छत्तीसगढ़ : रायपुर खरीफ सिँचाई व निस्तारी जल सुरक्षित रखने के बाद भी बाधोँ मे रबी फसल हेतु पानी बचे रहने की सँभावना के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने रबी के लिये पानी देने की घोषणा की थी लेकिन प्रशासन द्वारा अभी तक कोई निर्णय न लिये जाने से किसान पशोपेश मे हैं। रायपुर जिला जल उपभोक्ता सँस्था सँघ के एक प्रतिनिधि मंडल ने अविलंब जल उपयोगिता समिति की बैठक बुला निर्णय कर अधिकृत घोषणा की माँग को ले ज्ञापन समिति के अध्यक्षद्वय को सौंपा है।
ज्ञातव्य हो कि पूर्व में खरीफ सिँचाई व निस्तारी पानी सुरक्षित रखने के बाद बाँधोँ मे पानी की उपलब्धता को देखते हुये रबी धान फसल हेतु पानी देने की परँपरा रही है। इसका अपवाद मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी व जल सँसाधन मँत्री धनेन्द्र साहू का ही कार्यकाल रहा जब फसल चक्र परिवर्तन के नाम पर रबी धान हेतु पानी देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था । इस वर्ष भी पानी की उपलब्धता की सँभावना को देखते हुये मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने रबी फसल के लिये पानी देने की घोषणा आचार संहिता लागू होने के पूर्व कर दी थी लेकिन धान अथवा उन्हारी स्पष्ट नहीं किया था । जल उपयोगिता समिति की बैठक में पानी की उपलब्धता के आधार पर क्षेत्र व रकबे का निर्धारण किया जाता है लेकिन यह बैठक अभी तक हुयी नहीं है और इस वजह से रायपुर जिला के किसान पशोपेश मे हैं। गँगरेल बाँध से पानी न मिलने की स्थिति में वे उतेरा फसल से भी वँचित हो जावेँगे क्योंकि खेतफोडी का काम किसानों ने शुरू कर दिया है और इसी समय किसान खेतों मे उतेरा बीज डालते हैं। किसानों के इसी पशोपेश को देखते हुये सँघ के अध्यक्ष भूपेन्द्र शर्मा के साथ जल उपभोक्ता सँघ भानसोज के पूर्व अध्यक्ष थानसिंह साहू व मालीडीह के पूर्व अध्यक्ष हीरेश चँद्राकर ने जिला जल उपयोगिता समिति के अध्यक्ष जिलाधीश बसव राजू एस व सँभागीय जल उपयोगिता समिति के अध्यक्ष सँभागायुक्त जी. आर. चुरेंद्र सहित महानदी जलाशय परियोजना के मुख्य अभियंता एस. व्ही. भागवत को ज्ञापन सौंप समिति की बैठक बुला पानी की उपलब्धता के आधार पर क्षेत्र व रकबे का प्राथमिकता के आधार पर निर्धारण कर चयनित ग्रामों को फसल चिन्हित करते हुये अविलंब सूचित कराने का आग्रह किया है । ज्ञापन मे इस सँबँध मे धमतरी जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक सँपन्न हो जाने की भी जानकारी दी गयी है। रबी धान के बदले रबी उन्हारी के लिये पानी उपलब्ध कराने के व्यक्तिगत हिमायती रहने वाले सँघ के अध्यक्ष रहे श्री शर्मा का कहना है कि फसल चक्र परिवर्तन की वैज्ञानिक आवश्यकता व अनिवार्यता के मद्देनजर शासन-प्रशासन को सिर्फ़ उन्हारी फसल हेतु ही पानी उपलब्ध कराना चाहिये व पानी हर बार एक ही क्षेत्र को न दिया जाकर एकान्तर क्रम मे कमाँड क्षेत्र मे आने वाले ग्रामों को भी क्षेत्र बदल बदलकर देना चाहिये क्योंकि पानी मे कमाँड क्षेत्र मे आने वाले प्रत्येक ग्रामों के रकबोँ का हक है किसी क्षेत्र विशेष का नहीं और इसके लिये अपने क्षेत्र विशेष का ख्याल रखने वाले जनप्रतिनिधियों को पहल करना चाहिये।