रायपुर : दिनांक 20 जुलाई 2019, राज्यसभा में कृषि संबंधी एक गैर सरकारी विधेयक पर चर्चा करते हुये राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा ने राज्य की महत्वकांक्षी परियोजना नरवा, गरवा, घुरवा, बारी का उल्लेख करते हुये कहा कि यह योजना राज्य के ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन लायेगा। देश की सभी राज्य सरकारों को इस योजना को लागू करना चाहिये। केन्द्र सरकार भी इस योजना को अंगीकार करें। राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा के उद्बोधन के बाद कृषि राज्यमंत्री पुरूषोत्तम रूपाला ने भी नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी योजना की तारीफ करते हुये कहा कि ऐसी योजनाओं को केन्द्र सरकार पूरा प्रश्रय देगी। देश में किसान और कृषि की बदहाली की चर्चा करते हुये राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा ने कहा कि सभी राज्यों में देश में अंधाधुंध औद्योगीकरण हुआ है, जिससे खेती योग्य भूमि कम होती गई और जो बड़े-बड़े उद्योगपति थे, वे कृषि भूमि पर कब्जा करते गए और हमारी कृषि योग्य भूमि सभी राज्यों में कम होती गई, यह बहुत चिंता का विषय है और इसमें सरकार को नियम बनाना चाहिये कि कृषि भूमि उद्योगपतियों को न दें, तभी हमारे किसान सिंचित होंगे, तभी हमारे किसान खुशहाल होंगे। सरकार कहती है कि फसल की कीमत दुगुनी करेंगे और यह बजट में भी आया है। कैसे दुगुनी करेंगे? उसके बारे में कहीं कोई उल्लेख नहीं है। आप तो आए-दिन पेट्रोल की कीमत, डीजल की कीमत बढ़ा देते है। कृषि में जो औजार उपयोग में आते है, उनकी कीमत आपने दुगुनी कर दी है, रासायनिक खाद की कीमत महंगी कर दी है। जिस समय किसानों को रासायनिक खाद की आवश्यकता होती है, उस समय वह मिलती नहीं है।
उस समय खाद की कालाबाजारी होती है। मैं सरकार से जानना चाहती हूं कि क्या सरकार राशन कार्ड पर कम कीमत पर डीजल और पेट्रोल उपलब्ध कराएगी क्योंकि तभी किसान खुशहाल होंगे, नहीं तो महंगी कीमत पर किसान की फसल दुगुनी करने की बात कर रहे है। क्या भूमिहीन किसान की मंझोले किसान की या बड़े किसान की? किस किसान की फसल दुगुनी होगी, मुझे उसकी जानकारी चाहिये। किसानों की फसल बीमा योजना के बारे में मैं कहना चाहूंगी कि आपकी जो फसल बीमा योजना है, वह राफेल घोटाले से भी बड़ा घोटाला है। एक पत्रकार है-साईंनाथ, जिनका कहना है कि किसानों की फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों ने जो पैसा जमा किया, वह 66 हजार करोड़ रहा। आपने हर जिले को 173 करोड़ रूपए किसानों को देने के लिये उपलब्ध कराए, जबकि बीमा कंपनियों से केवल 30 करोड़ रूपए ही किसानों को मिल पाए तो 143 करोड़ रूपए फसल बीमा करने वाले बीमा एजेंटों के पास, बैंकों के पास, अडानी के पास जमा रहे- जो किसानों का पैसा था। तो आपकी फसल बीमा योजना पूरी तरह से फैलर योजना है, यह किसानों के लिये बहुत घातक योजना है। किसान जब बीमा कराने जाते हैं तो वे इस बात को सही तरीके से समझ नहीं पाए। ‘‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’’ के अंतर्गत आपने 6,000 रूपए देने का वायदा किया, जिसके अंतर्गत 2,000 रूपएकी पहली किश्त 3 करोड़,36 लाख किसानों को मिली, लेकिन आपने दूसरी किश्त में उसे कम करके 2 करोड़ 96 लाख कर दिया और 2,70,000 हजार किसानों को बैंक ब्यौरे और जमीन ब्यौरे में विसंगति के कारण न तो पहली किश्त मिल पायी और न ही दूसरी किश्त मिल पायी। किसानों की दशा और दिशा सुधारने का कोई नामो-निशान आपकी योजना में दिखायी नहीं देता। किसान हताश है, निराश है, उन्हें इस योजना का लाभ सही तरीके से नहीं मिल पा रहा है।