मंतूराम के नये खुलासों के बाद रमन में जरा भी नैतिकता बची हो तो राजनीति से सन्यास ले लें : सुशील आनंद
HNS24 NEWS September 20, 2019 0 COMMENTSरायपुर/19 सितंबर 2019। मंतूराम जैसे-जैसे मुंह खोल रहे है भाजपा, रमन सिंह और उनके सहयोगियों के अंतागढ़ षड़यंत्र के नये-नये खुलासे सामने आ रहे है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि अंतागढ़ उपचुनाव में नामांकन दाखिल किये 6 निर्दलीय प्रत्योशियों द्वारा किये गये खुलासे कि उन्हें नाम वापसी के लिये 1 करोड़ देने का वायदा किया गया था। इस खुलासे के बाद रमन सिंह और राजेश मूणत में जरा भी नैतिकता बची हो तो वे राजनीति से सन्यास लेकर प्रदेश की जनता से माफी मांगे। अंतागढ़ मामले में भाजपा रमन सिंह के कारनामों से सहमत है या नहीं? यदि भाजपा राजनैतिक दल के रूप में खुद को पाक साफ मानती है तो रमन सिंह को भाजपा से बर्खास्त करें। किसी भी व्यक्ति को चुनाव लड़ने से रोकना चुनावी कदाचरण और प्रजातंत्र के मूल भावना के खिलाफ है। अंतागढ़ उपचुनाव में भाजपा रमन सिंह और उनके सहयोगी अजीत जोगी ने तो तत्कालीन विपक्षी दल के प्रत्याशी को मैदान से हटाने का षड़यंत्र रचा था। मंतूराम के नाम वापसी के बाद से ही सारा देश और प्रदेश यह समझ चुका था यह भाजपा की अलोकतांत्रिक साजिश है और इससे भाजपा को ही फायदा भी होने वाला था और हुआ भी। मंतूराम के बयान और निर्दलीय प्रत्याशियों के खुलासे से यह साबित हो गया अंतागढ़ में लोकतंत्र की हत्या में धन बल के साथ सत्ता बल का भी जमकर दुरूपयोग किया गया। गैर भाजपाई प्रत्याशियों को डराने धमकाने के लिये पुलिस का दुरूपयोग किया गया, उम्मीदवारों को खरीदा गया। अंतागढ़ में नाम वापसी के बाद बाजे गाजे के साथ मंतूराम का भाजपा प्रवेश करवाना, बड़े-बड़े बेनर पोस्टर, स्वागत द्वार बनवाना तथा अनेकों बार मंतूराम का तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह तथा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक के साथ मंच साझा करना इस बात का पुख्ता प्रमाण था कि समूची भाजपा का मंतूराम को संरक्षण था। जब तक मंतूराम सच्चाई नहीं बोल रहा था ठीक था, जैसे उन्होने सच बोला वे गलत हो गये।
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि अंतागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम के नाम वापसी की घटना सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र या एक उपचुनाव में एक राजनैतिक दल के प्रत्याशी के नाम वापसी की घटना मात्र नहीं थी। यह उस घातक प्रवृत्ति की शुरूआत थी जो देश के प्रजातांत्रिक और चुनाव प्रणाली को नष्ट करने वाला है। धन बल और सत्ता बल के सहारे यदि विपक्ष को चुनाव लड़ने से ही रोक दिया जाने की परंपरा शुरू हो गयी तो देश का लोकतंत्र समाप्त हो जायेगा। अंतागढ़ के दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये।
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