November 24, 2024
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चित्रा पटेल : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने आज कांग्रेस के राजीव भवन में प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा महंगाई आसमान छू रही है। पेट्रोल डीजल रसोई गैस की रेट बड़ती जा रही है , नरेंद्र मोदी कों जनता की दर्द सुनाई नही दे रही है। जनता के जेब में केंद्र सरकार डाका डाल रहे हैं। महंगाई की मार जनता के कमर तोड़ रही है इसके जिम्मेदार सिर्फ नरेंद्र मोदी है, भाजपा के नेता जिम्मेदार हैं।

पिछले डेढ़ साल से भारत की जनता कोरोना महामारी की मार झेल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अदूरदर्शी और जनविरोधी नीतियों ने कोरोना की बीमारी के समय में जीवन को और कठिन बनाया है. चाहे वह अचानक किया हुआ लॉकडाउन हो, अस्पतालों से लेकर ऑक्सीजन तक का इंतज़ाम हो या फिर वैक्सीन की नीति, हर जगह नरेंद्र मोदी सरकार विफल दिखाई देती है. ग़लत नीतियों और व्यवस्था बनाने में विफलता की वजह से लाखों लोगों की जानें चली गई हैं. लाखों परिवार में कमाई करने वाला मुखिया ही चल बसा है. उद्योग और कारोबार ठप्प होने से रोज़गार का संकट पैदा हो गया है. ऐसे समय में नरेंद्र मोदी की सरकार देश में महंगाई बढ़ाने में लगी हुई है. पेट्रोल, डीज़ल और केरोसिन के दाम हों या गैस सिलेंडर के, खाने के तेल की क़ीमतें हों या फिर साधारण बीमारियों में काम में आने वाली दवाओं की, हर चीज़ लगातार महंगी होती जा रही है. हमें लगता है कि कोरोना महामारी से किसी तरह बच गए लोग अब महंगाई नाम की महामारी की चपेट में आने वाले हैं. एक राष्ट्रीय आपदा के बाद एक और राष्ट्रीय आपदा देश में आ गई है और इसके लिए ज़िम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. आश्चर्य नहीं है कि किसी समय रसोई गैस की क़ीमत में पांच-सात रु की बढ़ोत्तरी होने पर गले में सिलेंडर टांगकर प्रदर्शन करने वाले भाजपा के नेता इस समय अनावश्यक विवादों के ज़रिए जनता का ध्यान भटकाने में लगे हुए हैं.अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम की वजह से पेट्रोल, डीज़ल की क़ीमत बढ़ने पर साइकिल पर सवार होकर सड़क पर उतरने वाले रमन सिंह इस समय फ़र्ज़ी दस्तावेज़ दिखाकर लोगों को बताने की कोशिश कर रहे हैं कि कोई षडयंत्र हो रहा है. दरअसल महंगाई नरेंद्र मोदी सरकार का असली षडयंत्र है और यह अपने प्रिय कोरोबारियों और उद्योगपतियों की जेबें भरने का तरीक़ा है. जिस समय कांग्रेस के हमारे नेता राहुल गांधी जी लोगों को जेबों में पैसा डालने की बात कर रही है,राहुल गांधी लोगों की जेब में पैसा डालने की बात कर रहे थे तभी भाजपा की सरकार लोगों के जेबों पर डाका डालने में लगी हुई है ।

जिस समय छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार लोगों के जेबों में कई योजनाओं से पैसे डाल रही है, उसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की सरकार लोगों के जेबों पर डाका डालने में लगी हुई है. पहले पेट्रोल-डीज़ल के दामों में एक बार बढ़ोत्तरी होती थी तो मीडिया में ख़बरें बनती थीं और आज नरेंद्र मोदी जी ने यह हालत कर दी है कि अब दो दिन दाम नहीं बढ़ते तो मीडिया में ख़बर बनती है कि लगातार दो दिनों से क़ीमतें नहीं बढ़ी हैं. ‘बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार’ के नारे से सत्ता पर काबिज होने वाले नरेंद्र मोदी  को जनता की आवाज़ सुनाई नहीं दे रही है।

