रायपुर : सरकारी योजनाएं है, बिलासपुर की प्रोजेक्ट अरपा-भैंसाझार परियोजना जो ४५ साल पुरानी योजना है। अभी तक यह आकार नहीं लिया है। सरकारी योजना कितनी लंबी खिंच सकती हैं, इसका अंदाजा तो इस योजना को देख कर लगाया जा सकता है। इस अति बहुप्रतीक्षित योजना का नाम है, अरपा-भैंसाझार परियोजना जो अब जाकर आकार लेना शुरू हुई है की रुक गई। आखिर इस प्रोजेक्ट का लाभ बिलासपुर के किसानों को क्यों नहीं मिल पा रहा है।बता दे कि इस योजना की बुनियाद तब रखी गई थी, जब 1978-79 में मध्यप्रदेश में तत्कालीन सिंचाई मंत्री मनहरण लाल पांडे थे। आज इसकी लागत 606 करोड़ रुपए से जायदा का अनुमान लगाया जा सकता है। इसके लिए पांच किमी लंबी नहर की लाइनिंग कर ली गई थी। अभी भी निजी जमीनों का मुआवजा नहीं बंटने से काम टुकड़ों में सरकारी जमीन पर ही चल रहा है। कोटा के भैंसाझार गांव के पास 40 साल पहले शुरू हुए इस प्रोजेक्ट से अब धीरे-धीरे ग्रहण छंटने लगा है। प्रोजेक्ट का सबसे अहम हिस्सा यानी मुख्य नहर मूर्तरूप लेने लगी है। जल संसाधन विभाग ने सितंबर 2013 में भूमिपूजन के बाद अगस्त में मुख्य नहर के निर्माण के लिए टेंडर जारी किया था। 326 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली नहर का काम तीन कंपनियों ने लिया है। 27.5 किलोमीटर लंबी नहर के अलाइनमेंट के लिए कंपनी ने 150 किलोमीटर का सर्वे किया है। कुछ जगह जमीन नहीं मिल रही थी। जहां सरकारी जमीन थी, वहां आस-पास कंस्ट्रक्शन हो चुका था। मार्च से नहर निर्माण का काम ग्राम खरगहनी से शुरू किया गया है। मध्यप्रदेश के जमाने में तत्कालीन मंत्री स्व. मनहरण लाल पाण्डेय तो अब पूर्व स्पीकर धरमलाल कौशिक की पहल पर राज्य शासन ने इस मेगा प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। दो ब्लॉकों के 15 गांवों से गुजरेगी , 27.5 किलोमीटर की मुख्य नहर दो विकासखंड कोटा और तखतपुर के 15 गांवों से गुजरेगी। इनमें उमरमरा, जोगीपुर, छेरकाबांधा, खुरदुर, खरगहनी, खरगहना, कलमीटार, गोकुलपुर, नेवरा, गनियारी, चोरभट्ठीकला, चोरभट्ठी खुर्द, भरनी, पेंडारी और संबलपुरी शामिल हैं। हटानी पड़ेगी रेलवे क्रॉसिंग , मुख्य नहर में दो जगह पर रेलवे क्रॉसिंग आ रही है। कलमीटार स्टेशन व पर्थरा रेलवे फाटक के बीच से यह नहर निकलेगी। इसके लिए सिंचाई विभाग ने डीआरएम को पत्र लिखा है। 27 किलोमीटर तक किया जाएगा सर्वे ,ग्राम संबलपुरी से आगे मुख्य नहर 27 किलोमीटर और बननी है। इसके लिए सर्वे कराया जाना है। 27.5 किलोमीटर के बाद जब नहर आगे बढ़ेगी तो वह बिल्हा ब्लॉक के ग्राम दगोरी तक जाएगी। यह नहर संबलपुरी से पांड़, सैदा, निवारीपारा, चिचिरदा, बेलमुंडी, छतौना, बोड़सरा, पेंड्रीडीह, उद्गहन होते हुए दगोरी तक जाएगी। इसे मंजूरी मिलते की सर्वे शुरू कराया जाएगा ।
1. 21 किमी की नहर में 26 पुल-पुलिया बनेंगे, 27 किलोमीटर की नहर में 26 स्थानों पर पुल-पुलिया का निर्माण कराया जाएगा। 2. ग्रामीणों की मांग के अनुसार आठ जगह फाल बनाई जाएगी। इससे ग्रामीणों को खेतों तक पानी ले जाने में आसानी होगी। 3. मुख्य नहर से 12 शाखा नहर, वितरक नहर और लघु नहर बनाई जाएंगी। 4. मुख्य नहर तीन जगह अन्य नहरों से भी क्रॉस होगी। कब, क्या हुआ
– अरपा-भैंसाझार परियोजना को केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की पहली मंजूरी फरवरी 2012 में मिली। – 6 मई 2012 को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता वाले परियोजना मंडल ने स्वीकृति दी। – 6 जून 2012 को इसे शासन की प्रशासकीय स्वीकृति मिली। – 26 दिसंबर 2012 को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से स्टेज-1 की स्वीकृति मिली। – राज्य शासन से टेंडर के लिए ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट का एप्रूवल 18 फरवरी को मिला।
इस योजना का महत्व देखते हुए रतनपुर और बिलासपुर के कृषक नेताओं ने जोरदार पैदल मार्च किया था।
यह भी बता दें कि छतीसगढ़ राज्योदय बाद अरपा को बचानेपूर्वमंत्री अमर अग्रवाल और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह ने रुचि ली, योजना को फिर से रूप देकर, बैराज की ऊंचाई और डूबान इलाके में कमी की गईं।परियोजना से नदी की सदानीरा बनने का सपना अभी बाकी है, इसे साबरमती या लन्दन की टेम्स नदी से बनाये जाने का सपना संजोया गया था।