छत्तीसगढ़ : स्व. महेंद्र कर्मा जी के पुत्र आशीष कर्मा को नौकरी देने पे बेवजह हंगामा बरपाया जा रहा है,और हंगामा मचाना जायज भी है, क्योंकि आशीष कर्मा है तो एक आदिवासी का पुत्र, और पिछले 15 साल जिस राज्य में बाहरियों ने राज किया है वहां आदिवासियों को कोई पद कैसे दिया जा सकता है!!
आदिवासी पुत्र को नौकरी देने पर उनकी ईर्ष्या स्वाभाविक है!! चूंकि यहां बेवजह का विवाद खड़ा किया जा रहा है, इसलिए
अब मैं कुछ बाते स्पष्ट कर देना चाहता हूँ,छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जी के भांजे वाय. पी. सिंह जो कि बीएसएफ में कार्यरत थे,
उनका छत्तीसगढ़ पुलिस में विलय कर लिया गया और उनकी जॉइनिंग 1996 से दिखाते हुए उनको सीधे स्पेशल एडिशनल एसपी ऑपरेशन्स का कार्यभार राजनांदगांव जिले में दिया है। 1996 से उनकी जॉइनिंग को मानते हुए उन्हें पिछले वर्ष आईपीएस अवार्ड करने की भी सिफारिश कर उन्हें एसपी बनाये जाने की पूरी तैयारी हो चुकी थी, लेकिन छत्तीसगढ़ के लगभग 20 से ज्यादा एडिशनल एसपी ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई जिस वजह से उनका एसपी बनना टल गया!!
अभी वर्तमान में वाय पी सिंह को भानुप्रतापपुर स्थानांतरण किया गया है जहां आज दिनांक तक उन्होंने अपनी जॉइनिंग नही दी!!
ये था पूर्व मुख्यमंत्री का असली चाल चरित्र और चेहरा!
क्या वाय पी सिंह छत्तीसगढ़ के स्थानीय हैं?
उनका क्या उल्लेखनीय योगदान रहा आज तक छत्तीसगढ़ में, कोई भाजपा नेता स्पष्ट करेगा?
वो बाहर के लोगो को ला लाकर यहां के स्थानीय युवाओं का हक मारते रहे तो आपके मुंह से एक शब्द नही निकला,
यहाँ एक आदिवासी के बेटे को नौकरी क्या मिली सारे एक साथ तिलमिला उठे!!
शहीद वी के चौबे जी के पुत्र सौमिल को भी डॉ रमन सिंह ने उनके निवास पे जाकर डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त किया था,
तब हम सब ने एक स्वर में इस कदम की प्रशंसा की थी!
आज एक आदिवासी पुत्र को नौकरी मिलने पे आप सब राजनीति पे उतर आए!
लेकिन आज स्व महेंद्र कर्मा के पुत्र को नौकरी मिलने पे आप सारे बाहरी लोगो को तकलीफ हो रही है!!
एक स्वर में भारतीय जनता पार्टी के लोग मांग कर रहे हैं कि प्रदेश में आज तक हुए सभी नक्सली हमलों में शहीद हुए लोगो को नौकरियां दी जाए!!
ये इस बात की खुद गवाही है कि इन लोगो ने पिछले 15 साल नक्सली हमलों में शहीद हुए लोगो के लिए कुछ भी नही किया!!
जो लोग स्व. कर्मा जी को नही जानते वो ये जान ले,
वो अकेले योद्धा बनकर नक्सलवाद के खिलाफ लड़े और इसी नक्सलवाद ने उनकी जान ली!
जब हजारों नक्सलियों ने कांग्रेस पार्टी के नेताओ को घेर रखा था तब वही पहले इंसान थे जो गाड़ी आए बाहर आये और कहा, मुझे ले चलो बाकि सब को छोड़ दो,
जिस बर्बरता पूर्वक नक्सलियों ने उनको मारा था वो सर्वविदित है और मैं उस घटना का जीवित साक्षी!!
मैं भाजपा नेताओं को कोई स्पस्टीकरण नही देना चाहता बस अपने छत्तीसगढ़ी युवा साथियों से अपील करना चाहता हूं, आशीष कर्मा ने अपना परिवार खोया है,
ऐसे वक्त पे उसका सबल बढ़ाये न कि बाहरी लोगों द्वारा फैलाये प्रोपोगेंडा का हिस्सा बने,
मैं आप सबको आश्वस्त करना चाहता हूँ किसी शहीद परिवार के साथ और किसी स्थानीय भाई बहन के साथ अन्याय नही होगा,
हम अन्याय होने नही देंगे।
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R.O,No: 13028/174
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