अनुसूचित जनजाति मोर्चा, भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ राजनीतिक प्रस्ताव, प्रदेश कार्यसमिति बैठक
HNS24 NEWS August 8, 2021 0 COMMENTSरायपुर : भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की यह प्रदेश कार्यसमिति देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मा. नरेन्द्र मोदी जी का अभिनंदन करती है, उनके द्वारा ‘सबका साथ- सबका विकास- सबका विश्वास‘ के मूलमंत्र को लेकर गांव, गरीब, किसान और सुदूर वनांचल में निवास करने वाले जनजाति परिवारों के लिए आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला योजना, जीवन ज्योति बीमा योजना, अटल पेंशन योजना तथा वैश्विक महामारी कोरोना के इस कठिन काल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ लोगों केा निःशुल्क 5 किलो अन्न उपलब्ध कराना एवं देश के प्रत्येक नागरिक को नि:शुल्क वैक्सीनेशन के माध्यम से कोरोना से बचाव के लिए विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाकर जनजाति समाज सहित देश के बहुसंख्यक नागरिकों को अनेकानेक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए अनुसूचित जनजाति मोर्चा की यह कार्यसमिति मोदी जी के संवेदनशील सरकार के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करती है। इसके साथ ही साथ आजादी के बाद पहली बार केन्द्रीय मंत्रिमंडल में 8 जनजाति सांसदों को स्थान देना भी जनजाति समाज के लिए गौरव की बात है।
एक तरफ जहां भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र की मोदी सरकार अपने विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से मुहैया करवा रही है तथा इसके साथ ही साथ विश्व पटल पर भी भारत के वैभव को स्थापित करने के लिए संकल्प के साथ कार्य कर रही है। वहीं दूसरी ओर हमारे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की कुनीतियों के कारण चारों ओर हताशा ओर निराशा का माहौल है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बने ढाई वर्ष से अधिक अर्थात आधा कार्यकाल पूर्ण हो चुका है। चुनाव पूर्व कांग्रेस ने वादों का जो पुलिंदा जनघोषणा पत्र के रूप में जनता के सामने रखा था, उनमें से एक भी वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है।
कांग्रेस ने अपने जनघोषणा पत्र में वन अधिकार पूर्णतः लागू करते हुए समर्थन मूल्य पर एक-एक दाना लघु वनोपज की खरीदी का वादा किया था, परन्तु धरातल पर स्थिति बिल्कुल अलग है। लघु वनोपज की खरीदी के लिए पूरे प्रदेश में करोड़ों रूपये के विज्ञापन तो जरूर लगाये गये, परन्तु लघु वनोपज की खरीदी के लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अब तक कोई नीति ही नहीं बनाई है, और न ही अधिकारियों को कोई दिशा-निर्देश जारी किया गया है।
भाजपा सरकार में हरा सोना कहा जाने वाले तेन्दूपत्ता की खरीदी लगभग 10 दिनों तक होती थी। तेन्दूपत्ता संग्राहकों को बोनस, चरण पादुका और जीवन बीमा प्रदान किया जाता था। संग्राहक परिवार के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती थी, परन्तु कांग्रेस की सरकार में ये सुविधाएं बंद कर दी गई है। तेन्दूपत्ता की खरीदी भी राज्यपाल महोदया के हस्तक्षेप के बाद प्रारंभ हो पायी, वो भी मात्र एक या दो दिन, जिसके कारण संग्राहक आदिवासी परिवारों को अपना तेन्दूपत्ता औने-पौने दाम पर दलालों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा और कई जिलों में तो तेन्दूपत्ता को नदियों में भी बहा दिया गया।
अपने जनघोषणा पत्र में कांग्रेस ने वनाधिकार के सभी निरस्त आवेदनों पर पुनः सुनवाई करते हुए सभी को व्यक्तिगत वनाधिकार पत्र प्रदान करने का वादा किया था। पूरे प्रदेश में लगभग 5 लाख आदिवासी परिवारों के वनाधिकार आवेदन तकनीकी कारणों से निरस्त हुए थे, आज दिनांक तक उन वंचित परिवारों को वनाधिकार प्रदान करने की दिशा में कोई कार्यवाही नहीं की गई है, जिसके कारण 5 लाख आदिवासी परिवार अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। जबकि डा. रमन सिंह के नेतृत्व वाली हमारी भाजपा सरकार ने देश में सर्वाधिक लगभग 4 लाख वनाधिकार पत्र वितरित किये थे।
कांग्रेस ने अपने जनघोषणा पत्र में पांचवी अनुसूचि क्षेत्रों में पेसा कानून को पूर्णतः लागू करने की घोषणा की थी परन्तु ढाई साल के इस शासनकाल में कांग्रेस की प्रदेश सरकार द्वारा पेसा कानून का सर्वाधिक उल्लंघन किया गया है। भाजपा शासनकाल में रेत सहित अन्य गौण खनिजों का प्रबंधन ग्राम सभा की अनुमति से ग्राम पंचायत करता था, परन्तु कांग्रेस की सरकार आने के बाद से रेत खदानों की नीलामी खनिज विभाग के माध्यम से करवायी जा रही है, ये पेसा कानून का उल्लंघन है। इस निर्णय से प्रदेश में रेत माफिया सक्रिय हो गये हैं।
