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छत्तीसगढ़ :  रायपुर, 29 जनवरी 2019  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि आम नागरिकों की समस्याओं का निराकरण उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता है। समस्याओं को ढकने या मैनेज करने के बजाय समस्याओं का स्थाई हल निकालने पर अधिकारी जोर देना चाहिए। बघेल ने आज रायपुर के नवीन विश्रामगृह के सभागार में आयोजित कलेक्टर काॅन्फ्रेंस में ये उद्गार व्यक्त किए।

मुख्यमंत्री बैठक में राज्य शासन के वरिष्ठ अधिकारियों सहित संभाग के कमिश्नरों, पुलिस महानिरीक्षको, कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से रूबरू होकर बातचीत की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि आम नागरिकों को अपनी छोटी-छोटी समस्याओं के निराकरण के लिए भटकना ना पड़े। तहसील स्तर की समस्या का निराकरण तहसीलदार स्तर पर, थाना स्तर की समस्या थाना स्तर पर और जिला स्तर की समस्या का निराकरण जिला स्तर पर होना चाहिए। नामांतरण, बटवारा, सीमांकन, बिजली कनेक्शन लेने जैसी स्थानीय स्तर पर ही निराकृत होने सकने वाली समस्या के हल के लिए नागरिकों को राजधानी तक भटकने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे अपने अधिकारियों पूरा भरोसा है और वे सुनिश्चित करेंगे की शासकीय अमला जनहित के कार्यों को बेहतर रूप से क्रियान्वित करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्षों से जंगलों में रह रहे पात्र वनवासियों को वन अधिकार पत्र मिलना चाहिए। उन्होंने सामुदायिक एवं व्यक्तिगत दावंे के प्रकरणों की समीक्षा कर लंबित प्रकरणों के निराकरण के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वन, राजस्व और आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी समन्वय से देखे कि वन अधिकार अधिनियम का पालन हो तथा बड़ी संख्या में निरस्त किए गए पट्टों की फिर से समीक्षा की जाए। उन्होंने भविष्य में जंगलों को अतिक्रमण से बचाने के लिए समुदाय का भी सहयोग लेने पर जोर दिया। डीएमएफ कार्यों की हो समीक्षा  मुख्यमंत्री ने जिला खनिज न्यास निधि (डीएमएफ फंड) की राशि का इस्तेमाल खनन प्रभावित क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासी एवं ग्रामीणों की शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवन स्तर के सुधार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अगर इस फंड का उपयोग प्रभावित क्षेत्रों में स्कूलों में अच्छे शिक्षकों की व्यवस्था करने, अस्पतालों में डाॅक्टरों की नियुक्ति करने, पशुओं के जीवनरक्षा के लिए किया जाता है, तो उसका स्वागत है। केवल बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनाने से लोगों के जीवन स्तर पर अंतर नहीं आएगा। उन्होंने डीएमएफ के कार्यों की समीक्षा करने को भी कहा। नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी‘ से होगा अमूलचूल परिवर्तन  मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी‘ की परिकल्पना से ग्रामीण क्षेत्रों की दशा में अमूलचूल परिवर्तन आएगा और ग्रामीण स्वावलंबन की अर्थव्यवस्था की दिशा में अच्छा कार्य होगा। ग्रामीण क्षेत्र के लोग पहले गांव के बाहर से केवल नमक लेते थे, शेष जरूरत की सभी चीजें गांव में ही पैदा कर लेते थे, लेकिन आज गांव के लोग रोजगार तथा सामग्री के लिए शहरों की ओर भाग रहे है। इसे बदलने की जरूरत है। मुख्यमंत्री अपने धाराप्रवाह उद््गार में ‘नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी‘ के एक-एक बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की, इसके माध्यम से जल संसाधनों को बढ़ाने, पशुधन का संवर्धन करने, जैविक खाद के माध्यम से फसलों की उत्पादकता बढ़ाने, रोजगार के अवसर बढ़ाने, सब्जी, फल जैसे पोषक कृषि उत्पाद बढ़ाने को कहा। उन्होंने कहा कि जहां  सरफेस वाॅटर जैसे नदी-नालों के उद्गम से लेकर बड़ी नदी तक पहुंचते तक बोल्डर डेम, चेक डेम तथा स्टाप डेम आदि के माध्यम से जल स्तर को बढ़ाने की जरूरत है वहीं जमीन के नीचे के जल को सुरक्षित बनायें रखने की भी जरूरत है। इससे भू-क्षरण रूकेगा और वाॅटर रिचार्जिंग भी होगा। उन्होंने अधिकारियों से अपने ज्ञान, अनुभव तथा उच्च तकनीकी जैसे सेटेलाईट इमेजिंग, जीआईएस के माध्यम से ऐसी व्यवस्था बनाने पर जोर दिया जिससे नदियों में ज्यादा से ज्यादा समय तक पानी उपलब्ध रहे तथा अधिक वर्षा में भी डुबान की स्थिति नहीं आए। ‘डे केयर सेन्टर‘ की तरह कार्य करें गौठान मुख्यमंत्री ने अपने सार्वजनिक जीवन और छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जनजीवन के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए हमें व्यवहारिक दृष्टि अपनाने की जरूरत है। उन्होंने सभी गांवों में गौठानों के लिए 3-4 एकड़ से जगह चिन्हांकित करने के निर्देश दिए, जो पशुधन के लिए ‘डे केयर सेन्टर‘ की तरह कार्य करें। उन्होंने कहा हमारे मवेशी समृद्ध पशुधन है लेकिन प्रबंधन नहीं होने, फसलों को चरने के कारण अब ये लोगों को बोझ लगने लगे है, उनके सड़कों में खुले घूमने से दुर्घटना भी हो रही है। छत्तीसगढ़ की मवेशी भले दुध कम देते हो लेकिन उनमें बीमारियों से लड़ने की अधिक ताकत है और उनका गोबर भी बेहद उपयोगी है। हर कलेक्टर पशुधन संर्वधन के लिए गौठान के माध्यम से कार्ययोजना बनाएं।

