November 23, 2024
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रायपुर। छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपने इस्तीफे के संबंध में लिखे पत्र में करीब आधा दर्जन से अधिक मामलों का जिक्र किया है, जिसमें फैसला नहीं लिया गया। उन्होंने यह भी कहा है कि उनके विभाग में साजिश के तहत हड़ताल कराई गई। हड़ताल में संविदा सहायक परियोजना अधिकारियों की भूमिका पर कार्रवाई की गई। बाद में सरकार ने उन्हें बहाल कर दिया गया।
उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा है कि जन घोषणा पत्र के विचार धारा के अनुरूप उपरोक्त महत्वपूर्ण विषयों को दृष्टिगत रखते हुए मेरा मत है कि पंचायत विभाग के सभी लक्ष्योख्को पूर्ण करने में वर्तमान परिस्थितियों में स्वयं को असमर्थ पा रहा हूं। अत: पंचायत एवं ग्रामीण विभाग से अपने आप को अलग करता हूं। उन्होंने लिखा है कि शेष विभाग का दायित्व पूर्ण क्षमता के साथ निभाता रहूंगा। उन्होंने अपने पत्र में कुछ ऐसे मामलों का जिक्र किया जिसे वे पूरा करना चाहते हैं। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, जिस तरह की चीजें चल रही थीं, यह तो एक दिन होना ही था। उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा भेज दिया है। सिंहदेव के इस फैसले से सरकार के अंदर चल रही खींचतान सड़क पर आ गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यह इस्तीफा स्वीकार करते हैं अथवा नहीं यह तो बाद की बात है लेकिन इस्तीफे से सरकार और संगठन में खलबली मच गई है। बताया जा रहा है कि इसकी सूचना केंद्रीय नेतृत्व को भी भेज दी गई है।
पीएम आवास पर नहीं हुई सुनवाई
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश के आवास विहीन लोगों को आवास बनाकर दिया जाना था, जिसके लिए मैंने कई बार मुख्यमंत्री से कई बार चर्चा कर राशि का आबंटन के लिए कहा, पर नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में बेघर लोगों को एक भी आवास नहीं बन पाया।
अधिकारों में कटौती
श्री सिंहदेव ने अपने पत्र में लिखा है कि विभाग के अधिन डिस्क्रीशनरी योजनाओं के अंतर्गत कार्याें की स्वीकृति आ अनुमोदन विभाग के मंत्री के द्वारा किया जाता है। मामले में मुख्यमंत्री समग्र योजना के अंतर्गत इन कार्याें की स्वीकृति के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति कका गठन कर इन की स्वीकृति दी गई। मंत्री के निर्णय मुख्य सचिव के क्षरा लिए गए। मंत्री के अधिकारों का इसके माध्यम से कटौती किया गया।
पेसा अधिनियम पर असहमति
उन्होंने कहा कि पेसा अधिनियम के तहत आदिवासियों के हित में लागू करने नियम बनाए गए थे। विभाग के द्वारा दो सालों से इस मामले में सीाी पक्षों से चर्चा कर प्रारूप तैयार किया गया। कैबिनेट की बैठक में प्रस्तुत प्रेसिका में इस बदल दिया गया। इसमें रखे गए जल जंगल जमीन से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं को बदल दिया गया। विभाग के मंत्री को इस मामले में विश्वास में नहीं लिया गया। वहीं पेसा एक्ट को लेकर मुख्यमंत्री से असहमति को भी उनके इस्तीफे से जोड़कर देखा जा रहा है।
मनरेगा में मतभेद
मनरेगा के माध्यम से काम कर रहे रोजगार सहायकों की वेतन वृद्धि करने के मामले में वित्त विभाग को कई बार पत्र लिखा गया। मामले में मुख्यमंत्री से भी कई बार चर्चा हुई। आज तक इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। मनरेगा के अधिक से अधिक कार्य कोरोना काल में रोजगार सहायकों के द्वारा किया गया था, जो प्रदेश में उल्लेखनीय था। उन्हें उनका अधिकार नहीं मिल पाया।
साजिश का भी जिक्र
उन्होंने यह भी कहा कि उनके विभाग में साजिश के तहत हड़ताल कराई गई। हड़ताल में संविदा सहायक परियोजना अधिकारियों की भूमिका पर कार्रवाई की गई। बाद में सरकार ने उन्हें बहाल कर दिया गया। कुछ समय पहले मनरेगा कर्मियों ने नियमितिकरण की मांग को लेकर हड़ताल कर दिया था। हड़ताल के कारण तीन माह तक काम बंद रहा, इसके कारण 12 सौ करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ था। हड़ताल खत्म होने के बाद हाल ही में 21 एपीओ को बहाल कर दिया गया। पंचायत मंत्री इसके खिलाफ थे।
उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री की तानाशाही -साय
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने मंत्री टीएस सिंहदेव द्वारा पंचायत मंत्री के पद से इस्तीफा देने पर कहा, पंचायत मंत्री का इस्तीफा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तानाशाही का प्रमाण है। मुख्यमंत्री न खुद कोई काम कर रहे और न ही मंत्रियों को करने देते। उनकी हिटलरशाही से तंग आकर पंचायत मंत्री सिंहदेव ने इस्तीफा दिया है। को स्वास्थ्य मंत्री के पद से भी इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि इस विभाग में भी उन्हें काम नहीं करने दिया जा रहा।

HNS24 NEWS

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