रायपुर/28 दिसंबर 2021। राष्ट्रपिता का अपमान करने वाले पाखंडी कालीचरण के द्वारा अपने किये पर पछतावा नहीं होने पर प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि स्पष्ट है कालीचरण भाजपा और आरएसएस का एजेंट है। वह छत्तीसगढ़ शांति प्रिय माहौल को खराब करने के उद्देश्य से ही छत्तीसगढ़ आया था। आरएसएस भाजपा का मूल एजेंडा अंग्रेजो के चाटूकार को सावरकर को महान बताने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो को अपमानित करने की रही है। भाजपा से जुड़े नेता भी कई बार इस प्रकार का दुस्साहस कर चुके है। साक्षी महाराज, प्रज्ञा ठाकुर भी नाथूराम का महिमामंडन किया था। 17 दिसंबर को उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में जिस प्रकार की वैमनस्यता फैलाई थी। उसका ही दूसरा रूप कालीचरण के भाषण में दिखा।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी पिछले कुछ महिनों से छत्तीसगढ़ में जो धार्मिक विद्वेष और सांप्रदायिकता के एजेंडे को लेकर चल रही है। कालीचरण भाजपा आरएसएस के उसी एजेंडे को बढ़ाने का काम धर्म संसद से कर रहा था। कवर्धा में सांप्रदायिक तनाव को भड़का कर उसको पूरे प्रदेश में विस्तारित करने की भाजपा की चाल विफल हो चुकी है। भाजपा को झूठे धर्मांतरण के मुद्दे को भी राज्य की जनता ने नकार दिया, जब भाजपा कालीचरण जैसे पाखंडी साधु को आगे कर राज्य के गंगा जमुनी संस्कृति पर प्रहार करने का प्रयास किया। कालीचरण भाजपा आरएसएस की विध्वंस सोच का प्रतिबिंब भी, तभी उसने राष्ट्रपिता के हत्यारे को नमस्कार करता है तथा भाजपा ऐसे अधर्मी को अप्रत्यक्ष तौर पर बचाव कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पाखंडी कालीचरण को संत कहना संत समाज की अपमान है। कोई व्यक्ति सिर्फ शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से यदि संत नहीं बन जाता, शिव तांडव स्त्रोत की रचना तो दशानन रावण ने किया था। जो सृष्टि का सबसे बड़ा अधर्मी माना जाता है। कालीचरण ने राष्ट्रपिता के लिये अभद्र और अशोभनीय शब्दों का प्रयोग कर तथा राष्ट्रपिता के हत्यारे नाथूराम वंदन करके यह बता दिया कि वह मानसिक रूप से विकृत व्यक्ति है जिसे भाजपा और आरएसएस के लोग साधु के रूप में महिमामंडित कर देशभर में घुमा कर अपने सांप्रदायिक एजेंडे को प्रचारित करवा रही है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि धर्म संसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लिये व्यक्त किये गये अभद्र शब्द सिर्फ गांधी जी का अपमान नहीं यह भारत की आजादी की लड़ाई के महान सेनानियों का अपमान है। गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन हजारो हजार सेनानियों के प्रतीक है। जिन्होंने भारत की आजादी के लिये अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था। ऐसे रामभक्त थे महात्मा गांधी अंतिम समय में भी उनके मुंह से हे राम ही निकला था। गांधी के हत्यारे गोडसे को प्रणाम करने वाला व्यक्ति चाहे भगवा ध्वज लेकर नारे लगाये या भगवा पहन कर शिव स्त्रोत का वाचन करें वह सच्चा हिन्दू नहीं हो सकता।