मुख्यमंत्री ने गांवों में गौठानों को इस प्रकार बनाया जाए, मवेशियों को पानी और छाया मिले और उनके गोबर का उपयोग गोबर गैस प्लांट, कम्पोस्ट प्लांट और वर्मी कम्पोस्ट प्लांट बनाने में किया जाए। यहां पैरा कुट््टी मशीन भी लगाए, जिससे पशुओं को अच्छा आहार मिले। गोबर गैस का उपयोग गांव में ईधन या गैस चूल्हा जलाने में भी किया जाए जिससे उज्जवला गैस में लगने वाली बड़ी राशि में कमी आए। उन्होंने गांव में चारागाह विकास करने, जिससे उन्हें हरा चारा मिलें। उन्होंने कहा इन कार्यो से गांवों में रोजगार के साधन बढे़ंगे, कृषि को बढ़ावा मिलेगा तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।

मुख्यमंत्री ने फसल बीमा योजना की जानकारी लेते हुए अधिकारियों से पूछा कि इसका पूरा लाभ किसानों को क्यों नहीं मिल पा रहा है? कलेक्टरों ने इसके विभिन्न प्रावधानों की जानकारी दी और बताया कि बीमा व्यक्तिगत रूप से किया जाता है कि लेकिन फसल खराब होने का आकलन रेंडम आधार पर चयनित खेतों में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर ग्राम पंचायतवार होता है। बैठक में मुख्यमंत्री ने धान के सुरक्षित भंडारण के निर्देश दिए तथा छत्तीसगढ़ लोक सेवा गारंटी अधिनियम के अंतर्गत समय सीमा में सेवाएं प्रदान करने कहा। नागरिकों को मिले शुद्ध पेयजल: मानव जीवन के साथ नहीं हो खिलवाड़ मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पहले जो पानी 60-70 फीट में मिल जाता था अब वो वह 300-400 फीट में मिलता है। रायपुर शहर में अभी भी टंेकरों के माध्यम से पानी सप्लाई हो रही जो दुख की बात है। उन्होंने वर्षा का जल का संचय करने तथा वाटर रिर्चारिंग सिस्टम लगाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रायगढ़, कोरबा, दुर्ग जिले के कुछ खनन क्षेत्रों में शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है। उन्होेंने कहा हम आयरन, फ्लोराइट और आर्सेनिक की जांच तो करते है लेकिन हेवी मेटल की जांच नहीं होती। मानव जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए और ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए गहराई से जाकर ठोस प्रयास किए जाने चाहिए। मुख्यमंत्री ने गरियाबंद जिले कलेक्टर को निर्देश दिया कि सूपाबेड़ा क्षेत्र पास की तेल नदी से पाइप लाइन बिछाकर ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल प्रदान करें। मुख्यमंत्री ने पुराने जल संसाधनों के स्ट्रक्चरों का भी अवलोकन कर उसका बेहतर से बेहतर उपयोग करने को कहा। मेडिकल काॅलेज और जिला चिकित्सालयों को बनाए उत्कृष्ट मुख्यमंत्री ने संभाग के कमिश्नरों और जिला कलेक्टरों से कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से मेडिकल काॅलेजों और जिला चिकित्सालयों का अवलोकन करें, अस्पतालों की साफ-सफाई अच्छी रखवायें और इनकी कमियों को दूर करते हुए इसमें सुधार लाए, जिससे ये निजी क्षेत्रों के अच्छें चिकित्सालय की तरह उत्कृष्ट बनें। उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित करने कि जरूरत है कि उपलब्ध संसाधनों का सही उपयोग हो, चिकित्सालय समय पर खुलें और वे अपनी अच्छी सेवाएं दें। उन्होेंने कहा हमारे प्रदेश में बड़ी संख्या में सिकिलसेल बीमारी से नागरिक प्रभावित है, मगर इसके उत्कृष्ट रिसर्च के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं है। इस दिशा में कार्य किए जाने की जरूरत है। जंगलों में करें फलदार बीजों का छिड़काव मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों के लोग बन्दर और सुअरों से परेशान है, खेतों में भी जंगली जानवर नुकसान पहुंचाते है। यह जरूरी है कि हमारे वन क्षेत्र जो रिकार्ड में करीब 44 प्रतिशत है, में फलदार जैसे अमरूद, सीताफल आदि के पौधे बहुतायत से लगे। हेलीकाॅप्टर या अन्य साधनों से फलदार पौधों के बीज का छिड़काव कर जंगलों को और अधिक समृद्ध तथा सघन बनाया जा सकता है। इससे इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी सहारा और आसरा मिलेगा। उन्होंने कहा कि कांकेर जैसे जिलों में सीताफल प्राकृतिक रूप से बहुतायत से उपलब्ध है। इन जैविक उत्पादों जो बिना किसी रसायन के उत्पन्न हो रहे है, की मार्केटिंग करने तथा ब्राडिंग करने की जरूरत है। इससे समीप के वन क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। राज्य के किसानों का सही आंकड़ा तैयार करें मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से पूछा कि आखिर छत्तीसगढ़ में किसानों की संख्या कितनी है? उन्होंने कहा कि धान पंजीयन में किसानों की संख्या साढ़े सोलह लाख, सहकारी बैंक में किसानों की संख्या 26 लाख और कृषि विभाग में किसानों की संख्या 37 लाख है। उन्होंने कहा कि किसानों से संबंधित सही आंकड़ा तैयार करें। मानव तस्करी के प्रकरणों पर प्रभावी कार्रवाई करने को कहा  मुख्यमंत्री बघेल ने पुलिस अधीक्षकों से कहा कि वे प्रदेश में सट्टा-जुआ, अवैध शराब, सामाजिक अपराध आदि पर कड़ाई से अंकुश लगाएं तथा कानून और व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने के साथ बेसिक पुलिसिंग कार्य पर जोर दें। इस अवसर पर बताया गया कि राज्य में करीब 27 हजार मानव तस्करी के प्रकरण हैं। सरगुजा संभाग के जिलों विशेष कर जशपुर में मानव तस्करी की समस्या विशेष हैं। मुख्यमंत्री ने सभी पुलिस अधीक्षकों को ऐसे मामलों में त्वरित होकर प्रभावी कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने प्रदेश में पलायन की स्थिति की जानकारी भी ली। कलेक्टर ने बताया कि ग्राम पंचायत में पंजीयन किया जाता है, थानों में भी जानकरी संकलित की जाती है और लेबर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है। मुख्यमंत्री ने मनरेगा के माध्यम से कराए जा रहे कार्यों की भी जानकारी ली। उन्होंने ग्रीष्म ऋतु की दृष्टि से अभी से पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा। 31 जनवरी तक होगी धान की खरीदी बैठक में मुख्य सचिव कुजूर ने कहा कि धान खरीदी 31 जनवरी तक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कार्य को टोकन के माध्यम से व्यवस्थित तरीकें से करे, जिससे आखिरी दिन किसानों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं जाए। सहकारिता विभाग की सचिव ने बताया कि सभी जिलों में बचाव के लिए पर्याप्त संख्या में तारपोलीन आदि की व्यवस्था की गई है। खराब हुए मौसम से किसी भी जिले से धान खराब होने से जानकारी नहीं है। मुख्य सचिव ने कहा कि ‘नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी‘ कार्ययोजना मुख्यमंत्री के दिलों दिमाग से जुड़ी योजना है। यह योजना राज्य शासन की ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए फ्लैगशिप योजना है। बैठक में पुलिस महानिदेशक डी.एम. अवस्थी, अपर मुख्य सचिव सर्वश्री अमिताभ जैन, के.डी.पी. राव, आर.पी. मंडल, सी.के. खेतान, मुख्यमंत्री के सचिव गौरव द्विवेदी सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

HNS24 NEWS

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