कांग्रेस सरकार कानून-व्यवस्था बनाये रखने संबंधी अपने महत्वपूर्ण दायित्व के निर्वहन में भी पूरी तरह से विफल है। यहां हर चार घंटे में एक बलात्कार और छः घंटे में एक हत्या या हत्या का प्रयास की घटनाएं हो रही है। कोण्डागांव, बलरामपुर, रायगढ़, कवर्धा, जशपुर में भी नाबालिक आदिवासी बहनों पर दुष्कर्म की अनेक घटनाएं मानवता को शर्मसार करती है। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र समझे जाने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा और पहाड़ी कोरवा पर प्रताड़ना और दुष्कृत्य की घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। जशपुर जिले में तो पहाड़ी कोरवा परिवार के लगभग दस एकड़ कृषि भूमि को प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री के पुत्र द्वारा धोखाधड़ी कर अपने नाम पर करवा लेने की घटना भी उजागर हुई है। भाजपा द्वारा जांच कमेटी बनाने तथा अजजा मोर्चा द्वारा विरोध प्रदर्शन कर राज्यपाल को ज्ञापन देने के बाद वह जमीन पहाड़ी कोरवा परिवार को वापस की गई।
बस्तर संभाग के सिलगेर की दुर्भाग्यजनक घटना और उस पर कांग्रेस सरकार की ओछी राजनीति मानवता को झकझोरती है। भाजपा शासनकाल में जब पुलिस कैम्प की स्थापना की जाती थी तब ग्राम सभा की अनुमति लेकर वहां के स्थानीय ग्रामीणों को कैम्प की आवश्यकता बताकर उनसे संवाद किया जाता था, परन्तु कांग्रेस सरकार द्वारा स्थानीय लोगों को विश्वास में ना लेकर जोर-जबरदस्ती करना निंदनीय है। पुलिस कैम्प का विरोध करने पर आदिवासियों पर गोली-चलाना असाधारण घटना है, इसकी जितनी निन्दा की जाये कम है।
और इसी प्रकार कांग्रेस की ये प्रदेश सरकार टाटा की जमीन वापस करने का ढिंढोरा पूरे देश में पीट रही है, और दूसरी तरफ बस्तर के सुदूर वनवासी क्षेत्रों में आदिवासियों की उपजाऊ जमीन को छीनकर पूंजीपतियों को बेचने का काम कर रही है। ऐसी ही घटना नारायणपुर जिला के चपका की है जहां कोरोना महामारी के लॉकडाउन और पूरे प्रदेश में धारा 144 लगे होने के बाद भी जबरदस्ती 12 गावों के आदिवासियों को जनसुनवाई में बुलाना और उद्योगपति को जमीन देने से मना करने पर 165 लोगों पर एफ.आई.आर. करना सरकार के आदिवासी विरोधी मानसिकता को प्रदर्शित करता है।
कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 2019 से प्रदेश में जनजाति वर्ग के सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति पर शासन के गलत निर्णयों के कारण रोक लगी हुई है। अजजा वर्ग के शासकीय सेवकों को पदोन्नति के साथ-साथ पदोन्नति में आरक्षण का अधिकार मिल सके, इस पर भी कांग्रेस सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं ले पा रही है। सरकार में आते ही 100 दिन के अंदर फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों पर वैधानिक कार्यवाही कर शासकीय सेवा से बर्खास्त करने का भी अपना वादा ये कांग्रेस सरकार भूल चुकी है।
ढाई साल के कांग्रेस की इस प्रदेश सरकार के संरक्षण में मतांतरण को बढ़ावा देने की घटना भी उजागर हुई है। मतांतरण की घटना के लिए सुकमा पुलिस अधीक्षक द्वारा पत्र लिखकर अपनी चिंता व्यक्त करना इस बात की पुष्टि करता है। इसी के साथ-साथ अंबिकापुर बिशप हाउस के पादरी अमृत टोप्पो को छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति आयोग में सदस्य बनाना भी मतांतरण को बढ़ावा देने की कांग्रेस सरकार की मानसिकता को प्रदर्शित करता है। इसके अलावा कांग्रेस के विधायक भी आदिवासी समाज को अपमानित करने का कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। चाहे प्रदेश के सर्व आदिवासी समाज को दो फाड़ में बांटने की बात हो यो फिर विगत दिनों अंबिकापुर सर्किट हाऊस में पत्रकारों के साथ चर्चा करते हुए रामानुजगंज-बलरामपुर के विधायक बृहस्पति सिंह द्वारा ‘सरगुजा के अंगूठा छाप आदिवासी‘ जैसी ओछी टिप्पणी हो। इन घटनाओं से भी प्रदेश में जनजाति समाज आहत है।
भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की यह प्रदेश कार्यसमिति कांग्रेस सरकार को उनके जनघोषणा पत्र में किये गये वादे पूरा करने के साथ ही प्रदेश में आदिवासी प्रताड़ना के बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने की चेतावनी देती है। यह कार्यसमिति अपने कार्यकर्ताओं से भी आह्वान करती है कि वो कांग्रेस की इन विफलताओं, कुनीतियों को जन-जन तक पहुंचाने में पूरी ऊर्जा के साथ अपने कार्य में लग जायें।
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