बहुत हुई महंगाई की मार, बस करो मोदी सरकार’ मोहन मरकाम ने कहा अप्रैल 2014 में अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमत 103 डॉलर प्रति बैरल थी. तब मनमोहन सिंह जी देश के प्रधानमंत्री थे और उन्होंने पेट्रोल-डीज़ल के दामों को बढ़ने नहीं दिया. उस समय पेट्रोल की कीमत 72 रुपए प्रति लीटर एवं डीजल की कीमत 55 रुपए प्रति लीटर थी. आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल की कीमत 69.15 डॉलर प्रति बैरल है. जबकि रायपुर में पेट्रोल की कीमतें 92.76 रुपए प्रति लीटर एवं डीजल की कीमत 92.38 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गई है. देश के कुछ शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए से भी ज्यादा हो गई है. मई महीने में ही पेट्रोल-डीज़ल के दाम में 16 बार बढ़ोत्तरी की गई और जून महीने में भी यह सिलसिला जारी है. सालों में क्रूड आयल की कीमतों में 36 प्रतिशत की कमी आयी है उसके बाद भी पेट्रोल के दामों में 31 प्रतिशत की और डीजल के दामों में 55 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. पिछले सिर्फ एक साल में 30 मई 2020 से 30 मई 2021 के बीच पेट्रोल की कीमत में 18/- प्रति लीटर एवं डीजल की कीमत में 19/- प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है. 2014 में जब केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आई थी तब पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपए प्रति लीटर थी , जो कि वर्तमान में 32.90 रुपए प्रति लीटर है। 2014 में डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 3.56 रुपए प्रति लीटर थी जो वर्तमान में 31.80 रुपए प्रति लीटर हैयानी कि मोदी सरकार के कार्यकाल में पेट्रोल लगभग चार गुना एक्साइज ड्यूटी बढ़ायी गयी जबकि डीजल पर 10 गुना से ज्यादा एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई पेट्रोल और डीजल में टैक्स वृद्धि से केंद्र सरकार के राजस्व संग्रहण में 459 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.आम आदमी के जेब पर डाका डालकर मोदी सरकार अपना ख़जाना भरने में लगी हुई है.घरेलू रसोई गैस की कीमतों में 7 सालों में दुगनी वृद्धि

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में स्पष्ट रूप से बताया था कि भारतीय जनता पार्टी के पिछले 7 साल के शासन काल में घरेलू रसोई गैस की कीमत दुगनी हो गई है. 1 मार्च 2014 को (14.2 KG) एलपीजी सिलेंडर की कीमत 410 रुपए प्रति सिलेंडर थी जबकि आज सिलेंडर की कीमत 880.50 रुपए प्रति सिलेंडर पहुंच गई है.
सिर्फ वर्ष 2021 में ही घरेलु गैस सिलेंडर की कीमतों में 225 रुपए की बढ़ोतरी की गई है.ज़ाहिर है कि रसोई घर पर सिर्फ़ गैस सिलेंडर की क़ीमतों का बोझ दोगुना हो गया है.केरोसिन की कीमतों में दुगने से ज्यादा वृद्धि केरोसिन यानी मिट्टीतेल को ग़रीबों का ईंधन माना जाता है. जो लोग रसोई गैस नहीं ख़रीद पाते उनके लिए मिट्टीतेल ही सहारा होता है.मिट्टीतेल की कीमत मई 2020 में 13.96 रुपए प्रति लीटर थी जबकि आज इसकी क़ीमत 30.38 रुपए प्रति लीटर पहुंच चुकी है. यानी केरोसिन की कीमत दुगने से भी ज्यादा बढ़ चुकी है. अगर ग़रीबों का ईंधन इतना महंगा कर दिया गया है कि उसकी कमाई का बड़ा हिस्सा ईंधन जुटाने में ही निकल रहा है.

खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि का रिकॉर्ड टूटा

भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक साल में खाद्य तेलों के दामों में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस मूल्यवृद्धि ने खाद्य तेलों जैसे मूंगफली तेल, सरसों तेल, सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल और पाम आयल के मूल्य वृद्धि के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. वनस्पति के दाम भी इसी तरह से बढ़े हैं.अगर सरसों तेल की बात करें तो मई 2020 में 1 लीटर सरसों तेल का दाम 90 रुपए प्रति लीटर था जो आज बढ़कर 200 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गया है, मतलब दुगुने से भी ज्यादा. इसी प्रकार पिछले साल 100 से 110 रुपए प्रति लीटर बिकने वाले दूसरे खाद्य तेलों की क़ीमतें वर्तमान में 200 तक पहुंच गई हैं. खाद्य तेलों की कीमतों में इस असामान्य वृद्धि ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है.

दवाओं की कीमतों में बेहिसाब वृद्धि

कोरोना काल में दवाओं की जितनी ज़रुरत लोगों को पड़ रही है, इससे पहले शायद भारत के इतिहास में कभी नहीं पड़ी होंगीं. अंग्रेजी दवाओं में जीवन रक्षक सहित ऐसी कई दवाएं हैं जिन पर केंद्र सरकार का नियंत्रण है. इनमें शुगर, ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी की दवाओं सहित 364 दवाएं सम्मिलित है. लेकिन अब वो दवाएं भी आम आदमी की पहुंच में नहीं हैं. केंद्र सरकार के अधीन होते हुए, दवा कंपनियां लगातार कीमतों में वृद्धि करती जा रही हैं. बल्क ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (बीडीएमए) के आंकड़ों के अनुसार, एंटीबायोटिक्स एजिथ्रोमाइसिन और ऑर्निडाजोल, बुखार की दवा निमेसुलाइड और पैरासिटामॉल की कीमतों में जनवरी से 60 से 190 प्रतिशत का उछाल आया है.मरीजों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पूरे देश में प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तहत सस्ती जेनेरिक दवा की कई दुकानें खोली गईं. मानक के अनुसार यहां 650 दवाइयां होनी चाहिए मगर किसी भी केंद्र पर भी ज़रुरी दवाओं का बराबर अभाव बना रहता है.

कोरोना के बाद अब महंगाई की राष्ट्रीय आपदा

पेट्रोल-डीज़ल के दामों में वृद्धि से परिवहन महंगा हो जाता है यह सब जानते हैं. यानी आने वाले दिनों में सब्ज़ी भाजी से लेकर राशन पानी तक सबका परिवहन महंगा होगा और क़ीमतें बेतहाशा बढ़ेंगीं. यानी आने वाले दिनों में रसोई गैस, मिट्टी के तेल, खाने के तेल के अलावा सब्ज़ी भाजी और राशन भी महंगे दामों में मिलने वाला है.दवाएं महंगी हो ही चुकी हैं.कपड़े लत्ते भी महंगे होने वाले हैं.
इसका मतलब साफ़ है कि नरेंद्र मोदी जी ने सारे इंतज़ाम कर दिए हैं कि भारत की जनता कोरोना के मार से उबरने से पहले ही महंगाई की चपेट में आ जाए. नरेंद्र मोदी जी की सरकार नहीं बता रही है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम अगर नहीं बढ़ रहे हैं तो पेट्रोल-डीज़ल के दाम क्यों बढ़ रहे हैं. क्यों सरकार एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ाकर अपना खज़ाना भरने में लगी हुई है?भारतीय जनता पार्टी के नेता क्यों अनावश्यक बयानबाज़ी करके जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं यह अब किसी से छिपा नहीं है. हम मांग करते हैं कि रमन सिंह, धरमलाल कौशिक लेकर अजय चंद्राकर और बृजमोहन अग्रवाल जैसे नेता महंगाई पर अपना रुख़ स्पष्ट करें और जनता से माफ़ी मांगें कि कोरोना महामारी के काल में उनकी सरकार महंगाई बढ़ाने में लगी हुई है.

HNS24 NEWS

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