तबादला के बाद कलेक्टर ने डीएमएफ मद से 30 करोड़ किए स्वीकृत, मुख्यमंत्री बोले-गलत हुआ तो कार्रवाई
HNS24 NEWS July 26, 2022 0 COMMENTSरायपुर। जांजगीर चांपा में डीएमएफ में अनियमितता के मामले में भाजपा विधायक सौरभ सिंह ने कहा, कलेक्टर ने तबादला आदेश जारी होने के बाद डीएमएफ से 30 करोड़ की राशि स्वीकृत कर दी। जिले में 28 प्रतिशत राशि 3 दिन में ही खर्च कर दी गई। कलेक्टर को डीएमएफ मद से 10 प्रतिशत से अधिक राशि खर्च करने का अधिकार नहीं है। डीएमएफ में नियम विरूद्ध कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, कहीं भी गलत हुआ होगा, तो अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्हें छोड़ने का काम हम नहीं करेंगे।
ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से यह मामला भाजपा विधायक सौरभ सिंह, नारायण चंदेल और शिवरतन शर्मा ने उठाया। सौरभ सिंह ने कहा, आठ करोड़ की राशि का भुगतान सिंगल कोटेशन के आधार पर कर दिया गया। सप्लायर ने मिनी राइस मिल के मशीनों की सप्लाई भी कर दी। नियम के अनुसार शासी समिति की सिफारिश के बगैर खरीदी नहीं हो सकती। बगैर शासी परिषद की सिफारिश के खरीदी की गई। 2018-19 के बाद अब तक डीएमएफ के खर्च का आडिट भी नहीं किया गया है। तीन वित्तीय वर्ष में स्वीकृत कार्यों में अधिकांश पूर्ण नहीं हुए हैं। दो वित्तीय वर्ष में केवल प्रशिक्षण में ही 23 करोड़ रुपए खर्च किए गए। कागजों पर यह राशि खर्च कर दी गई है। रकम की बंदरबांट हुई है।
21 करोड़ के काम निरस्त
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, जांजगीर जिले में प्रतिवर्ष सौ करोड़ से अधिक राशि डीएमएफ से प्राप्त होती है। शासी परिषद के अनुमोदन से राशि खर्च की जाती है। 50 प्रतिशत राशि खर्च नहीं की गई है, बल्कि यहां 28 प्रतिशत राशि खर्च हुई है। कलेक्टर के तबादले के बाद 30 करोड़ की नहीं, केवल दस करोड़ रुपए की खरीदी के आदेश जारी किए गए। 21 करोड़ रुपए के काम को निरस्त किया गया है। शासी परिषद की बैठक में इन कामों का अनुमोदन किया जाएगा। 28 जून को बीज निगम को प्रदाय करने के आदेश जारी किए गए थे। जिले में पिछले तीन वित्तीय वर्ष में 1833 कार्यों की स्वीकृति हुई है, जिसमें से 1200 से ज्यादा कार्य हो चुके हैं। छह सौ से ज्यादा कार्य प्रगति में हैं।
तबादले के बाद राशि स्वीकृति पर सवाल
सौरभ सिंह ने कहा कि पुराने कलेक्टर के तबादले और नए कलेक्टर के आने के बीच 15 करोड़ रुपए के कार्यों की स्वीकृति मुख्यमंत्री ने स्वीकार की है। यह भी माना कि 21 करोड़ के काम निरस्त किए गए। क्या ये सही है कि कलेक्टर तबादले के बाद इतनी राशि के काम स्वीकृत करके जाएगा? उन्होंने कहा, दस प्रतिशत से ज्यादा राशि कलेक्टर खर्च नहीं कर सकता। कलेक्टर ने बगैर शासी परिषद के तीस करोड़ की राशि स्वीकृत कर दी। क्या यह नियम विरुद्ध नहीं है? जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा, जब तक कलेक्टर रिलीव नहीं हुआ है वह पद पर है। उन्होंने कहा, 174 करोड़ रुपए में से 28 करोड़ रुपए के काम स्वीकृत हुए थे। यह दस फीसदी से ज्यादा नहीं है। यदि दस फीसदी से ज्यादा है भी तो उसे कलेक्टर ने निरस्त कर दिया।
गलत जानकारी पर कार्रवाई करेंगे-मुख्यमंत्री
विधायक नारायण चंदेल ने पूछा, डीएमएफ का ये मामला पूरे प्रदेश का है। कोरोनाकाल के वक्त भी उस तब के कलेक्टर ने डीएमएफ मद से वेंटिलेटर खरीद लिया था। डीएमएफ की वेबसाइट पर कामों के डिटेल्स नहीं डाले गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, मेरी जानकारी में वेबसाइट में जानकारी दी गई है। इसकी लिखित जानकारी मेरे पास है। सदस्यों ने कहा अभी चेक कर लें ऑनलाइन नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा, यदि ये जानकारी गलत होगी तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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