वन विभाग में भ्रष्टाचार का मामला: प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी पर विभाग मेहरबान, जांच में दोषी, फिर भी इतने महीने बीत जाने के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई..आखिर करण क्या है ..यह एक प्रश्न उठता है
HNS24 NEWS February 22, 2021 0 COMMENTSचित्रा पटेल : रायपुर : गरियाबंद वनमंडल अंतर्गत तालाब निर्माण में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी उधो राम ध्रुव जिसने धवलपुर में पदस्थ रहते हुए निर्माण कार्यों में बड़ी गड़बड़ी को अंजाम दिया है। इसके द्वारा तीन अलग-अलग तालाबों का निर्माण कराया गया था। प्रति तालाब निर्माण के लिए 15 लाख रुपए की राशि स्वीकृत हुई थी। साथ ही निर्माण के प्रोजेक्ट में जेसीबी का प्रावधान नहीं था, लेकिन इन महाशय ने जेसीबी का उपयोग तालाब निर्माण में किया। इसके अलावा निविदाकार से मिट्टी खुदाई का कार्य न कराकर अन्य फर्म से कराया गया। इस संबंध में वनमंडालाधिकारी गरियाबंद को भी जानकारी नहीं दी गई थी।
इसके साथ ही भ्रष्ट अधिकारी के द्वारा तालाब निर्माण के प्रोजेक्ट में दर्शायी गई मात्रा में कमी पाई गई। इस तरह से प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी ने भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है। भ्रष्टाचार को लेकर उच्च अधिकारियों से शिकायत भी हुई थी। जांच के बाद शिकायत सही पाई गई। मामले में दोषी अधिकारी से स्पष्टीकरण भी मांगा गया, लेकिन 8 माह बीतने के बाद भी आज तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। ऐसे में वन विभाग संदेह के घेरे में आ गया है। जांच में दोषी पाए जाने व स्पष्टीकरण नहीं देने पर विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे साफ है कि दोषी अधिकारी को वन विभाग बचाने में लगी हुई है।
यहां पदस्थ रहकर दिया था भ्रष्टाचार को अंजाम
प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी उधोराम ध्रुव ने धवलपुर में पदस्थ रहते हुए भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है। यहां 3 तालाबों का निर्माण कराया गया है। प्रति तालाबों के लिए 15 लाख रुपए स्वीकृत हुआ था। आदेश में स्पष्ट था कि तालाबों की खुदाई जेसीबी से नहीं कराई जाए, लेकिन भ्रष्ट अधिकारी जेसीबी से खुदाई करवा कर मोटी रकम कमा कर बैठ गया है।
कैप्मा मद का था पैसा
धवलपुर कक्ष क्रमांक 849, 850 एवं 854 में कैप्मा मद से वित्तीय वर्ष 2018-19 में प्रति तालाब 15 लाख रुपए की लागत से 3 तालाबों का निर्माण कराया गया था। निर्माण कार्यों में गड़बड़ी की शिकायत भी हुई।
तालाब निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत पर इन्होंने की थी जांच
तालाब निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत पर मुख्य वन संरक्षक रायपुर ने एके श्रीवास्त संयुक्त वनमंडालाधिकारी राजिम गरियाबंद वनमंडल को जिम्मेदारी दी थी। इसके बाद अधिकारी ने जांच रिपोर्ट मुख्य वन संरक्षक रायपुर को भेजा था। जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया गया था कि प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी के द्वारा निर्माण कार्यों में लाखों रुपए का हेरफेर किया गया है।
मुख्य वनसंरक्षक के आदेश के बाद भी कार्रवाई नहीं
मुख्य वनसंरक्षक रायपुर ने कार्य में कमी, राशि की वसूली व कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। आदेश में स्पष्ट किया था कि 3 दिसंबर 2019 तक अगर नोटिस का जवाब नहीं दिया जाता है तो एकतरफा कार्रवाई की जाए।
इन बिन्दुओं में मांगा गया था स्पष्टीकरण
1-तालाब निर्माण के प्रोजेक्ट में जेसीबी से खुदाई का प्रावधान नहीं था, लेकिन आपके द्वारा वनमंडालाधिकारी या वरिष्ठ कार्यालय के बिना अनुमति के तालाबों का निर्माण जेसीबी द्वारा क्यों कराया है?
2-वृत्त स्तर पर जेसीबी कार्य हेतु निविदाकार से मिट्Þटी खुदाई का कार्य न कराकर अन्य फर्म से कराया गया है। जिसकी स्वीकृति वनमंडालाधिकारी गरियाबंद से प्राप्त नहीं की गई है। ऐसा आपके द्वारा किन परिस्थतियों में गरियाबंद में किया गया?
3-धवलपुर परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 849, 850 एवं 854 में तालाब निर्माण में प्रोजेक्ट में दशार्यी गई मात्रा एवं सत्यापन में माप करने पर पाई गई मात्रा में कमी पाई गई है?
वसूली की कार्रवाई की जाएगी : डीएफओ
मुख्य वनसंरक्षक रायपुर को आरोप पत्र भेज दिया गया है। इस मामले में जांच की जा रही है। जांच में कोई भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाएगी। दोषी अधिकारी के खिलाफ वसूली की कार्रवाई की जाएगी।
वनमंत्री मोहम्मद अकबर तक यह बात पहुंचाई गई थी तो उन्होंने कहा था कि जरूर इस पर कार्रवाई की जाएगी की आश्वासन दिए।
सवाल खड़ा होता है कि आखिर अब तक क्या कारण है कि विभागीय जांच आगे नहीं बढ पा रहा है और न हीं संबंधित कर्मचारी पर विभाग द्वारा कड़ी कारवाही करने में पीछे क्यों है।
पूर्व में भी hns 24news.com में इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
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