रेडियोलॉजी विभाग में हड्डी के ट्यूमर ओस्टियोइड ओस्टियोमा का सफल उपचार
HNS24 NEWS August 26, 2020 0 COMMENTSरायपुर : दिनांक 25 अगस्त 2020. डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने बगैर सर्जरी के हड्डी के ट्यूमर ओस्टियोइड ओस्टियोमा का सफलतापूर्वक इलाज करते हुए एक 19 वर्षीय युवक को दायें पैर के असहनीय दर्द से निज़ात दिलाई। रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक पात्रे के नेतृत्व में रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन मशीन के जरिये न्यूनतम इनवेसिव पद्धति का उपयोग करके ट्यूमर को नष्ट किया गया। उपचार के बाद नवयुवक के पैरों का दर्द गायब है और वह स्वस्थ्य होकर डिस्चार्ज लेकर अपने पिता के साथ घर चला गया।
ओस्टियोइड ओस्टियोमा का उपचार रेडियोडायग्नोसिस विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. एस. बी. एस. नेताम के मार्गदर्शन एवं प्रो. डॉ. विवेक पात्रे के नेतृत्व में हड्डी रोग विभाग एवं एनेस्थेसिया विभाग के संयुक्त प्रयास से सफल रहा। ओस्टियोइड ओस्टियोमा एक सौम्य (नॉनकैंसरस) बोन ट्यूमर है जो आमतौर पर शरीर की लंबी हड्डियों में विकसित होता है, जैसे फीमर (जांघ की हड्डी) और टिबिया (शिनबोन)। इसका आकार छोटा होता है – आकार में 1.5 सेंटीमीटर से कम और ये बढ़ते नहीं हैं। कोशिकाओं के साथ मिलकर यह ट्यूमर के नाइडस का निर्माण करता है, जो एक्स-रे एवं सीटी-स्कैन में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट प्रो. डॉ. विवेक पात्रे ने इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 19 वर्षीय नवयुवक का इलाज रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन यानी रेडियो आवृत्ति पृथक्करण मशीन के जरिये न्यूनतम इनवेसिव पद्धति से किया गया। सीटी-गाइडेड रेडियो फीक्वेंसी एब्लेशन में ट्यूमर वाले स्थान पर केवल एक नीडिल की नोंक के बराबर छेद करके ट्यूमर को उच्च-आवृत्ति वाले विद्युत प्रवाह से नष्ट किया गया। इस उपचार प्रक्रिया में हड्डी रोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. एस. एन. फूलझेले एवं एनेस्थिसिया विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. के. के. सहारे का विशेष सहयोग प्राप्त रहा।
ऐसे हुआ प्रोसीजर
डॉ. पात्रे के अनुसार, सीटी स्कैन मशीन के स्क्रीन की सहायता से ट्यूमर के वास्तविक स्थान को देखकर उसके नाइडस पर नीडिल डाला गया। नीडिल के जरिए रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन मशीन के इलेक्ट्रोड को ट्यूमर वाले स्थान पर भेजा गया जहां पर उच्च-आवृत्ति वाले विद्युत प्रवाह के साथ ट्यूमर को गर्म और नष्ट किया गया। यह प्रक्रिया ओपन सर्जरी का सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि इस पद्धति से किये गये उपचार में ऑपरेशन के बाद होने वाले कॉम्प्लीकेशन के चांसेस बहुत कम होते हैं। दूसरे दिन ही मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर सकते हैं। वर्तमान में पूरे देश में ओस्टियोइड ओस्टियोमा के उपचार के लिए यही तकनीक अपनायी जा रही है।
जीवन का अच्छा समय दर्द निवारक दवाईयों के साथ गुजार रहा था
एक बातचीत में इस बीमारी से पीड़ित कापादाह, पंडरिया निवासी नवयुवक हेमंत साहू ने बताया कि मैं दायें पैर के दर्द से पिछले कई सालों से परेशान था। दर्द ने मेरी पढ़ाई तक प्रभावित कर दी थी। रात को पैर का दर्द इतना असहनीय हो जाता था कि कई रातों को मैं सो नहीं पा रहा था। अपने जीवन का सबसे अच्छा समय यानी युवावस्था को मैं दर्दनिवारक दवाईयों के सहारे गुजार रहा था। कई जगह इलाज कराकर थक जाने के बाद एक दिन मैंने अपने पिता से अम्बेडकर अस्पताल चलने को कहा और अंततः मेरी इस असहनीय दर्द का कारण यहां पता चला। सीटी स्कैन एवं एम. आर. आई. जांच में मेरे दायीं जंघा की हड्डियों (फीमर) के भीतर एक ट्यूमर का पता लगा। इसके बाद डॉक्टरों ने मेरे आगे के इलाज की योजना बनायी। मेरी आंखों के सामने ही कुछ ही मिनटों में मेरा इलाज हो गया और मुझे दर्द का पता भी नहीं चला। दूसरे दिन से मुझे चलने-फिरने में कोई दिक्कत नहीं महसूस नहीं हुई।
बीमारी का कारण अज्ञात
ओस्टियोइड ओस्टियोमा सौम्य (नॉनकैंसरस) प्रकार के ट्यूमर होते हैं। यह ट्यूमर शरीर के किसी भी हड्डी में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर पैर की हड्डियों में पाया जाता है। कभी-कभी ये हाथ, उंगलियों और रीढ़ की हड्डी में भी पाए जाते हैं। ओस्टियोइड ओस्टियोमा किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन 4 और 25 साल की उम्र के बीच सबसे आम हैं। पुरुषों में इस ट्यूमर के होने की संभावना ज्यादा है। ये पूरे शरीर में नहीं फैलते हैं। अभी तक इसके होने का कारण ज्ञात नहीं है। इस ट्यूमर की वजह से होने वाला दर्द बहुत तीव्र और असहनीय होता है। विशेष रूप से रात में यह दर्द और बढ़ जाता है। कई बार उस स्थान पर जहां ट्यूमर होता है वहां सूजन भी हो सकती है।
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