November 22, 2024
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सुकमा, 10 अगस्त। आंगनबाड़ी केंद्र खुलने से बच्चों की चहल-पहल फिर सुनाई देने लगी है। तोंगपाल सेक्टर के आंगनबाड़ी इंदिरा कॉलोनी में इन दिनों बच्चों को गर्म व पौष्टिक भोजन खिलाया जा रहा है। आंगनबाड़ी में 4 से 6 वर्ष तक के 10 बच्चों को कुपोषण से दूर रखने एवं स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक पोषक आहार निःशुल्क दिया जा रहा है।

इस बारे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सपना चौहान ने बताया बताया, “आंगनबाड़ी में आने वाले सभी बच्चों के पहले अच्छे से हाथ धुलवाए जाते हैं, उन्हें खेल-खेल में हाथ धोने की विधि बताई जाती है फिर उन्हें गर्म पोषक तत्वों से युक्त भोजन परोसा जाता है। विभाग से मिले दिशानिर्देश के अनुसार अभी केवल 4 वर्ष से 5 वर्ष व 5 वर्ष से 6 वर्ष उम्र तक के बच्चों को अलग-अलग समय पर आंगनबाड़ी में बुलाकर गर्म भोजन दिया जा रहा। आंगनबाड़ी केंद्र में रेडी-टू-ईट, पोषक आहार एवं विभिन्न प्रकार के व्यजनों को नियमित रूप से दिया जा रहा है। इसके अलावा नियमित अंतराल पर आंगनबाड़ी केंद्रों व घर-घर जाकर हितग्राहियों के खान-पान की निगरानी भी कर रहे हैं”।

महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला प्रमुख अतुल परिहार ने बताया, “आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चो को अब फिर से गर्म भोजन दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त महिलाओं में एनीमिया को दूर करने व बच्चों को कुपोषण से मुक्त रखने के लिए सूखा राशन भी दिया जा रहा है। कुपोषण ऐसी आवस्था है जिसमे आयु और शरीर के अनुरूप पर्याप्त रूप से शरीर का विकास नही हो पाता, एक स्तर के बाद यह मानसिक विकास की प्रक्रिया को भी अवरुद्ध करने लगता है। बहुत छोटे बच्चों में खासतौर पर जन्म से लेकर 6 वर्ष की आयु तक के बच्चों को भोजन के जरिये पर्याप्त पोषण आहार न मिलने के कारण उनमें कुपोषण की समस्या जन्म ले लेती है। इसके परिणाम स्वरूप बच्चों में एनीमिया, हड्डियों कमजोर होना, प्रतिरक्षा प्रणाली में कमी, स्कर्वी ,पाचन की समस्या, जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं। इसलिए पालकों से लगातार संपर्क कर उनकी सहमति से बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में आने की अपील की जा रही है। बच्चों के आंगनबाड़ी केंद्रों में आने और अन्य बच्चों के साथ खेल कूद करने से बच्चों के मनोविज्ञान में भी सकारात्मक असर पड़ता है”।

बच्चों में कुपोषण के प्रकार
क्रोनिक कुपोषण– गर्भवती महिला को पूरा पोषण नहीं मिलने पर बच्चा जन्म के समय से ही कमजोर होता हैं. इसके अलावा यदि नवजात को माँ का दूध ना मिले तो भी कुपोषण की सम्भावना बनी रहती हैं
विकास अवरुद्ध करने वाला कुपोषण- इसमें रोगी का वजन और लम्बाई उम्र की आवश्यकता अनुसार बढ़ नहीं पाते हैं
तीव्र कुपोषण – जब वजन में बहुत ज्यादा कमी आती हैं, तब यह कुपोषण होता हैं

HNS24 NEWS

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