पूज्य शदाणी दरबार में आयोजित राष्ट्र सर्वोपरि शिविर बोले मुख्य वक्ता अमित चिमनानी
HNS24 NEWS May 26, 2024 0 COMMENTS- पूज्य शदाणी दरबार में आयोजित राष्ट्र सर्वोपरि शिविर बोले मुख्य वक्ता अमित चिमनानी
- अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति रहते चुकाए थे 3 लाख 52 हजार रु, राष्ट्र सर्वोपरि कैसे होता है इनसे सीख सकते है:अमित चिमनानी
- आज कल हम सब बस पाने के चाह रखते है राष्ट्र को सर्वोपरि रखने बहुत कुछ खोना भी पड़ता है:अमित चिमनानी
रायपुर : देश के सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थल सनातन संस्कृति के केंद्र पूज्य शदाणी दरबार तीर्थ में नवम पीठाधीश डॉक्टर युधिष्ठिर लाल महाराज जी के नेतृत्व में लगातार 15 साल से बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक शिविर का आयोजन किया जा रहा है अलग-अलग दिन अलग-अलग वक्ता बच्चों को भारत की संस्कृति, वैदिक ,धार्मिक ज्ञान मोटिवेशनल टिप्स दिए जाते रविवार के आयोजन के विषय राष्ट्र सर्वोपरि के मुख्य वक्ता चार्टर्ड अकाउंटेंट और मोटिवेशनल स्पीकर अमित चिमनानी रहे। अब तक यहां 5 हजार से ज्यादा बच्चो को ट्रेन किया जा चुका है।
*देश और राष्ट्र दोनो शब्द के मायने अलग*
अमित ने युवाओं से बात करते हुए बताया कि राष्ट्र सर्वोपरि की भावना समझने पहले राष्ट्र शब्द के अर्थ को समझना होगा।अक्सर देश और राष्ट्र को एक ही शब्द समझा जाता है जबकि ऐसा नहीं है देश एक भौगोलिक क्षेत्र है जो मान्यता प्राप्त होता है जिसके अपने अलग नियम कानून होते हैं जहां अलग-अलग धर्म जाति संप्रदाय ,बोली भाषा के लोग रहते हैं राष्ट्र वह है जो किसी भी देश में रहने वाले लोगों को जोड़ता है, एक आधार से जोड़ता है एक भावना से जोड़ता है। राष्ट्र की बात करते समय उस देश की संस्कृति ,उसकी मूल भावना ,उसके इतिहास, वहां रहने वाले, लोगों की भावना को प्राथमिकता दी जाती है।
*राष्ट्र सर्वोपरि के भाव में कई बार निजी त्याग भी करना पड़ता है*
युवाओ को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का एक हिस्सा सुनाते हुए अमित ने कहा राष्ट्र को सर्वोपरि रखने कई बार स्व:हित को त्यागना पड़ता, कई बार बहुत कुछ खोना भी पड़ता है पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति रहते हुए एक बार अपने परिवार के सदस्यों को राष्ट्रपति भवन बुलाया जहां उनके परिवार के लोग 8 दिन तक रहे उनके जाने के बाद पूर्व राष्ट्रपति ने 3 लाख 52 हजार रुपए का चेक राष्ट्रपति भवन को सौंपा था और जब उनसे सवाल किया गया कि आपने ऐसा क्यों किया वो तो आपका परिवार ही है ऐसा नहीं करते तो भी कोई दिक्कत नही थी तब उन्होंने कहा कि सरकार मेरा खर्चा तो उठाती है लेकिन मेरे परिवार का नहीं ।राष्ट्र के प्रति ऐसा भाव ही राष्ट्र सर्वोपरि की भावना को जन्म देता है। हम सभी को ऐसे किस्सों से सीख लेनी चाहिए।
*राष्ट्र को जो सर्वोपरि रखे उनका वंदन करे*
अमित ने कहा राष्ट्र को सर्वोपरि रखने खुद में राष्ट्र के प्रति भाव जगाकर कार्य करने के साथ साथ जो लोग,संस्थाएं,राजनीतिक दल राष्ट्र को सर्वोपरि मान रहे है उसका खुला समर्थन करना चाहिए उनकी बातो को जन जन तक पहुंचाने प्रयास करना चाहिए क्योंकि राष्ट्र हित स्वयं अच्छे कार्य करने के साथ साथ अन्य राष्ट्रवादियों द्वारा किए कार्यों से प्रेरणा लेने और उनके कार्यों को सभी तक पहुंचाने में भी निहित है।
*राष्ट्र विरोधी ताकतों के विरोध से न डरे*
अमित ने कहा भारत का युवा इस बात को सुनिश्चित कर चुका है की वह भारत के खिलाफ कोई बात नही सुनेगा और ऐसा करने वालो का कड़ा विरोध करेगा।राष्ट्र सर्वोपरि रखने वालो के लिए यह भी एक प्राथमिकता है की अपने राष्ट्र को झुकाने वाला कोई कार्य न करे साथ ही राष्ट्र के खिलाफ साजिश रचने वाले और भारत के स्वाभिमान को चोट करने वालो को करारा जवाब देना सीखे क्योंकि हमारे लिए हम बाद में हैं हमारा देश पहले है।
*राष्ट्र सर्वोपरि रखने वाले कभी अपने अधिकारों का दुरुपयोग नहीं करते*
अमित ने कहा आपके घर में अगर कोई ट्यूबलाइट या पंखा बेवजह चल रहा है तो उसे बंद करे कोई नल बेवजह बह रहा है तो उसे रोके।राष्ट्र के किसी भी संसाधन को जाया न करे,सार्वजनिक संपति की सुरक्षा में भागीदार बने और कभी भी अपने अधिकारों का दुरुपयोग न करे यही सच्चा राष्ट्रवाद है।
*अमित ने सुनाई कविता हो संशय न मन में*
राष्ट्र सर्वोपरि के कार्यक्रम में राष्ट्रवाद का भाव जगाने अमित ने युवाओं को एक कविता भी सुनाई
हो संशय न मन में किंचित।
बस भारत मां का गान करूं।
हो जाऊ चाहे मां भारती पर न्योछावर
पर तनिक न अभिमान करूं।
बढ़ते जाय पग मेरे ।
मैं राष्ट्रहित के कार्य करूं।
बने मेरा भारत विश्व का गुरु।
मैं यही सफल प्रयास करूं।
हो चारो तरफ खुशहाली।
मै प्रकृति का सम्मान करूं
ना ऊंच नीच, ना जात पात
मै अखंड भारत का सपना साकार करूं।कार्यक्रम में शदाणी दरबार तीर्थ के पीठाधीश पूज्य संत युधिष्ठिर लाल महाराज, दर्शन निहाल ,शिविर संचालक चंद्रभान गाबड़ा सहित सैकड़ों बच्चो एक साथ साथ समाजसेवी माजूद रहे।
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