पाखड़ धान की ख़रीदी से मना करना किसान विरोधी रवैया, प्रदेश सरकार समितियों और किसानों में टकराव पैदा कर अराजकता बढ़ा रही : डॉ. रमन
HNS24 NEWS December 21, 2021 0 COMMENTSरायपुर। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि धान ख़रीदी केंद्रों में पाखड़ (भीगा) धान की ख़रीदी से मना किया जाना प्रदेश सरकार के किसान विरोधी रवैए का परिचायक है, जिसकी कटु निंदा करते हुए प्रदेश भाजपा मांग करती है कि प्रदेश सरकार किसानों का पूरा धान अपने मापदंडों को शिथिल करके ख़रीदे और अपनी हठवादिता के पाप का प्रायश्चित कर किसानों को राहत प्रदान करे। डॉ. सिंह ने कहा कि इस तरह प्रदेश सरकार मैदानी स्तर पर काम कर रही समितियों और किसानों में टकराव पैदा करके वातावरण को अराजक बनाने का काम कर रही है।
भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने धमतरी ज़िले के भखारा क्षेत्र के धान ख़रीदी केंद्र कुरमातराई वाकये का ज़िक्र कर कहा कि वहाँ किसानों का पाखड़ धान खरीदने से समिति के लोगों व अधिकारियों-कर्मचारियों ने मना करके किसानों की प्रताड़ना का काम किया है, जिससे किसानों में आक्रोश बढ़ा और ख़ूब हंगामा हुआ। डॉ. सिंह ने कहा कि किसानों के धान की ख़रीदी यदि 01 नवम्बर से प्रदेश सरकार ने शुरू की होती तो किसानों की फसल यूँ बर्बाद नहीं होती और खेती की उनकी लागत नहीं बढ़ती। लेकिन सत्तावादी अहंकार में चूर प्रदेश सरकार किसानों के प्रति पूरी तरह संवेदनहीन हो चली है और उसने अपनी ज़िद के चलते किसानों को हलाकान कर दिया। डॉ. सिंह ने कहा कि दूसरे प्रदेश में जाकर छत्तीसगढ़ का ख़ज़ाना अपनी पैतृक सम्पदा मानकर लुटाने की ओछी राजनीति करने में मशगूल मुख्यमंत्री बघेल को छत्तीसगढ़ के किसानों की कोई फ़िक़्र ही नहीं है, जबकि भाजपा लगातार प्रदेश सरकार को आगाह करती रही है कि असमय बारिश से किसानों को हुए नुक़सान की भरपाई करने की ज़िम्मेदारी प्रदेश सरकार अपने ऊपर ले और सारे मापदंडों को शिथिल करके किसानों का पूरा धान बिना कोई ना-नुकुर किए प्राथमिकता के आधार पर ख़रीदे। डॉ. सिंह ने कहा कि अब ख़रीदी केंद्रों में धान बेचने पहुँच रहे किसानों को टका-सा ज़वाब देकर धान नहीं ख़रीदा जाना किसानों के साथ घोर अन्याय है। मुख्यमंत्री बघेल के हठीले रवैए के चलते ही धान ख़रीदी 01 नवम्बर से शुरू नहीं की गई और बेमौसम बारिश के चलते किसानों की खड़ी और कटी हुई फसल पानी में भीग गई, जिसके कारण एक तो किसान अपनी फसल को बर्बाद होते देखकर ख़ून के आँसू रोने के लिए विवश था और अब सरकार किसानों का वह पाखड़ धान ख़रीदने से मना कर किसानों को संकट में डाल रही है।