November 22, 2024
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रायपुर :  छत्तीसगढ़ में रमन सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2018 में मनरेगा मजदूरों को निशुल्क टिफिन देने की योजना बनाई गई थी। योजना के तहत मजदूरों को वितरित करने सरकार ने 9 लाख 21 हजार से अधिक टिफिन की खरीदी की थी। इसमें से 7 लाख 38 हजार 951 टिफिन का वितरण किया गया था। खरीदे गए टिफिन में से लगभग 1 लाख 81 हजार का वितरण नहीं किया जा सका। बचे हुए टिफिन 14 जिलों के जनपद पंचायतों के गोडाउन में डंप हैं। प्रति टिफिन 262 रुपए की दर से खरीदे गए थे, इस हिसाब से अभी 50 लाख 42 हजार रुपए के टिफिन नहीं बंट पाए हैं।
तात्कालीन भाजपा सरकार द्वारा मनरेगा के तहत पिछले तीन सालों में किसी भी साल लगातार 30 दिन तक काम करने वाले मजदूरों को टिफिन देने की योजना बनाई गई है। राज्य सरकार ने अगस्त 2018 में योजना की शुरुआत कर जनपद पंचायतों के माध्यम से इसका वितरण करने की योजना बनाई थी। टिफिन वितरण योजना पर लगभग 20 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया गया था। बाद में श्रमिकों की संख्या को देखते हुए इस पर सवा 24 करोड़ खर्च कर दिए गए। पूर्व सरकार ने टिफिन के लिए नागपुर की कंपनी से टेंडर के माध्यम से खरीदी की थी। योजना के अंतर्गत 24 करोड़ 23 लाख रुपए की टिफिन खरीदी की गई थी। सप्लायर कंपनी को 23 करोड़ 60 लाख का भुगतान भी दिया जा चुका है। सभी जनपदों को मजदूरों की संख्या के आधार पर टिफिन की सप्लाई भी कर दी गई थी। इसी दौरान नवंबर माह में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने और आचार संहिता लगने की वजह से राज्य सरकार ने इसका वितरण रोक दिया। तब से लेकर अब तक इसके संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।
इन जनपद पंचायतों में डंप टिफिन
जिन जिलों में टिफिन डंप पड़े हैं, उनमें जशपुर जिले के जनपद पंचायत बगीचा, जशपुर, कांसाबेल, पत्थलगांव, दुलदुला, मनोरा, कुनकुरी और फरसाबहार के स्टोर रूम रखा गया है। कोरिया, बिलासपुर, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, मुंगेली, कोरबा, गरियाबंद, बलौदाबाजार, महासमुंद जिले के बागबहरा और बसना जनपद में ग्राम पंचायत सचिव के पास रखे गए हैं। राजनांदगांव, बालोद, बस्तर, कोंडागांव ओर दंतेवाड़ा की जनपद पंचायतों में रखे गए हैं। इनमें राजनांदगांव में 43 हजार, मुंगेली में 40 हजार, बलौदाबाजार में 31 हजार और जशपुर में करीब 25 हजार से ज्यादा टिफिन डंप पड़े हैं।
वितरण का निर्णय अभी नहीं : सिंहदेव
पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव के अनुसार नई सरकार आने के बाद योजना के टिफिन जहां थे, वहीं रखे हुए हैं। अभी इसके वितरण के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। यह देखा जा रहा है कि जो टिफिन बचे हैं, उनका भुगतान हुआ है या नहीं।

गुणवत्ता हीन टिफिन में लगी जंग :

गोदाउन में टिफिन रखी है, उस समय चुनाव पास थी। असल में चुनाव में फायदा लेने की मनसा समझ आ रही थी। निर्वाचन आयोग ने इन्हीं टिफिन रखे गोडाउन को सील किया था क्योंकि टिफिन क्वालिटी खराब थी इसलिए टिफिन में जंग लग गया और कुछ टिफिन खराब हो गए। पूर्व सरकार  रमन सिंह के कार्यकाल का मामला ,  किस प्रकार मजदूरों के नाम करोड़ों का टिफिन खरीदा गया और नागपुर की कंपनी को फायदा पहुंचाया गया

HNS24 NEWS

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