अरुण गुप्ता : सीधी।प्रदेश में कोरोना लगातार बढ़ता ही जा रहा है जिसको लेकर प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान व्यवस्था दुरस्त और समुचित उपचार के निर्देश दिए हैं लेकिन सीधी का जिला चिकित्सालय खुद ही कई महीनों से बीमार पड़ा है जिसको अब अस्पताल को ही उपचार की जरूरत है। वही जब अस्पताल खुद बीमार है तो मरीजों का कैसा उपचार होगा यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है जब से सिविल सर्जन डॉक्टर एसबी खरे को बनाया गया है तब से अस्पताल खुद ही अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। एक तरफ कोरोना अपनी कहर बरपाने को तैयार है तो दूसरी तरफ जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन की लापरवाही रवैया के कारण जिले के कोने-कोने से आने वाले मरीजों पर कहर बरपने के लिए तैयार हैं पूरे मामले को लेकर हेल्थ कमिश्नर जांच कर कार्रवाई करने के साथ-साथ व्यवस्था दुरुस्त करने का आश्वासन दिया है तो वही हेल्थ डायरेक्टर भोपाल ने भी जांच कर कार्रवाई करने का आश्वासन दिए हैं। इस पूरे मामले पर प्रदेश के मुखिया सीएम शिवराज सिंह चौहान से संपर्क बनाने की कोशिश की गई है लेकिन खबर लिखे जाने तक संपर्क नहीं हो पाया है।
यह पूरा मामला
सीधी जिला चिकित्सालय अपनी बदहाली एवं दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है जिले में कड़ाके की ठंड पड़ रही है लेकिन अस्पताल प्रबंधक के द्वारा मरीज को बेड में बिछाने के लिए चादर से लेकर ठंड में मरीज के शरीर को ढकने के लिए कपड़े तक नहीं दिया जा रहा है। मरीजों ने स्वतंत्र मत से बातचीत में अस्पताल प्रबंधक पर आरोप लगाया कि यहां कपड़ा देना तो बड़ी बात है यहां सही से उपचार भी नहीं हो पा रहा है आरोप है कि मरीज को अगर दवा के रूप में बाटल लगा है और वह खत्म हो गया है या फिर बंद हो गया है उसके लिए अगर बुलाने जाओ तो स्टाफ के द्वारा अभद्रता की जाती है वहीं अगर मामले को लेकर सिविल सर्जन से शिकायत की जाती है तो सिविल सर्जन मानवता को दरकिनार रखते हुए सीधे अन्य जगह रेफर कर दिया जाता है। जहां उपचार की बजाय परेशानी मिलती है। मरीजों ने बताया कि एक वॉर्ड में किसी एक व्यक्ति को ही चादर बिछाने के लिए तथा ओड़ाने के लिए कपड़ा दिया जाता है उसमें भी या तो किसी नेता का रिश्तेदार होता है या फिर सिविल सर्जन का खास होता है बाकी कोई आम आदमी को यहां कोई पूछने या समुचित उपचार की व्यवस्था करने वाला नहीं है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी अच्छी है।
सिविल सर्जन के प्रति डॉक्टरों में आक्रोश
सिविल सर्जन डॉक्टर एसबी खरे की तानाशाही रवैया मरीजों के कारण जिला चिकित्सालय में तैनात डॉक्टरों को भी भुगतना पड़ता है जहां सभी डॉक्टर सिविल सर्जन के खिलाफ आक्रोशित हो गए हैं। आरोप है कि सिविल सर्जन मनमाना तरीके से डॉक्टरों को प्रताड़ित करता है तथा मनमानी तरीके से डॉक्टर ड्यूटी करता है इसके बावजूद भी हाजिरी रजिस्टर मे अफसेंट ( गैरहाजिर) कर देता है। आरोप यह भी है कि सिविल सर्जन की बात नहीं मानने पर मानसिक प्रताड़ित भी किया जाता है। डॉक्टरों ने सिविल सर्जन डॉक्टर एसबी खरे पर आरोप लगाते हुए कहां की सरकारी कमरा भी डॉक्टर को ना देकर सिविल सर्जन सिर्फ अपने चहेतों को दिया है नाम नहीं छापने की शर्त पर एक स्वास्थ्य कर्मी ने कहा कि सिविल सर्जन 50 हज़ार रुपये लेकर सरकारी कमरा येलार्ट किया है। वही जिन्होंने पैसा नहीं दिया उन डॉक्टरों को आज तक कमरा नसीब नहीं हो पाया है। सिविल सर्जन यहीं नहीं रुका बल्कि जिन स्टाफ नर्स का घर सीधी में है उनको सरकारी कमरा पैसे के दम पर दिया गया है जो दूरदराज के स्टाफ नर्स तथा डॉक्टर हैं उनको कमरा मुहैया नहीं हो पाया है जिसको लेकर सिविल सर्जन के प्रति काफी आक्रोश है। वहीं सिविल सर्जन हमेशा अस्पताल से गायब रहता है तथा अचानक अस्पताल में आकर डॉक्टरों को धमकाने लगता है बताया गया कि सिविल सर्जन के द्वारा रजिस्टर में भी हेरफेर करते हुए हाजिरी की बजाए रजिस्टर में उपस्थिति टूर दिखाकर दर्शा दिया जाता है।
कोरोना को लेकर है सुस्त
पूरे मध्यप्रदेश में बढ़ते कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए तथा मरीजों को समुचित उपचार के लिए प्रदेश के मुखिया ने निर्देशित किया है लेकिन जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन के द्वारा कोई भी तैयारी नहीं की गई है नॉर्मल उपचार समय पर नहीं मिल पा रहा है तो कोरोनावायरस से जिला कैसे सुरक्षित होगा तथा मरीजों का उपचार कैसे होगा यह एक बड़ा सवाल है। वही बात करें अगर कोविड-19 केयर सेंटरों की तो गंदगी का अंबार लगा हुआ है और तो और जगह-जगह टप टप पानी गिर रहा है। राजनीतिक संरक्षण प्राप्त सिविल सर्जन पर क्या कार्रवाई होगी और व्यवस्था में क्या सुधार होता है यह बड़ा सवाल है हालांकि पूरे मामले पर हेल्थ कमिश्नर समेत हेल्थ डायरेक्टर ने भी जांच कर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
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