November 22, 2024
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चित्रा पटेल : रायपुर : छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान में से 17 लाख क्विंटल से अधिक धान की कमी समितियों के मिलान में पाई गई है। हिसाब से देखा जाए तो करीब 330 करोड़ से अधिक का नुकसान समितियों में धान की सूखत के कारण हो रहा है। समितियों ने परिवहन में सुस्ती के चलते इस नुकसान की भरपाई करने की मांग की है। समितियों को मानना है कि परिवहन का आदेश विपणन संघ द्वारा दिया जाता है, समिति स्तर पर इसे लेकर काेई अधिकार नहीं है। राज्य सरकार एक ओर 1 दिसंबर से धान खरीदी की तैयारी में जुटी है, वहीं समितियों के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। ऐसे में धान खरीदी के पहले कोई हल निकलने पर ही तैयारी हो पाएगी।
प्रदेश के 2058 समितियों में सूखत को लेकर खासा बवाल मचा हुआ है। धान खरीदी के बाद इसका मिलान करने पर खरीदे गए धान में से 1 लाख 70 हजार मीट्रिक टन सूखत से विपणन संघ सकते में है। समिति स्तर पर सूखत में 1 प्रतिशत हानि को मान्य करती है। मार्कफेड ने लगभग सभी समितियों में धान के उठाव का मिलान पूरा कर लिया है। यहां पर सूखत और अन्य कारणों से स्टॉक में कमी पाई गई है। धान का परिवहन मार्कफेड को खरीदने के 72 घंटे में करना था। परिवहन में कई महीनों की देर हुई। गर्मी में मार्च से अप्रैल मई तक धान सूखकर कम हो गया। इस बीच कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद परिवहन प्रभावित हुआ। जून से बारिश शुरू हो गई, जिससे समितियों में रखा धान भीगा। कहीं-कहीं पर खराब भी हुआ। धान अगर भीगकर खराब हो या अन्य वजहों से, इसे सूखत के रूप में दर्ज किया जाता है। धान की सूखत 330 करोड़ रुपए की चपत लगी है। समितियों से वसूली के लिए नोटिस जारी किया गया है।
इन जिलों में धान की अधिक सूखत
प्रदेश की सभी सोसायटियों में धान की मात्रा में कमी आई है। इनमें से सबसे अधिक कमी राजनांदगांव में 1 लाख 77 हजार क्विंटल, बेमेतरा में 1 लाख 92 हजार क्विंटल, बलौदाबाजार 1.15 लाख क्विंटल, महासमुंद 1.41 लाख क्विंटल, बालोद में 90 हजार क्विंटल, बिलासपुर में 89 हजार क्विंटल, कांकेर में 60 हजार क्विंटल और रायपुर की समितियों में 68 हजार क्विंटल से अधिक कमी पाई गई है। जिन जिलों में धान की सूखत में कोई कमी नहीं आई है, उनमें दंतेवाड़ा, कोरबा, जशपुर सहित कई अन्य जिले शामिल हैं।
इस वजह से नुकसान सहकारिता विभाग के अधिकारियों के अनुसार धान की बर्बादी का कारण उपार्जन नीति में गड़बड़ी को माना जाता है। पूर्व मुख्य सचिव ने धान खरीदी केंद्रों से मार्कफेड के संग्रहण केंद्र में लाने की बजाय सीधे मिलर को देने की व्यवस्था लागू की थी। दावा किया गया कि ऐसा करने से मार्कफेड को करोड़ों का परिवहन व्यय बचेगा। इसकी व्यवस्था तो कर दी गई, लेकिन खरीदी केंद्रों से ही धान का परिवहन नहीं हो सका। वहां धान सूखने, सड़ने और अन्य कारणों से नुकसान सहना पड़ रहा है।
खाद्य सचिव ने कहा, सरकार लेगी निर्णय
मामले में खाद्य सचिव टीपी वर्मा से समितियों के हड़ताली कर्मचारियों ने शनिवार को मुलाकात कर सूखत के नुकसान की भरपाई शासन से करने की मांग रखी। खाद्य सचिव ने कहा, शासन के समक्ष इसे रखा जाएगा, इसमें से कितनी राशि दी जाएगी, कैबिनेट की बैठक में 22 नवंबर को ही स्पष्ट होगा। कर्मचारियों ने उनसे कहा कि खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने वर्चुअल बातचीत में आश्वासन दिया था कि शार्टेज की राशि शासन द्वारा वहन की जाएगी। सचिव ने कहा, कैबिनेट में इस प्रस्ताव को रखा जाएगा। उन्होंने धान खरीदी की तैयारी के लिए हड़ताल खत्म करने का आव्हान किया। कर्मचारी संघ इस बात पर अड़ा है कि मांग पूरी होने तक आंदोलन खत्म नहीं होगा।

HNS24 NEWS

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