भाजपा बतायें रमन शासनकाल में नो गो एरिया हसदेव अरण्य क्षेत्र का एनओसी कैसे जारी हुआ : सुरेंद्र
HNS24 NEWS October 15, 2021 0 COMMENTSरायपुर/14 अक्टूबर 2021। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि हसदेव अरण्य क्षेत्र के मामले में राजनीति कर रहे रमन सिंह, भाजपा नेता इस मामले में बयान देने के बजाय आत्मअवलोकन करें। उनके 15 साल तक आदिवासी शोषित क्यों थे? मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तो आंदोलनरत आदिवासियों से मिलकर उनकी समस्याओं को सुन कर समाधान के आश्वासन दिये है। रमन शासनकाल में जारी एनओसी में नो गो एरिया संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी को किसके दबाव में छिपाया गया? खनन हेतु नो गो एरिया होने के बावजूद अनापत्ति क्यों दी गई? खनन केंद्र सूची का विषय है, जिस पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र की मोदी सरकार को है। हसदेव अरण्य क्षेत्र में निजी कंपनियों को बड़े पैमाने पर किए जा रहे कोल खनन की अनुमति के खिलाफ यह प्रदर्शन है। पांचवी अनुसूची के क्षेत्र में स्थानीय लोगों की सहमति के बिना केंद्र की मोदी सरकार पूंजीवाद को बढ़ावा देने अधिनायकवाद रवैया अपना रही है। आदिवासियों का प्रदर्शन केंद्र की मोदी सरकार की पूंजीवादी नीतियों के खिलाफ ही है। आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन से बेदखल करने का भाजपा और मोदी सरकार का षड्यंत्र लगातार जारी है। रमन शासनकाल में आदिवासियों के सहमति के बगैर एवं पांचवी अनुसूची क्षेत्रों के अधिकार को ताक में रखकर बस्तर की जमीन ली गई थी।
प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य और तमोर पिंगला क्षेत्र को यूपीए सरकार के दौरान तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने अति महत्वपूर्ण जैव विविधता संपूर्ण क्षेत्र घोषित करते हुए 2010 में “नो गो एरिया“ में शामिल किया था, जहां से 10 किलोमीटर की दूरी तक में माइनिंग की गतिविधियां पूरी तरह से प्रतिबंधित की गई थी। लेकिन मोदी सरकार ने आते ही नियमों को शिथिल कर चंद निजी पूंजीपतियों को कोल ब्लॉक आवंटन कर खनन की अनुमति दी है। अपने चहेते निजी पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने मोदी सरकार के द्वारा नो गो एरिया को लगातार सीमित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार और कांग्रेस सदैव आदिवासियों के साथ रही है। आदिवासियों के हित और अधिकारों के लिए लड़ती रही है। टाटा के लिए अधिग्रहित 4200 एकड़ से अधिक ज़मीन भूपेश सरकार ने वापस किया है। भूपेश बघेल सरकार ने छत्तीसगढ़ में 438000 से अधिक वन अधिकार पट्टे बांटे हैं। भूपेश बघेल के नेतृत्व में नगरीय निकाय क्षेत्र में भी वन अधिकार पट्टा बांटने वाला छत्तीसगढ़ का देश का इकलौता राज्य है। गांव, गरीब, किसान, गौ-पालन और आदिवासी भूपेश बघेल सरकार में समृद्ध हुए हैं। वहीं भाजपा और केंद्र की मोदी सरकार का फोकस केवल हम दो हमारे दो के फायदे के लिए नीतियां बनाने में लगी है। हसदेव अरण्य क्षेत्र के आदिवासियों का प्रदर्शन को मोदी सरकार और उनकी पूंजीवादी नीतियों के खिलाफ है।
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