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस की सरकार में हमारे मुख्यमंत्री जी एक योजना लाए हैं जिसका नाम हैं-नरवा, घुरवा, गरवा, बारी, एला बचाना हे संगवारी। नरवा मतलब नाला, नाले में छोटे-छोटे स्टॉप डेम बनाने पानी संचित होगा और उस पानी को किसानों को देंगे। घुरवा मतलब गोबर और घर के दूसरे कचरे को एक जगह संचित करके उससे कम्पोस्ट खाद बनाकर उसे खेती में उपयोग किया जाएगा-यह घुरवा हुआ। गरवा मतलब गोठान। अभी कल ही हमारे सांसद गाय के बारे में बता रहे थे कि गाय पूरी फसल को चर जाती है। इसके लिये हमारी सरकार ने गोठान उपलब्ध कराए हैं और वह हर ग्राम पंचायत में गोठान बना रही है। होता क्या है कि हम फसल बचाने के लिये खेत को कांटों की तार से घेरते हैं, लेकिन अगर हम गांव में गोठान बनाकर गाय को एक जगह संरक्षित करें तो उससे फायदा होगा। धान की हारवेस्टिंग से कटिंग होती है, मनरेगा के माध्यम से उस पैरा को जो पैरा हम खेत में छोड़ देते है, उस पेरा का गाय के चरने के लिए, गाय के खाने के लिए वहां पर रखे और उस गौठान में पानी की व्यवस्था कराएॅ जिससे गाय की एक जगह रखकर बहुत अच्छी कामपोस्ट खाद बन सकती है, ऐसा करके हम गाय को संरक्षित कर सकते है, उसकी सेवा कर सकते है। जब मनरेगा के माध्यम से यह काम होगा तो हर ग्राम पंचायत के चार-पांच से लेकर आठ-दस लड़को को मजदूरी मिलेगी काम मिलेगा यह ‘गरवा’ हुआ। चौथा है ‘बाड़ी’-‘बाड़ी’ का मतलब किचन गार्डन नहीं है। आज हम देख रहे है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अंधाधुंध पेड़ो की कटाई हो रही है। चाहे वह सड़क चौड़ीकरण के नाम से हो चाहे उद्योग लगाने के नाम से हो या अन्य कारण से हो आज हमारे पेड़ कट रहे है जंगल कट रहे है पिछले 15 वर्षों में छत्तीसगढ़ में इतने अधिक जंगलों की कटाई हुई कि अब जंगली जानवर हमारे घरों में आ रहे है हाथी आ रहे है, बंदर आ रहे है- हमने जंगल काटकर उनका घर उजाड़ दिया तो अब वे हमारे घरों में आ रहे है। जो भी गांव की खाली जगह है, छोटी-छोटी जगह है, उसमें हमारी सरकार सब्जी-भाजी के बीज और दूसरे खाद्य पदार्थो के बीज छिड़क रही है।
उससे जंगली जानवर चाहे व भालू हो, चाहे वह बंदर हो, चाहे वह हाथी हो, वे उस स्थान में ही रहेंगे। वे हमारे गांव में घुसकर हमारी फसलों को नुकसान नही पहुंचाएंगे। तो यह नरवा, घुरवा, गरवा, और बाड़ी एक योजना है और आप चाहे तो इसको मैं और विस्तार से लिखित रूप में भी दे सकती हूं। हमारी सरकार में एक क्विंटल धान का सर्मथन मूल्य 2500 रूपये रखा है, जो भारत के किसी भी राज्य में नहीं है। सही मायने मे अगर आप किसानों का हित चाहते है और किसानों के साथ न्याय करना चाहते है, तो आपको धान के सर्मथन मूल्य को बढ़ाना होगा। किसानों के लिए कृषि ही उनकी शक्ति है, कृषि ही उनकी भक्ति है, कृषि ही निंद्रा है और कृषि ही उनका जागरण है। किसान पूरे दिन, पूरे समय, पूरी उम्र खेती में ही अपना जीवन व्यतीत करता है। अगर उसके साथ अन्याय होगा, उसके साथ न्याय नही करेंगे तो यह पूरी बेईमानी होगी। जब देश का किसान खुशहाल होगा, ते सब चीजे समृद्ध होगी, देश समृद्ध होगा, व्यापार फलेगा-फूलेगा, उद्योग फलेगा-फूलेगा क्योकि वहीं से तो हमे पैसा मिलता है। अगर किसान को आप दुखी रखेंगे, तो हमारा देश कभी खुशहाल नहीं हो सकता हैं।
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