श्रीवास्तव का तंज : क्या सेवानिवृत्ति के बाद संविदा नियुक्ति प्राप्त सचिव की मानसिक दशा भी सेवानिवृत्त हो चली है?
HNS24 NEWS September 12, 2020 0 COMMENTSरायपुर : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने प्रदेश के निजी स्कूल संचालकों और अभिभावकों के मध्य ट्यूशन फीस को लेकर चल रहे विवाद और इस बीच ऑनलाइन कक्षाएँ बंद कर दिए जाने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए प्रदेश सरकार द्वारा इस मामले में कोई समन्वयकारी पहल नहीं किए जाने को चिंताजनक माना है। श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार स्कूल फीस के मामले में स्पष्ट निर्देश जारी करे। इस मामले में किसी समाधानकारक पहल के बजाय स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव द्वारा की जा रही बयानबाजी पर भी श्रीवास्तव ने कड़ा एतराज जताया है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्रीवास्तव ने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव का यह कहना कि ‘जिन पालकों को निजी स्कूलों से दिक्कत हो रही है, वे पालक हमारे (सरकारी) स्कूलों बच्चों को पढ़ाएँ और जो पालक हमारी बुराई करते हैं, हम उनके हित में कुछ नहीं कर सकते’, बेहद ग़ैर ज़िम्मेदाराना है। प्रदेश एक गहन शैक्षिक संकट के दौर से गुज़र रहा है और ऐसी स्थिति में स्कूल शिक्षा सचिव ऐसे बयान देकर अपनी कुंठा व्यक्त करके वातावरण को और ज़्यादा बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। श्री श्रीवास्तव ने सवाल किया कि ख़ुद स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव और राजनीतिक नेताओं-मंत्रियों ने क्या अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाया है, जो अब वे पालकों को यह सलाह दे रहे हैं। कोर्ट में मामला होने की बात कहकर सचिव ने निजी स्कूलों और पालकों के बीच नहीं पड़ने की बात कहकर वे सरकार की ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की शर्मनाक कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार से अभिभावकों की आशा जुड़ी हुई है और वह अपनी ज़िम्मेदारी से मुँह नहीं मोड़ सकती क्योंकि यह प्रदेश के लाखों विद्यार्थियों के भविष्य से जुड़ मसला है। इस मामले में प्रदेश सरकार कोई नीतिगत निर्णय लेकर मसले को सुलझाने की पहल करे, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव की इस तरह बयानबाजी से यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद ‘प्रदेश सरकार की कृपा’ से संविदा नियुक्ति प्राप्त स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव की मानसिक दशा भी सेवानिवृत्त हो चली है? श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार को इस मामले में तुरंत दखल देकर मसले को सुलझाकर विद्यार्थियों के भविष्य से हो रहे खिलवाड़ को रोकना चाहिए।