माईनिंग फंड के खर्च में जवाबदेही सुनिश्चित करने का कांग्रेस ने किया स्वागत : शैलेश नितिन
HNS24 NEWS June 19, 2019 0 COMMENTSरायपुर : दिनांक19 जून 2019 जिला कलेक्टरो से डीएमएफ का हिसाब मांगे जाने का स्वागत करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन ने कहा है कि सरकार में जवाबदेही हर स्तर पर होना चाहिए माइनिंग डेवलपमेंट फंड का सृजन इसलिए किया गया था ताकि जो लोग माइनिंग से प्रभावित हो रहे हैं, जिनका पूरा जीवन यापन के संसाधन और जिनका पूरा जीवन उस इलाके में माइनिंग होने से नष्ट हो गया है जिनकी जमीने चली गई हैं, जिनका जीवन और सब कुछ माईनिंग नष्ट हो गया है ऐसे लोगों को डीएम के माध्यम से आजीविका के वैकल्पिक साधन मुहैया कराए जाएं और माइनिंग के परिणाम स्वरूप जिन क्षेत्रों में विकास प्रभावित हुआ है उन क्षेत्रों में विकास के नए रास्ते बनाए जा सके चाहे स्कूल हो चाहे अस्पताल हो चाहे सड़क हो। दुर्भाग्य से रमन सिंह जी की सरकार में भाजपा की सरकार में लगातार डीएमएस के पैसों का दुरुपयोग किया गया और कई जिला कलेक्टर इस दुरुपयोग और राशि की अफरातफरी के संवाहक बने। बिना अकाउंटेबिलिटी के डीएमएफ के पैसे को ऐसे समझ लिया गया था जैसे उनका कोई हिसाब ही नहीं देना है। भूपेश बघेल जी की सरकार, कांग्रेस की सरकार ने अन्य सभी क्षेत्रों के साथ-साथ डीएमएफ में भी जवाबदेही की जो शुरुआत की है कांग्रेस पार्टी उसका स्वागत करती है।
राष्ट्रीय एजेंसी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की छत्तीसगढ़ में ज़िला खनिज कोष यानी डिस्ट्रिक्ट डवलपमेंट कोष (डीएमएफ़) पर जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार ने निवेश को जनता से जोड़ने की बजाय निर्माण पर निवेश करने में लगा दिया। खनन से प्रभावित लोगों तक सबसे अधिक धन जाना चाहिए था लेकिन उन तक एक प्रतिशत राशि भी नहीं पहुंच रही है। नियमानुसार डीएमएफ़ का पैसा खर्च करने में जनता की भागीदारी होनी थी लेकिन रमन सिंह ने खनन प्रभावित लोगों की भागीदारी ख़त्म कर दी है और सिर्फ़ अधिकारी ही इसके बारे में निर्णय ले रहे थे। इस रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि कैसे सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए नियमों को बदल दिया और कैसे नियम विरुद्ध निवेश भी किए गए हैं। चुनावी वर्ष में लाभ लेने के लिए डीएमएफ़ का पैसा प्रधानमंत्री उज्जवला योजना तक में लगा दिया गया। छत्तीसगढ़ के तीन ज़िलों में डीएमएफ़ के तहत सबसे अधिक पैसा इकट्ठा होता है। कोरबा, दंतेवाड़ा और रायगढ़ में सीएसई ने इन तीनों ज़िलों का गहन अध्ययन किया है।