November 25, 2024
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चित्रा पटेल : रायपुर। झीरम हमले की न्यायिक जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपे जाने के बाद से इसे लेकर सियासत जारी है। मामले में राज्य सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों ने जहां मामले की जांच को आवश्यक बताया, वहीं इसे लेकर विपक्षी हमलों पर पलटवार किया। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और कृषिमंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, झीरम हमला राजनैतिक हत्याकांड है। इसके पीछे कौन है, यह जांच से सामने आएगा। झीरम नरसंहार तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के माथे पर लगा कलंक का टीका है। रमन सिंह इस कलंक से मुक्त नहीं हो सकते। बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर इससे बच नहीं सकते। राजीव भवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में मंत्रियों ने कहा, झीरम की जांच से डॉ. रमन सिंह इतने भयाक्रांत क्यों है? हम चाहते हैं कि इस षड्यंत्र के पीछे कौन है सामने आए? डॉ. रमन सिंह और भाजपा सौ बार असत्य बोल कर, मनगढंत आरोप लगाकर कुछ न कुछ छुपाने का कार्य कर रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि पांच दिन बाद रिपोर्ट सरकार के पास आई है। क्या ये रिपोर्ट लीक हुई है? भाजपा इस रिपोर्ट को लेकर जो कह रही है, उसकी जानकारी कैसे आई?
मंत्रियों ने कहा, 28 मई 2013 को जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अगुवाई में जांच कमेटी बनी। उस दौरान 3 महीने में रिपोर्ट देने कहा गया, लेकिन तय सीमा में जांच नहीं हो पाई। लगातार तारीख पर तारीख बढ़ता गया। 20 बार तारीख बढ़ाया गया। जांच आयोग ने 23 सितंबर को राज्य सरकार को पत्र लिखकर मांग की कि आयोग का कार्यकाल बढ़ाया जाए। अचानक 6 नवंबर को आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को दे दी। आयोग ने नियम के विपरीत रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी हैं। जबकि रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपना था। भाजपा नेता कांग्रेस नेताओं को कहते हैं कि वो डर रहे हैं। हम डरेंगे क्यों? हमने तो अपने बड़े नेताओं को इस कांड में खोया है।
खुले लिफाफे में भेजा गया रिपोर्ट
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, झीरम घाटी कांड की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपने के बाद भाजपा को लगता है कि बड़ा मामला हाथ लग गया। डी. पुरंदेश्वरी और डॉ. रमन सिंह कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगा रहे हैं कि हम कुछ छुपाना चाहते हैं? हम बार-बार कह रहे हैं और आज भी कह रहे हैं षड्यंत्र हुआ है। इस राजनीतिक हत्याकांड के पीछे षड्यंत्र में कौन शामिल है, सामने आना चाहिए। 11 नवंबर को राजभवन से सीएम सचिवालय रिपोर्ट भेजी गई तो लिफाफा खुला था। इससे जांच रिपोर्ट लीक होने की आशंका बलवती होती है। मुख्यमंत्री सचिवालय ने खुला लिफाफा लेने से इंकार किया तो लिफाफा सील बंद होकर पहुंचा, लेकिन हम तो चाहते हैं कि इस झीरम के षडयंत्र के पीछे किसका हाथ हैं? वह सामने आना चाहिए।
एक माह में रिपोर्ट कैसे पूरी कर ली
श्री चौबे ने कहा, गरियाबंद की घटना के बाद नंदकुमार पटेल की सुरक्षा क्यों नहीं बढाई गई? पूरी भाजपा इस मामले से दूर नहीं हो सकती हैं। उन्होंने डॉ. रमन सिंह से पूछा कि आखिर वे इतना क्यों डर रहे हैं? जांच आयोग में 2 सदस्य बढ़ाकर जांच का कार्यकाल बढ़ाया तो आखिर बीजेपी को इससे दिक्कत क्या है? 6 नवंबर को झीरम की रिपोर्ट आयोग ने राज्यपाल को सौंपा। जबकि 23 सितंबर को जांच अधूरी होने की बात कही गई थी। आयोग ने 1 महीने में रिपोर्ट कैसे पूरी कर ली? इस पूरे मामले पर बीजेपी राजनीति क्यों कर रहीं है?
राजभवन को राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए
मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, राजभवन को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए। जांच रिपोर्ट राजभवन को नहीं, बल्कि सीधे रिपोर्ट राज्य सरकार के पास आना था। जांच आयोग से भाजपा को आपत्ति क्यों है? केंद्र सरकार की एनआईए जांच क्यों नहीं कर रही हैं? केंद्र सरकार जांच को रोकने का प्रयास कर रही है। हमारा उद्देश्य यही हैं कि जांच सही हो, इसलिए हमने आयोग बनाया है।

HNS24 NEWS

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