यटन परिपथ आदि हमारी सोच को आकार देने के प्रयास के रूप में सामने हैं, जिससे छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान भी मिलेगी।
*चिटफंड कंपनियों के शिकार लोगों को न्याय दिलाने की पहल*
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते दौर में जनता के खून-पसीने की कमाई चिटफंड कंपनियों में निवेश कराने को लेकर जो अन्याय हुआ था, इसके शिकार लोगों को न्याय दिलाने की पहल भी हमने की है, जिसके तहत 163 चिटफंड कंपनियों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किए गए और ऐसी कंपनियों के 647 पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया। दोषी कंपनियों की सम्पत्ति की जब्ती और कुर्की करने की जटिल कार्यवाही को अंजाम देते हुए आधा दर्जन जिलों के निवेशकों को 10 करोड़ रूपए की आंशिक राशि लौटाने में सफलता भी मिली है।
*विश्वास, सुरक्षा और विकास की रणनीति से नक्सली वारदातों में कमी*
प्रदेशवासियों के मन में सुरक्षा का विश्वास दिलाने में सुरक्षा बलों की महत्वपूर्ण भूमिका का सम्मान करते हुए उनके लिए अनेक कल्याणकारी कदम उठाए गए हैं। हमारी विश्वास, सुरक्षा और विकास की रणनीति का परिणाम नक्सली वारदातों तथा अन्य आपराधिक घटनाओं में कमी के रूप में सामने आया है।
*नगरनार इस्पात संयंत्र खरीदने छत्तीसगढ़ सरकार तैयार*
सार्वजनिक उपक्रमों को भारत की अर्थव्यवस्था का मेरूदंड बनाया गया था। विडम्बना है कि मेरूदंड को कमजोर करने की कोशिशें हो रही हैं। हमने छत्तीसगढ़ विधानसभा के मंच पर यह शासकीय संकल्प लिया है कि यदि बस्तर में बनाए जा रहे नगरनार इस्पात संयंत्र को निजी हाथों में बेचने की कोशिश की जाती है तो छत्तीसगढ़ सरकार इस संयंत्र को खरीदने को तैयार है। आज मैं गणतंत्र दिवस के अवसर पर आप सब लोगों के सामने अपना यह संकल्प दोहराता हूं। इस तरह हम आपके जल-जंगल-जमीन के साथ ही आपके संसाधनों और अवसरों की रक्षा के लिए भी संकल्पबद्ध हंै। मेरी कामना है कि आप सब अपनी पूरी लगन और समर्पण के साथ अपने निर्धारित लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ते जाइए। हमारी सरकार की विभिन्न योजनाओं में पूरी भागीदारी निभाइए। आज हम सबको मिलकर नवा छत्तीसगढ़ गढ़ना है।
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