November 23, 2024
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रायपुर : दिनांक 23 जुलाई 2019 ,गैर जमानती कठोर कानून बनाने की मांग करते हुए  पूर्व अध्यक्ष  छग प्रगतिशील सतनामी समाज युवा प्रकोष्ठ जिला बलौदाबजार (भा.) ओमप्रकाश खुंटे ने कहा कि हिंदू संस्कृति में समाज को चार वर्ण में विभाजित किया गया है। ब्राम्हण,क्षत्रीय, वैश्य, एवं शूद्र आज के परिदृश्य को देखकर मुझे लगता है दो वर्ण में विभाजित किया गया है, पहला सवर्ण, दूसरा शुद्र आप सब जानते हैं उच्च सवर्ण जाति में कौन कौन आता है इस विषय पर ज्यादा तर्क नहीं किया जाता, न उन्हें हेय के दृष्टि में देखा जाता, उन्हें पहले भी प्रथम पंक्ति में सुविधा मिलती थी आज भी संविधानिक अधिकार को तक में रखकर सुविधा दी जा रही है। इसमें तीन वर्ण सुशोभित हैं ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य अगर इनके लोग भूल भटके कहीं दिन हीन अवस्था में होंगे तो इनके बस्ती में कोई झांकने तक नहीं जाता न हीं कोई राजनितिक पार्टी के लोग इनके साथ बैठकर भोजन कर फोटो खिचकर मीडिया मे या सोशल मीडिया मे नहीं डालते और ना इनके बस्ती में जाके कोई अपमानित शब्द का प्रयोग करते। वैसे भी इसके लिए कोई अपमानित शब्द बनी नहीं है हमारे लिए बनी है इसलिए लगातार इसका उपयोग कर हमे अपमानीत किया जाता है, हमारा समाज इनके नजर मे कृपापात्र था ऐसा आज भी बना रखे हैं। इसलिए हमारे लोगों के साथ भोजन करके ऐहसान करते हैं। ऐसा प्रतीत करते हैं।*जो निंदनीय है। ओमप्रकाश खुंटे ने कहा कि प्रदेश एवं देश मे अनुसूचित जाति के लोग को हेय के दृष्टि से देखा जा रहा है। राजनीतिक लाभ लेने उनके बस्सी में जाते हैं साबित करना चाहते हैं हमारे हितैषी हैं पर ऐसा नहीं है ऐसा करके हमारे जख्मों को कुरेदा जाता है जो आर्टिकल 15 का खुला उल्लंघन है।जिससे हमारे समाज का घोर अपमान होता हैं। हमारा समाज अब इन्हें माफ नही करेंगा। और कड़ी शब्दों से निंदा करते है।

ओम प्रकाश ने कहा कि दुबारा हमारे साथ ऐसा किया गया तो उनका जूतों के माला से स्वागत किया जाएगा।जिसके जिम्मेदार वह होगा जो हमे अपमान करने आएगा। हमारे आरक्षण को देखते हुए विकास मे पिछड़ गए गरीब निर्धन सवर्णों को मोदी सरकार ने 10 दिन के भीतर लोकसभा राज्यसभा में सवर्ण आरक्षण पास कर महामहिम राष्ट्रपति जी से हस्ताक्षर होकर कृयान्वन होना भी शुरू करा दिया। खैर इस बात का मैं स्वागत करता हूं, कम से कम देर से सही हमारे क्रम में इनको भी खड़ा किया।

ओमप्रकाश खुंटे ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने हमारे हिस्से की सभी तकलीफ को भोगा, देखा इसलिए संविधान में हमे संरक्षण दिया संविधानिक अधिकार दिया फिर भी जातिवाद से ग्रसित समाज एवं राजनितिक रोटी सेकने वाले लोग हमारे समाज को आज वही परिदृश्य में देखते हैं जैसे हम 200 साल पहले या संविधान लागु होने के पहले जैसा हैं, या रहते हैं जो इनके कुंठित मानसिकता व सोच को दिखाता है। देश अंग्रेजों से आजाद हो गया,रियाशतों से आजाद हो गया, पर समाजिक अंतर की सोच से और आर्थिक अंतर की सोच से आजाद नहीं हुआ । जो 70 साल पिछे हमारे समाज को धकेलने की कोशिश है जब तक समाजिक,आर्थिक अंतर रहेगा, कुंठित मानसिकता रहेगा,जाति दुर्भावना रहेगा तब तक आरक्षण रहेगा। हमारे समाज का 16% आरक्षण पून: लागू किया जाए, और जिलेवार हमारे जाति अनुपात में रोटर व्यवस्था के तहत सुविधा दिया जाएं जो हमारा मौलिक एवं संविधानिक अधिकार है।

शुद्रो की परिभाषा बड़ी रोचक है :- इसमें ओबीसी,पिछड़ा वर्ग अन्य पिछड़ा वर्ग,अति पिछड़ा वर्ग सहित अनुसूचित जाति भी सामाजिक विभाजन में शुद्र कहलाता है। पर हमें कुछ अलग चश्मा से देखा जाता है उन्हें अलग (अथवा) कभी-कभी समान्य वर्ग का लाभ भी दे देते हैं।इन्हें कभी अपमानीत नही किया जाता न अपमान जनक शब्द बनाए है, न इनके साथ भोजन कर प्रचार किया जाता हैं।इन सब बातों से लगता है हमे ही निशाना मे रखा जाता है और हमारे लोगों को ही निचा दिखाने का कोई अवसर नही छोड़ते ।

एक बात और दलित मतलब सतनामी, हरिजन मतलब सतनामी, शुद्र मतलब सतनामी दर्शाना यह बहुत ही निंदनीय सोच है मै सभी राजनीतिक पार्टियों, अन्य संस्थाओ का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि इस सोच से उबरेिए, हमें अपमानित करना छोड़िए।

खुटे ने कहा कि अनुसूचित जाति के अंतर्गत विभिन्न जाति समुदाय के लोग आते हैं जिसमें सूर्यवंशी समाज, रामनामी समाज, सतनामी समाज,एवं अन्य और भी समाज आते हैं जानना है तो 14 अनुसुचि लिस्ट देख लिजिए

हमारा सतनामी समाज की संख्या पुरा प्रदेश में लगभग 40 लाख है जिसे लगातार अपमानित किया जा रहा है जो अशोभनीय है।इसलिए आपने शब्दों को वापस लिजिए मांगी मांगीए नही तो समाजिक आक्रोश का सामना करना पड़ेगा ।

छत्तीसगढ़ की सरकार का अभारी है जिन्होंने अपमानीत करने वाले शब्दो को प्रतिबंध किया है। फिर भी उसका पालन नही हो पा रहा है ऐसे मे एक गैर जमानती कठोर कानून की आवश्यकता है। जिससे इसकी पुनरावृत्तीय न हो। साथ ही अन्य प्रदेश सरकारों से एवं भारत सरकार से हमारा समाज मांग करता है कि इस (दलित, हरिजन ,शुद्र ) शब्द को असंवैधानिक शब्द घोषित कर प्रतिबंध किया जाए एवं अनुसूचित जाति के घर जाकर अपमानीत करने एवं राजनीतिक रुप से उपयोग कर उनके साथ खाना खाकर अपमानीत न करे इसलिए गैर जमानती कानून बनाएं ताकि हमारा शोषण न हो, हमारा सार्वजनिक अपमान न हो।

HNS24 NEWS

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