नई-दिल्ली : सूत्रों से पता चला है कि रायपुर भारतीय जनता पार्टी की छ्त्तीसगढ़ प्रदेश संगठन ने राज्य की सभी 11 लोकसभा क्षेत्रों में नया प्रत्यासी उतारने की सर्वसम्मत प्रस्ताव व सभी सांसदो का टिकट काटने के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री डा० रमन सिंह का शातिर राजनैतिक षड्यंत्र है। उनकी. राजनैतिक षडयंत्र की रचना कुछ इस तरह की गईं है ताकि वह पुरी तरह सफल हो और सभी सांसदों की बलि ले ली जावे I उनकी मंशा का क्रियान्वयन करने में भाजपा के नवनियूक्त၊ प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष घरम लाल कौशिक तथा क्लस्टर प्रभारी व विवादास्पद पूर्व मंत्री राजेश मुणत कोई कसर २ोष नहीं रखा है।
ज्ञातव्य है कि विगत । 5 वर्षों के अपने शासनकाल में डा० रमण सिंह ने भाजपा की प्रदेश संगठन पर पुरी तरह न केवल कब्जा कर लिया हैं बल्कि मुख्यमंत्री पद के दावेदार बताये जाने वाले प्रदेश भाजपा के दिग्गजों सर्व रमेश वैस, नन्द कुमार साय, विष्णु देव साय, ननकी राम कंवर , सरोज पाण्डे तथा वृजमोहन अग्रवाल को पटकनी देने में कोई कसर शेष नहीं रखा है।
छ ग भाजपा दिग्गज नेता कल दिल्ली के बैठक में उपस्थित थे।23 मार्च को उम्मीदवारो की सूची बाहर आ सकती है।
सूत्रों से पता चला है कि प्रदेश के सभी 11 लोक सभा क्षेत्रों में डा० रमन सिंह के पास सामानान्तर नाम है और उनका उपयोग वे सांसदों के विरुद्ध कर भी रहें हैं। सभी के सभी उनके न केवल विस्वस्त हैं वाल्कि वे अघोषित सामानान्तर संगठन भी चला रहे हैं।
राज्य के विभिन्न लोकसभा क्षेत्र में डा० रमन सिंह द्वारा अग्रेषित होने वालों में दो महिला जिला पंचायत अध्यक्ष जविता मण्डावी जगदलपुर व माया बेलचंदन दुर्ग के अतिरिक्त बिलासपुर से घरम लाल कौशिक, रायपुर से संजय श्रीवास्तव, राम शीला साहु दुर्ग, पूर्व कलेक्टर ओ पी चौधरी यादि प्रमुख हैं। जानकारों का मानना है कि यदि किसी कारण राजनांदगाँव से पिता – पुत्र की टिकट कटती है तो पूर्व सांसद मदुसुदन यादव का वे नाम आगे कर देगें। इसी तरह पूर्व कलेक्टर ओ पी चौधरी के लिये चिन्हित लोस क्षेत्र कोरबा, महासमुन्द तथा रायपुर हैं । भाजपा इनमें से किसी एक पर उनकी उम्मिदवारी तय करेगी। डा० रमन सिंह की इन चालों से सर्वाधिक प्रभावित दिग्गज नेता सर्वश्री वृजमोहन अग्र वाल तथा प्रेम प्रकाश पाण्डे हो सकते हैं हंलाकि सूत्र का कहना है कि अग्रवाल के नाम पर सहमति बन गई है।
किसी भी चुनाव में हार और जीत , इस बात पर निर्भर करता है कि सत्ता और संगठन का नेतृत्व किन हाथों में है। छ्त्तीसगढ़ की विधान सभा चुनाव 2018 का नेतृत्व पुरी तरह डा० रमन सिंह के हाथों में था और उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया । वे सता और संगठन पर पुरी तरह हावी थे। अतः पार्टी की बुरी तरह पराजय की पुरी की पुरी जिम्मेदारी उन्हीं की है। लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 में षडयंत्र पूर्वक प्रदेश. के सभी 11 सासदों का भाजपा द्वारा टिकट काटना, डा० रमन द्वारा जब रण बालि लेना ही माना जावेगा ‘ । शायद इसकी गंभीरता को समक्ष कर ही उनके साथ विगत 15 वर्षों से कदमताल करने वाले राष्ट्रीय संगठन मंत्री सौदान सिंह को किनारे कर दिया गया है।
नई दिल्ली में पार्टी के प्रभारी महासचिव अनिल जैन ने पत्रकारों के समक्ष जैसे ही यह राज खोला कि छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा संगठन ने सभी 11 सांसदों की टिकट काटकर नये लोगों को लोक सभा प्रत्यासी बनाने का प्रस्ताव दिया है, वैसे ही प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया । सभी के सभी सांसद आनन फानन में दिल्ली कूच कर गये हैं। सभी टिकटIर्थी अपना – अपना पक्ष से केन्द्रिय नेतृत्व को अवगत करा रहे हैं। इघर यह भी पता चला है कि केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश पर भाजपा प्रदेश में नये सिरे से कयावत में जुट गई है. व प्रदेश की सभी 11 लोक सभा क्षेत्रों पर नये सिरे से विचार – विमर्श कर होली के बाद कभी भी प्रव्यासियों के नामों की घोषणा कर सकती है। (बुस)
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