November 22, 2024
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अरुण गुप्ता सीधी  मध्यप्रदेश +916264644793

कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन बेहद जरूरी है कोरोना संक्रमण के इस दौर में प्रदेश सहित पूरे देश में ऑक्सीजन की भारी कमी से लोगों को जूझना पड़ा है ऑक्सीजन ना मिल पाने की वजह से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है लेकिन इस बीच ऐसे भी कुछ अधिकारी हैं जो आपदा को अवसर में बदला है। सीधी के जिला चिकित्सालय से भी ऐसा ही मामला सामने आया है जहां ऑक्सीजन खपत के संधारित रजिस्टर में कुछ भी नहीं पाया गया है वही ऑक्सीजन का खेल लंबा खेला गया है। कहने के लिए तो जांच टीम भी गठित की गई थी लेकिन वह थी जांच तक ही सीमित रह गई है दोषी अधिकारी राजनीतिक संरक्षण के दम पर बचता आ रहा है। पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन ने पत्र जारी कर जवाब मांगा है।

*एक्शन में सरकार*
पूरा मामला उन दिनों का है जब पूर्व सिविल सर्जन डॉ डीके द्विवेदी जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन हुआ करते थे पूरे जिले में हाहाकार मचा हुआ था जनता मौत की कगार पर थी कलेक्टर दौड़-धूप कर लोगों को बचाने की जुगत में थे आरोप है कि उस समय जिला चिकित्सालय के पूर्व सिविल सर्जन डॉ डीके द्विवेदी आपदा में अवसर खोज रहे थे। जानकारी के अनुसार जिला चिकित्सालय को 1.06 एमपी ऑक्सीजन होनी चाहिए जहां जिम्मेदारों ने कागजी घोड़ों को तेज गति देते हुए महीने भर के अंदर ही 2.80 एमपी खपत करने कागजी घोड़ा दौड़ा दिया है जोकि 264 परसेंट ज्यादा है। वहीं जिले में ऑक्सीजन की खपत नॉर्मल से बहुत ज्यादा हुई है। मध्यप्रदेश सरकार ने भी दोषी अधिकारियों पर एक्शन लेते हुए एक पत्र जारी किया है पत्र क्रमांक कोविड 19,21 / 3064 जारी करते हुए पूछा है कि इतनी ऑक्सीजन कहां खपत हुई है पूरे मामले पर स्वास्थ्य संचनालय के द्वारा जवाब मांगा गया है। वहीं सूत्रों की माने तो पूरे ऑक्सीजन कांड का कहीं भी संधारित रजिस्टर में जिक्र नहीं है जहां भारी अनियमितता पाई गई है। वही विश्वासनीय सूत्रों की मानें तो 1 महीने के अंदर लगभग 50 लाख रुपए का ऑक्सीजन के नाम पर वारा न्यारा किया गया है। वही 10 लाख रुपए और पेमेंट करने की कोशिश की जा रही है। स्वास्थ संचनालय पत्र के अनुसार जांच के लिए एक टीम गठित की गई थी जहां टीम में डॉक्टर रुपेश वर्मा हिमेश पाठक नागेंद्र बिहारी दुबे शामिल थे प्राप्त जानकारी के अनुसार जांच में ऑक्सीजन खपत की संधारित रजिस्टर में कुछ नहीं पाया गया है।

कई घोटाले में लंबित है कार्रवाई

उल्लेखनीय है कि जिला चिकित्सालय में ऐसे कई पूर्व में भी घोटाले हुए हैं लेकिन आज तक वह फाइल धूल खा रही है राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अधिकारियों के ऊपर कार्रवाई नहीं होने से अब सरकार सवालों के घेरे में है। रेमडेसीविर इंजेक्शन, फर्जी कोरोना रिपोर्ट जैसे बड़े मामलों में आरोपी कर्मचारियों को बचाने के लिए राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अधिकारियों के द्वारा बचाया जा रहा है नतीजा यह है कि आए दिन नित नए कारनामे सामने आते रहते हैं।

HNS24 NEWS

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