प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम की झीरम कांड पीड़ित परिवार के साथ प्रेसवार्ता
HNS24 NEWS November 7, 2021 0 COMMENTSरायपुर : झीरम कांड की रिपोर्ट कल शाम को राज्यपाल को सौंपा गया। आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम की झीरम कांड पीड़ित परिवार के साथ प्रेसवार्ता लिया।
ऽ झीरम नरसंहार के लिए गठित न्यायिक आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंप कर तय एवं मान्य प्रक्रिया का उलंघन किया है। कहना है कि सामान्यतया जब भी किसी न्यायिक आयोग का गठन किया जाता है तो आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपती है। लेकिन झीरम नरसंहार के लिए गठित जस्टिस प्रशांत मिश्र आयोग की ओर से रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपना ठीक संदेश नहीं दे रहा है।
जब आयोग का गठन किया गया था तब इसका कार्यकाल 3 महीने का था तीन महीने के लिए गठित आयोग को जांच में 8 साल कैसे लग गया ?
आयोग ने हाल ही में यह कहते हुए सरकार से कार्यकाल बढाने की मांग की थी कि जांच रिपोर्ट रिपोर्ट तैयार नही है इसमें समय लगेगा ।जब रिपोर्ट तैयार नही थी आयोग इसके लिए समय मांग रहा था फिर अचानक रिपोर्ट कैसे जमा हो गयी ?यह भी शोध का विषय है।ऐसा क्या है जो सरकार से छुपाने की कोशिश की जा रही है?
झीरम हमले में कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं की एक पूरी पीढ़ी सहित 31 लोगो को खोया है। झीरम देश ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा राजनैतिक हत्या कांड था ।
इस हमले की पीछे की पूरी सच्चाई सामने आनी ही चाहिए । कांग्रेस ने हमेशा ही इस नरसंहार के षडयंत्र की जांच की मांग करती रही है। इस पूरे मामले में पूर्ववर्ती सरकार की और एनआईए की भूमिका संदिग्ध रही है।
कांग्रेस पार्टी राज्य सरकार से मांग करती है कि यदि झीरम कांड के व्यापक जांच के लिए एक वृहत न्यायिक जांच आयोग का गठन कर जीरम की षड्यंत्र की नए सिरे से जांच करवाया जाय।
प्रदेश की जनता इस मामले के पीछे के षड्यंत्रकारियों को बेनकाब होते देखना चाहती है। 27 मई 2013 -9 जांच बिंदु पर अधिसूचना जारी।
जुलाई 2013 शपथ पत्र पेश
अगस्त 2013 से दिसंबर 2017 गवाही जारी
ऽ डॉ रमन सिंह ननकीराम कंवर सुशील शिंदे आरपीएन सिंह को गवाही के रूप में बुलाने हेतु आवेदन पेश
ऽ उक्त आवेदन पर सुनवाई कई बार बढ़ी और अंत में 22 अगस्त 2018 को सुनवाई हुई एवँ आदेश सुरक्षित
ऽ 7 जनवरी 2019 को लगभग5 माह बाद उक्त आवेदन खारिज करने आदेश और आयोग की सुनवाई अचानक बंद करने का आदेश गवाही के बाद तर्क रखने का मौका नही दिया गया
ऽ 21 जनवरी 2021 को सरकार ने 8 नए जांच बिंदु जोड़े
ऽ 27 अगस्त 2021 सुनवाई 8 नये जाँच बिंदु पर प्रारंभ
ऽ 11 अक्टूबर को सुनवाई अचानक समाप्त और राज्य सरकार के 5 गवाह को मौका नही दिया गया एवं तकनीकी गवाहों को भी नही बुलाया गया
ऽ कांग्रेस और राज्य सरकार को लिखित तर्क रखने समय दिया गया
ऽ 6नवम्बर को आयोग ने रिपोर्ट राज्य सरकार को नही बल्कि राज्यपाल को प्रस्तुत की आयोग राज्य सरकार ने बनाया और रिपोर्ट भी राज्य सरकार को ही प्रस्तुत होना चाहिए
ऽ सरकार को आयोग की रिपोर्ट खारिज करने और नया आयोग बनाने का पूरा अधिकार है
ऽ राज्यपाल रिपोर्ट पर कार्यवाही या टिपण्णी करने का अधिकार नही है
ऽ राज्य सरकार से आशय केबिनेट ही होता है
ऽ राज्यपाल अविलंब पूरी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजे
इस विषय की कानूनी जानकारी सुदीप श्रीवास्तव ने दी जो इस मामले में जांच आयोग के समक्ष कांग्रेस का पक्ष रखते रहे हैं।
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