November 22, 2024
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश के बाद आने वाले दिनों में ED की मनमानी पर लगाम लगने की पूरी संभावना है. इससे हर मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाकर किसी को गिरफ्तार करना मुश्किल हो जाएगा.

Supreme Court ने एक आदेश में कहा है कि स्पेशल कोर्ट ने अगर शिकायत पर संज्ञान ले लिया है, तो ED, PMLA के प्रावधानों के तहत आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती.

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिसंबर 2023 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा दिये एक आदेश को चुनौती देते हुए दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ता का सवाल था कि अगर विशेष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में व्यक्ति विशेष के आरोपों को संज्ञान में ले लिया है, तो क्या तब भी उसे बेल के लिए सेक्शन 45 की दोहरी शर्तों को पूरा करना होगा.
ये शर्तें हैं –
(1) पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को आरोपी की जमानती याचिका का विरोध करने का अवसर दिया जाएगा,
(2) पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के विरोध करने पर भी अगर प्रथम दृष्टया ये पाया जाता है कि आरोपी ने कोई अपराध नहीं किया है, और बेल मिलने के बाद वो कोई अपराध नहीं करेगा, तो बेल दी जा सकती है.

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने 16 मई को इस मामले की सुनवाई की. इस दौरान बेंच ने कहा,

“अगर आरोपी समन के बाद कोर्ट में पेश हो रहा है, तो उसके साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जा सकता जैसे वो हिरासत में है. समन के बाद कोर्ट में पेश होने वाले आरोपी को बेल के लिए अप्लाई करने की जरूरत नहीं है, यानी उस पर PMLA की धारा 45 के तहत दोहरी शर्तें लागू नहीं होंगी.”

कानून के जानकार बताते हैं कि PMLA के सेक्शन 45 के तहत दोहरी शर्तें होने पर आरोपी को जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है.

ANI की रिपोर्ट के मुताबिक बेंच ने कहा कि अगर ED आरोपी को हिरासत में लेना चाहती है, तो उसे इसके लिए संबंधित अदालत में एक आवेदन देना होगा. इसके बाद जब अदालत एजेंसी द्वारा बताए गए कारणों से संतुष्ट होगी, तभी आरोपी को हिरासत में लेने की अनुमति मिलेगी. भले ही आरोपी को धारा 19 के तहत कभी गिरफ्तार नहीं किया गया हो…

HNS24 NEWS

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