रायपुर : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज नेहरू की 55वी पुण्यतिथि के अवसर पर राजीव भवन में वर्तमान भारत के जनक जवाहरलाल नेहरू को श्रद्धांजलि अर्पित की। भूपेश बघेल ने कहा आज का भारत नेहरू की देन ।
नेहरू जी पुण्यतिथि पर आज हम लोग यहाँ मौजूद है। जब हम पूर्वजो को याद करते है तो उनके सपनो को याद करते है। आज नेहरू जी को याद करने आए है उनके सपनो को याद करेंगे। नेहरू जी को बहुत से लोग जानते है पर उनको पढ़ने वाले कुछ लोग भी यहां बैठे है। उनकी एक प्रसिद्ध पुस्तक भारत एक खोज को जब हम पढ़ते है तो चकित हो जाते है, क्योकि उनकी किताब में इतिहास भूगोल कला सनंस्कृति की जानकारी भी मिलती है।
नेहरू जी पोंगा पंथ और दखियानुसी को आगे नही ले जाए। राष्ट्रवाद तो हो पर संकुचित राष्ट्रवाद न हो। जब भारत आजादी की लड़ाई साफ रहा था तब यूरोप में लड़ाई चल रही थी और नेहरू जी भारत की सृजन की कल्पना की सोच रहे थे।
भूपेश बघेल ने कहा की सावरकर ने जो हिन्दू सभा के नेता थे, उन्होंने विभाजन के बीजारोपण का कार्य किया था जिसे साकार जिन्ना ने किया।
नेहरू जी ने लिखा था कट्टरता कैसी भी हो देश और समाज के लिए नुकसान दायक है। उनको जैसे ही जिम्मेदारी मिली देश के निर्माण की उन्होंने ऐम्स, परमाणु कार्यक्रम, अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की थी। उनकी दूरगामी सुच से हम भूखमरी बेरोजगारी दूर करने की सोच की, जिसका एक मिसाल भिलाई स्टील प्लांट के रूप में हमारे प्रदेश में ही मौजूद है।
प्रजा तंत्र में जनता का सबसे बाद हथियार सवाल पूछना है। नेहरू जी इसके समर्थक थे और आज प्रधानमंत्री से आप सवाल नही कर सकते। आज नेहरू के भारत को बदलने की कोशिश की जा रही है। आज हम लोग जहां खड़े है तो उसमे सबसे बड़ा उयोगदान नेहरू जी का है।
पुरषोत्तम अग्रवाल ने कहा जो समाज अपने बनाने वालो को नही मानते तो उन्हें इंसान कहने में दुख होता है। एक प्रसंग की बात बताते हुए उन्होंने कहा की नेहरू नही होता तो आज हम कहा होते। आज गोडसे को देखभक्ति का प्रमाणपत्र देने वाले लोग को सोचना चाहिए।
आज जिस भारत पर हम गर्व करते है नेहरू उनकी नींव थे, वो चुनाव जीतने के लिए नोट बंदी के बारे में सोच भी नही सकते है। नेहरू पीढ़ियों के लिए सोचते है। ये सब एक विज़न के बिना संभव नही है। उदारीकरण भी नेहरू की दूरदर्शिता के कारण संभव हुआ।
उन्होंने कहा की नेहरू के बारे में झूठ को इतने बार बोला गया है की लोगो को आज यकीन होने लगा है। नेहरू कंज्यूमर नही सिटीजन बनाते थे