November 22, 2024
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रायपुर, 01 सितंबर 2021/ बिलासपुर जिले के वनांचल इलाकों में वनभूमि पर वर्षों से काबिज वनवासियों को भूमि के उपयोग का मालिकाना हक देने के बाद उन्हें शासन के विभिन्न विभागों की योजनाओं से लााभान्वित किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है ताकि उनके जीवनस्तर में बदलाव आ सके और वह भी विकास की मुख्यधारा में शामिल होकर तरक्की और खुशहाली हासिल कर सके। बिलासपुर जिले में वनभूमि पट्टाधारियों की संख्या 6 हजार से अधिक है। जिला प्रशासन के पहल से अब तक लगभग साढ़े पांच हजार से अधिक वनपट्टाधारियों को विभिन्न योजनाओं के कन्वर्जेंस से लाभान्वित किया जा चुका है। पट्टे पर दी गई वनभूमि को खेती के लायक बनाने के साथ ही शासन उन्हें सिंचाई, खाद-बीज, पशुपालन, मछलीपलन जैसी आजिविकामूलक गतिविधियों से जोड़ने में लगा है। वनभूमि पट्टाधारियों को प्राथमिकता से पक्का आवास सुविधा भी मुहैया कराई जा रही है।

बिलासुपर जिले में वन अधिकार के तहत प्राप्त भूमि पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4 हजार 360 हितग्राहियों को आवास उपलब्ध हो चुका है। व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र प्राप्त करने वाले 617 हितग्राहियों के 191.350 हैक्टेयर भूमि में समतलीकरण एवं मेड़ बंधान का कार्य कराया गया है। जिसके लिए शासन द्वारा 2 करोड़ 27 लाख 38 हजार रूपए स्वीकृत किए गए। मनरेगा के कन्वर्जेंस से 80 हितग्राहियों के 40 हैक्टेयर से अधिक भूमि में बकरी पालन एवं कुक्कुट पालन के लिए शेड निर्माण किया गया।

जिले में 472 हितग्राहियों के खेतों में सिंचाई सुविधा के लिए नलकूप, कुंआ, स्टाप डेम तथा आजीविका के लिए नाडेप टांका एवं वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन हेतु 6 करोड़ 20 लाख 40 हजार रूपये स्वीकृत किए गए। सिंचाई हेतु 368 हितग्राहियो के भूमि पर डबरी निर्माण के लिए 4 करोड़ 30 लाख 56 हजार रूपये और 84 लाभार्थियो के भूमि पर कुंआ निर्माण के लिए 1 करोड़ 85 लाख 78 हजार रूपये खर्च किया गया। आजिविका के लिए 11 हितग्राहियों को उनकी भूमि में 1 लाख 54 हजार रूपए की लागत से नाडेप टांका निर्माण किया गया है तथा 9 हितग्राहियों को वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के लिए 2.5 लाख रूपए स्वीकृत किया गया। स्थायी आजीविका साधन हेतु पशुपालन, कुक्कुट एवं बकरी पालन आदि के लिए 60 हितग्राहियों के भूमि पर पक्का प्लेटफार्म निर्माण 32 लाख 40 हजार रूपए की लागत से किया जा रहा है।

HNS24 NEWS

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