November 22, 2024
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रायपुर/07 जुलाई 2021। खाद के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के झूठे एवं मनगढ़त आरोपों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि रमन मोदी का चरित्र ही किसान विरोधी है। किसानों को आय दुगुनी करने एवं स्वामीनाथन कमेटी के सिफारिश के अनुसार डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने का वादा कर तीन काले कृषि कानून लाया गया, जो किसानों के हित के विपरीत है। मोदी सरकार ने अपने किसान विरोधी नीति और नीयत को आगे बढ़ाने राज्य सरकार के द्वारा मांगी गयी लेकिन केन्द्र सरकार मांग के विपरीत कटौती कर आपूर्ति कर रही है। केंद्र सरकार किसानों के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों कर रही? केंद्र सरकार खाद आपूर्ति करने में दोहरा मापदंड क्यों अपना रही है? छत्तीसगढ़ में मांगी गयी यूरिया में कटौती कर खाद की आपूर्ति की गयी। वहीं मध्यप्रदेश को 70 प्रतिशत यूरिया, उत्तरप्रदेश में 65 प्रतिशत यूरिया की आपूर्ति की।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ में खेती किसानी करना लाभकारी हुआ है। रमन सरकार के दौरान जो किसान खेती बाड़ी से मुंह मोड़ लिये थे अब वो राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से सरकार के द्वारा कृषि क्षेत्र में सभी प्रकार के फसल उत्पादन करने वाले किसानों को दी जा रही प्रोत्साहन राशि के चलते खेती किसानी की ओर वापस लौटे है। छत्तीसगढ़ में 48 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसल की खेती होती है। जिसमें 39 लाख हेक्टेयर में केवल धान की फसल होती है। खरीफ फसलों की बुवाई का काम शुरू हो गया है। केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ को खाद मुहैया नहीं करा रही है। केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के साथ सौतेलापन जैसा व्यवहार कर रही है। केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के साथ अनदेखी कर रही है। छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार से बात ही नहीं करते।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार 11 लाख मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरको की मांग की थी। हमारे इस मांग पर केंद्र ने स्वीकृति भी दी थी। भाजपा शासित राज्यों को पर्याप्त मात्रा में खाद यूरिया दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में पर्याप्त मात्रा में खाद यूरिया दिया जा रहा है। कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ को केंद्र सरकार कम खाद यूरिया दे रही है। खरीफ 2021 के लिये राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार से मांग के बदले अब तक 4.49 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की आपूर्ति ही की गई है, जो कुल मांग का 43.87 प्रतिशत है। यूरिया के लिये 5.50 लाख मीट्रिक टन की मांग की गयी थी, जिसके 2.33 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति हुई, जो मांग का 42.38 प्रतिशत है। डीएपी 3.20 लाख मीट्रिक टन मांग के बदले 1.22 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति की गई, जो 38.40 प्रतिशत है। एनपीके के लिये 80 हजार मीट्रिक टन की मांग की गई, जिसमें 49 हजार मीट्रिक टन की आपूर्ति की गई, जो 61.57 प्रतिशत है। एमओपी के लिये 75 हजार मीट्रिक टन के बदले 44 हजार मीट्रिक टन की आपूर्ति हुई है। छत्तीसगढ़ को मांग अनुरूप उर्वरकों की आपूर्ति करने का आग्रह किया गया, लेकिन आपूर्ति नहीं की गई। अन्य प्रदेशों की तुलना में छत्तीसगढ़ को कुल आवंटन के बदले कम उर्वरकों की आपूर्ति की गई है। छत्तीसगढ़ का स्थान यूरिया आवंटन में देश में 19वां, डीएपी में 15वां स्थान है।

HNS24 NEWS

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