November 22, 2024
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रायपुर/01 फरवरी 2023। केंद्रीय बजट 2023 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के आखिरी बजट में भी बुनियादी सवालों और आम जनता की जरूरतों को पुनः नजरअंदाज कर दिया है। वित्त मंत्री के डेढ़ घंटे के बजट भाषण में रोजगार की आस लगाए युवाओं को केवल स्किल डेवलपमेंट का झुनझुना मिला। देश के किसान से 2022 तक आय दुगुनी करने का वादा था, स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू करने का वादा था, पूर्व में एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का आश्वासन भी दिए लेकिन बजट में उस पर कोई प्रावधान नहीं है। मिलेट मिशन छत्तीसगढ़ मॉडल का ही प्रभाव है। भूपेश सरकार कोदो कूटकी रागी पहले ही समर्थन मूल्य पर खरीद रही है और 10000 प्रति एकड़ की दर से राजीव गांधी किसान न्याय योजना की राशि दे रही है। केवल डिजिटल ट्रेनिंग देकर किसानों का भला करने का दावा भी जुमला है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना में पिछले बजट में 8270 करोड़ का प्रावधान था जिसे घटाकर 3365 करोड़ कर दिया गया है। सीमा अवसंरचना एवं प्रबंधन के मध्य में पिछले बजट में 3739 करोड़ का प्रावधान था जो अब घटकर 3545 करोड़ रह गया है। सड़क सुरक्षा कार्य (लेवल क्रॉसिंग) के लिए पिछले बजट में 750 करोड़ का प्रावधान था जो इस बार घटाकर मात्र सात सौ करोड़ कर दिया गया है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि 9 करोड़ 60 लाख उज्ज्वला हितग्राही होने का दावा कर अपनी पीठ थपथपाने से पहले यह देखना चाहिए की केंद्रीय आंकड़ों में ही 90 परसेंटेज हितग्राही सिलेंडर दोबारा रिफिल कराने की स्थिति में नहीं है। बजट में एलपीजी सब्सिडी पर कोई बात नहीं।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि देश पर 11 लाख 80 हजार करोड़ का अतिरिक्त कर्ज बढ़ाने और प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी के नाम पर रेलवे को बेचने के बावजूद राजकोषीय घाटा 5.9 प्रतिशत है। आय का लगभग एक चौथाई हिस्सा कर्ज के रूप में अर्थात देश के संसाधन, देश के उपक्रमों को बेचने के बाद भी अतिरिक्त कर्ज का बोझ पढ़ाया जा रहा है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि आयकर दाताओं को नए और पुराने टैक्स रिजीम के नाम पर एक बार फिर ठगा गया है। यूपीए सरकार के बाद से आज तक पिछले 9 साल में बेसिक एक्जमसन लिमिट (आयकर छूट की सीमा) एक रुपए भी नहीं बढ़ाई गई थीं, केवल 5 लाख़ के भीतर आय में u/s 87 का रिबेट था जबकि इन्फ्लेमेशन दर इस बीच दोगुना हो गया है। इस बजट में ढाई लाख के बेसिक एग्जाम सन लिमिट में केवल 50 हज़ार की वृद्धि कर आयकर में छूट की सीमा 3 लाख़ की गई जो ऊंट के मुंह में जीरा है। ना 80-C के तहत छूट की सीमा बढ़ाई गई और ना ही हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिलने वाला 80-Dकी लिमिट जबकि 2017 की तुलना में लगभग सारे मेडिकल इंश्योरेंस की कीमतें दो से ढाई गुना बढ़ चुकी है। गृह ऋण पर चुकाए गए ब्याज की छूट की सीमा भी यथावत है। मोदी सरकार का दावा राजकोषीय घाटा 4.5 परसेंट के भीतर लाने का था लेकिन अब भी अनुमान 5.9 प्रतिशत का बजट में अनुमानित राजकोषीय घाटा 16 लाख़ 61 हज़ार करोड से अधिक का है। आम जनता की आवश्यकता और अपेक्षा के विपरीत घोर निराशाजनक बजट है।

HNS24 NEWS

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