रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन शून्यकाल में मंत्री टीएस सिंहदेव के पंचायत विभाग से इस्तीफे के मुद्दे पर सदन जमकर गरमाया। हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सदन की कार्रवाई पहले 10 मिनट के लिए और बाद में गुरुवार तक स्थगित कर दिया। शून्यकाल के दौरान भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा, प्रदेश में संविधानिक संकट की स्थिति बन गई है। मंत्री ने पत्र लिखकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सामूहिक उत्तरादायित्व के तहत उन आरोपों पर मुख्यमंत्री और दूसरे मंत्रियों का जवाब आना चाहिए। भाजपा के दूसरे विधायकों ने भी इस पर सवाल उठाए। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा, एक मंत्री का मुख्यमंत्री को पत्र लिखना संवैधानिक संकट और व्यवस्था का प्रश्न नहीं होता। मंत्री का इस्तीफा स्वीकार करने की भी विधानसभा सचिवालय को कोई सूचना नहीं है।
सदन में भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर समेत अन्य भाजपा सदस्यों ने इस मामले को उठाया और कहा कि एक मंत्री ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया है, जो एक गंभीर मुद्दा है। भाजपा सदस्यों ने कहा, संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, मंत्रिमंडल और कार्यपालिका, विधायिका के प्रति जवाबदेह है। यह सरकार इस मोर्चे पर विफल रही है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर संबंधित मंत्री या मुख्यमंत्री को सदन में बयान देना चाहिए। विपक्षी सदस्यों ने कहा कि मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में सिंहदेव ने दावा किया है कि उन्हें स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रति ‘अविश्वास’ व्यक्त किया है।
समाधान के बाद हो विस की कार्रवाई
विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक समेत अन्य विपक्षी सदस्यों ने कहा कि जब तक इस मुद्दे का समाधान नहीं हो जाता और मुख्यमंत्री सदन में बयान नहीं देते हैं, तब तक विधानसभा की आगे की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने सदन मे हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्रवाई 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। फिर से शुरू कार्रवाई होने के बाद, विपक्षी सदस्यों ने फिर से मुख्यमंत्री से बयान की मांग की।
मुख्य सचिव दे रहे मंत्री को अंतिम मंजूरी
भाजपा सदस्यों ने कहा, मंत्री ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि पंचायत विभाग के कामकाज को मंजूरी देने के लिए ‘रूल ऑफ बिजनेस’ के खिलाफ मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है। सदस्यों ने कहा, मंत्री ने कहा है कि मनरेगा योजना के तहत काम करने वाले कर्मचारियों द्वारा हड़ताल करने की साजिश रची गई थी। उन्होंने कहा कि यह संविधान और नियम के खिलाफ है कि एक मुख्य सचिव किसी मंत्री के प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी दे।
मंत्रियों के प्रोटोकाल का पालन नहीं
भाजपा विधायकों ने कहा, मंत्रियों के तय प्रोटोकाल का पालन नहीं हो रहा है। कोरोनाकाल में फैसलों के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति अभी भी फैसले ले रही है। हंगामा बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सदन की कार्रवाई को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। कार्रवाई दोबारा शुरू हुई तो भाजपा विधायकों ने मुद्दा फिर से उठाया। इस बार कांग्रेस विधायक भी अपनी सीट पर खड़े हो गए और भाजपा के आरोपों का जवाब देने लगे।
सिंहदेव 21 तक सदन में नहीं रहेंगे
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, सिंहदेव ने विधानसभा कार्यालय को सूचित किया है कि वह 20 और 21 जुलाई को सदन में नहीं होंगे। वन मंत्री मोहम्मद अकबर को सदन में उनके विभागों से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए नियुक्त किया गया है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे को बयान देने के लिए कहा, जिस पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई और मुख्यमंत्री से बयान की मांग करते हुए फिर हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के बीच स्पीकर ने सदन की कार्रवाई गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
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