जीएसटी कलेक्शन में छत्तीसगढ़ को धान, काेयला और लौह से 2500 करोड़ का नुकसान
HNS24 NEWS November 8, 2021 0 COMMENTSरायपुर : राजस्व कमी की पूर्ति के लिए कर की दरों में युक्तियुक्तकरण समेत व्यवसायी और शासन के मध्य सामंजस्य पर वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों से विस्तृत चर्चा की गई। चर्चा के दौरान छह सत्रों में विभिन्न व्यवसायों से जुड़े कारोबारियों ने कई सुझाव दिए। रविवार को सिविल लाइंस स्थित नवीन विश्राम भवन में वाणिज्यिक कर मंत्री एवं जीएसटी कॉउंसिल सदस्य टीएस सिंहदेव भी इसमें शामिल हुए। जीएसटी मंत्री ने व्यावसायिक संगठन के प्रतिनिधियों से कहा, कोरोना के चलते अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव पड़ा है, इस दौरान जीएसटी और टैक्स कलेक्शन में छत्तीसगढ़ को बड़ा नुकसान हुआ। राज्य को अकेले 3 वस्तुओं धान, कोयला और लौह में 2500 करोड़ का नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय मे पेट्रोलियम प्रोडक्ट भी जीएसटी के दायरे में आ सकते हैं। जीएसटी में आने के बाद अगर राज्य सरकार को अपने 25 प्रतिशत वैट के हिसाब से आमदनी होनी है, अगर 28 प्रतिशत जीएसटी में रखा गया तो राज्य सरकार को 14 प्रतिशत ही राजस्व मिलेगा तो बाकी 14 प्रतिशत केंद्र सरकार रखेगी। हर तरफ से राज्यों को ही अपनी व्यवस्था देखनी पड़ेगी। संतुलन बनाने राज्य के लिए काम करने में बहुत ज्यादा सीमाएं रखनी पड़ेंगी। जीएसटी में आने के बाद भी छत्तीसगढ़ पर बहुत ज्यादा व्यापक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा, प्रोटक्टेड इनकम का भी प्रावधान हट जाने से छत्तीसगढ़ में जीएसटी रेजीम का बहुत विपरीत प्रभाव पड़ा है, और आने वाले समय में और पड़ सकता है।
क्षतिपूर्ति का प्रावधान हटने से घाटा
क्षतिपूर्ति का भी प्रावधान हट जाएगा तो राज्य की आय अगर हर साल 7 प्रतिशत बढ़ती है, पिछले साल की तुलना में तो 7 प्रतिशत मिलता है, वह भी नहीं मिलेगा। 9 प्रतिशत बढ़ती थी तो 5 प्रतिशत मिलता था। 14 प्रतिशत की जो गारंटी थी, वह भी नहीं मिलेगी। पहले 2 सालों में तीसरे साल में कुछ हद तक रेवेन्यू लॉस हुआ, क्षतिपूर्ति कुछ नहीं हुई। एक बड़ा कारण यह है कि छूट जो कंज्यूमर को देने की बात उठी थी, उसका पूरा भार कंज्यूमर पर ही आ रहा है। गवर्नमेंट जो रेट लगाएगी, वह कस्टमर देगा। उन्होंने कहा, अब बात यह हो रही है कि रेजीम अत्यधिक प्रोटेक्टेड इनकम का प्रावधान नहीं रह जाएगा और इस पर जीएसटी काउंसिल में चर्चा हो चुकी है।
सराफा व्यापारियों ने नियम में बदलाव के दिए सुझाव
इसके उपरांत अगले सत्र में सराफा संघ के प्रतिनिधियों ने कहा, जीएसटी आने के बाद तो व्यापारी को सुलभता मिली है, जिसमें वन टाइम टैक्स देकर सेटल हो जाता है, अन्यथा पहले अलग-अलग राज्य में अलग-अलग टैक्स देना पड़ता था। सराफा व्यापारियों में सभी लोग रिटर्न भरते हैं और एसोसिएशन लेवल पर भी अवेयरनेस ला रहे हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने सुझाव दिया कि नियमों में कुछ परिवर्तन धारा 411 और 412 को लेकर है।
पैक्ड बोतल में जीएसटी राज्य में लागू नहीं
इसके साथ ही शंकर बजाज ने कहा कि कांच की जो बोतल री-सायकिल होती है, उसमें 5 प्रतिशत टैक्स लगता है। अगर उसको पैक्ड बोतल में कन्वर्ट किया जाए तो उसका 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। यह परिवर्तन पूरे देश में यह लागू हो गए हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में लागू नहीं हुआ है। इस परिवर्तन से राज्य सरकार को लगभग 13 प्रतिशत अधिक जीएसटी संग्रहण का लाभ मिलेगा।
ये सुझाव भी आए
इसके साथ ही कैट के व्यावसायिक संगठन प्रतिनिधियों ने सुझाव दिए कि कंसंपशन दर, आयकर रिटर्न की प्रक्रिया और जीएसटी स्लैब में सरलीकरण किया जाए। प्लाईवुड एसोसिएशन ने जीएसटी स्लैब के सरलीकरण का सुझाव रखा। कंप्यूटर एसोसिएशन एवं मोबाइल एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से ऑनलाइन खरीदी एवं उस पर टैक्स की प्रक्रिया के विषय में पारदर्शिता को लेकर अपना सुझाव दिया।
धान मिलिंग को टैक्स मुक्त करें
अनाज व्यवसाय संघ व राइस मिल संघ के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव व्यक्त करते हुए कहा कि राइस मिल कस्टम मिलिंग लगभग शत-प्रतिशत छत्तीसगढ़ शासन के धान को चावल में परिवर्तित करने का काम करती है, जिसे टैक्स से मुक्त रखना चाहिए।
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