कांग्रेस का भाजपा पर आरोप, आदिवासी विरोधी नीति से ध्यान हटाने आदिवासी महिला का इस्तेमाल
HNS24 NEWS July 14, 2022 0 COMMENTSरायपुर : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव राजेश तिवारी ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा अपनी आदिवासी विरोधी नीति व जंगल को निजी हाथों में बेचने के लिए किए जा रहे षडयंत्र से लोगों का ध्यान हटाने के लिए एक आदिवासी महिला का इस्तेमाल कर रही है।
आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी आदिवासी हितैषी होने का मुखौटा लगाने का प्रयास है। उन्होंने कहा, सिर्फ किसी जाति विशेष का होने से ही उस जाति का भला नहीं होता, बल्कि उस वर्ग के प्रति सोच व उनके विकास के लिए बनने वाली योजनाएं एवं उनका क्रियान्वयन करने वाला व्यक्ति होना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू से सवाल किया कि क्या वे केंद्र सरकार की आदिवासी नीतियों का विरोध करेंगी? क्या इन सवालों का जवाब मतदान के पूर्व वे देंगी?
उन्होंने कहा, वन अधिकार अधिनियम देश के वनक्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी, दलित और अन्य परिवारों को व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तर पर भूमि और आजीविका के अधिकार प्रदान करता है। वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत वनभूमि के अन्यत्र उपयोग के लिए किसी भी मंजूरी पर तब तक विचार नहीं किया जाएगा, जब तक वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रदत्त अधिकारों का सर्वप्रथम निपटान नहीं कर लिया जाता है। हाल ही में मोदी सरकार द्वारा जारी नियमों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा अंतिम रूप से वन मंजूरी मिलने के बाद वन अधिकारों के निपटारे की अनुमति दे दी गई है। यह प्रावधान कुछ चुनिंदा लोगों के लिए ‘व्यापार को आसान बनाने’ के नाम पर किया गया है। क्या इसका वे विरोध करेंगी? केंद्र सरकार के प्रस्तावित वन कानून के तहत जंगल से लकड़ी, घास या मिट्टी लाना, जंगल में पालतू जानवर चराना, सबकुछ वन अपराध है। हालांकि पहले भी ये अपराध की श्रेणी में ही था, लेकिन अब इसकी सजा और सख्त कर दी गई है। क्या यह उचित है?
वनाधिकार समाप्त करने विरोध करेंगी?
प्रदेश में भाजपा की 15 वर्षों तक सरकार थी, किंतु पेसा नियम नहीं बनाए गए। कांग्रेस की भूपेश बघेल की सरकार मे पेसा कानून के नियम बना लिए हैं। पेसा कानून का वे समर्थन करती है कि नहीं? वनाधिकार एक सतत प्रक्रिया है, जो हमेशा चलती रहेगी। मोदी सरकार अब इस अधिकार को समाप्त करना चाहती है, क्या आप इसका विरोध कर पाएंगी?
बड़े उद्योगों को मिली खदानें निरस्त कराएंगी?
रमन सरकार में सबसे ज्यादा आदिवासियों की हत्याएं हुई, बस्तर के 700 से ज्यादा गांव खाली करा दिए गए, क्या आप केंद्र सरकार से इनकी जांच कराकर तत्कालीन सत्ताधीशों को सजा दिलवाएंगी? मोदीजी के करीबी बड़े उद्योगपतियों को कोल एवं लौह अयस्क का भंडार सौंपा गया है, जिसके कारण बस्तर, सरगुजा व कोरबा में विरोध हो रहा है। क्या आदिवासी भाइयों का साथ देते हुए उसे निरस्त कराने का काम करेंगी?
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