रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र सात मार्च से शुरू हो रहा है। राज्यपाल अनुसूईया उइके के अभिभाषण से इसकी शुरूआत होगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सत्र के तीसरे दिन 9 मार्च को वर्ष 2022-23 का वार्षिक बजट पेश करेंगे। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने बताया कि मुख्यमंत्री वर्ष 2021-22 का तीसरा अनुपूरक बजट रखेंगे। अनुपूरक बजट पर चर्चा और 8 मार्च को परित किया जाएगा। 8 मार्च को ही राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा प्रस्तावित है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने शनिवार को पत्रकारों से चर्चा में बताया, इस बार विधायकों ने एक हजार 682 सवाल पूछे हैं। इनमें से 854 तारांकित और । 828 सवाल अतारांकित श्रेणी के हैं। अब तक ध्यानाकर्षण की 114 सूचनाएं मिल चुकी हैं। 10 प्रस्ताव काम रोककर तुरंत चर्चा की मांग के हैं। वहीं अविलंबनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा की मांग वाली चार सूचनाएं भी विधानसभा सचिवालय पहुंची हैं। वहीं अब तक एक विधेयक राज्य सरकार की ओर से विधानसभा सचिवालय को मिली है। विधायकों ने 7 अशासकीय संकल्प की सूचना भी भेजी है। बजट पेश करने के बाद 11 मार्च से विभागवार चर्चा शुरू होगी जो 23 मार्च तक चलेगी।
विधानसभा चुनावों की वजह से छोटा रखा सत्र
बजट सत्र को छोटा रखने से जुड़े एक सवाल पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा, अधिकतर विधायकों की ड्यूटी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में लगी थी। इसी वजह से सत्र को छोटा रखा गया है। वहां विधायकों की व्यस्तता की वजह से सत्र फरवरी से शुरू होने की जगह मार्च में होगा।
सवाल-जवाब की प्रक्रिया बदली
विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी होने के बाद विधायक, विधानसभा के जरिए विभागों से लिखित सवाल पूछते हैं। इसके लिए एक तय प्रारूप में सवाल लिखकर देने होते हैं। विधानसभा इन प्रश्नों को छांटकर संबंधित विभाग को जवाब के लिए भेजती है। वहां से जवाब आने के बाद इनको छापा जाता है। इस साल से यह प्रक्रिया बदल दी गई है। विधायकों से ऑनलाइन सवाल मंगाए गए। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, पहली बार ही 90 प्रतिशत सवाल ऑनलाइन ही मिले हैं। सवाल छांटने के बाद विधानसभा ने ऑनलाइन ही उसे विभागों को भेज दिया। विभाग ने ऑनलाइन ही उसका जवाब भेज दिया। मुद्रण करने भी ऑनलाइन भेजा गया।
पेपरलेस प्रणाली से हर साल बचेंगे 58 पेड़
उन्होंने बताया, सदन की कार्रवाई में अब हर साल 58 पेड़ बचेंगे। वहीं पर्यावरण में करीब 10 टन कॉर्बनडाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम होगा। डॉ. चरणदास महंत विधानसभा में इस सत्र से शुरू हुई सवाल-जवाब की ऑनलाइन प्रणाली के बारे में बात कर रहे थे। उन्होंने बताया, पेपरेलस प्रणाली के प्रभाव पर उन्होंने आईआईटी खड़गपुर के पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग से एक अध्ययन कराया है। उसकी प्रारंभिक रिपोर्ट आ गई है। इसके मुताबिक पिछले आठ सालों में विधायकों ने 36 हजार 650 सवाल लगाए हैं। यानी औसतन हर साल 4 हजार 550 सवाल पूछे गए हैं। प्रश्न पूछने से उसका उत्तर आने के प्रत्येक चरण में करीब 100 पेज का उपयोग संभावित है। ऐसे में सालाना चार लाख 55 हजार पेज खर्च होते हैं। अगर यह खर्च रुकता है तो करीब 2.2 टन कागज की बचत होगी। इसकी वजह से हर साल 9.68 टन लकड़ी या 58 पेड़ कटने से बच जाएंगे। कागज बनाने की प्रक्रिया में लगने वाले एक लाख लीटर पानी की बचत होगी। वहीं इतनी बिजली बच जाएगी जितनी 73 घरेलू रेफ्रीजरेटर को एक साल तक चलाने के लिए काफी है। आईआईटी के अध्ययन में बताया गया है, इस पूरी प्रक्रिया से हर साल 9.9 टन कॉर्बनडाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी।
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