November 22, 2024
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छत्तीसगढ़ : रायपुर दिनांक08 फरवरी, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) अध्यक्ष अमित जोगी ने  कहा कि  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पहले बजट में ही सात वादाखिलाफ़ी..
– किसानों की क़र्ज़ माफ़ी को लेकर सरकार का “एक नवजात शिशु की तरह क़दम उठाना” बेहद निराशाजनक- दस दिनों में सम्पूर्ण कर्ज माफ़ी की घोषणा करने वाली सरकार की ये पहला वादाखिलाफ़ी: ₹४०,०००० करोड़ के व्यावसायिक बैंकों से लिए क़र्ज़े के विरुद्ध मात्र ₹५००० करोड़ का प्रावधान “ऊँट के मुँह में ज़ीरा।” आर॰बी॰आई॰ के अनुसार बजट में प्रदेश के कृषकों के ७२% ऋण- मध्यकालीन और दीर्घक़ालीन ऋण- माफ़ करने का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है।
– जनघोषणा पत्र के अनुरूप शराबबंदी और बेरोज़गारी भत्ता के लिए ₹१ लाख करोड़ के बजट में ₹१ का प्रावधान न करना, सरकार की दूसरी वादाखिलाफ़ी: साफ़ दिखता है कि सरकार को शराब माफ़िया ने ख़रीद लिया है।
– पुलिस कर्मियों को जीवन बीमा और साप्ताहिक छुट्टी न देना; पंचायत सचिव, कोटवार, रोज़गार सहायक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, ग्राम पटेल और रसोईया के नियमितिकरण का बजट में कोई प्रावधान नहीं रखना, सरकार की तीसरी वादाखिलाफ़ी।
– प्रदेश के ८५% उपभोक्ता ४०० यूनिट बिजली प्रतिमाह से अधिक की खपत करते हैं; उनको बिजली बिल हाफ़ का कोई फ़ायदा नहीं। हर साल २०९ करोड़ यूनिट बिजली की घटौति (डेफ़िसिट) होने के बावजूद बिजली उत्पादन क्षमता १ यूनिट भी बड़ाने का प्रावधान नहीं करना। ये सरकार की चौथी वादाखिलाफ़ी।
– स्टेट जी॰एस॰टी॰, पेट्रोल और डीज़ल पर वैट और बिजली शुल्क की वसूली में कटौती न करना, सरकार की पाँचवी वादाखिलाफ़ी। ऐसा न करके सरकार ने प्रदेश में नए उद्योगों (जो कि राज्य की अर्थव्यवस्था को सबसे ज़्यादा कर देते हैं) के खुलने का और जी॰डी॰पी॰ बड़ाने का रास्ता बंद कर दिया।
– रमन सरकार ने भूमि-अधिग्रहण की दर आधा (मार्केट दर से चार से दो गुना करने का निर्णय) कर दी थी। इसे यथावत न रखना सरकार की छटवी वादाखिलाफ़ी।
– सरकार द्वारा आउट्सॉर्सिंग नीति पर स्पष्ट रूप से रोक न लगाना, स्वास्थ एवं शिक्षा सेवाओं में २३,४५६ रिक्त पदों में भर्तियाँ न करना- सरकार की सातवी वादाखिलाफ़ी।
– LIBOR दर पर आधारित ए॰डी॰बी॰ से लिए जा रहे क़र्ज़े की तीसरी किश्त भविष्य की पीढ़ी के लिए घातक सिद्ध होगी: लगातार कमज़ोर होते रुपए की जगह डॉलर में ऋण अदायगी की शर्त के कारण सरकार को ऋण चुकाने के लिए अब लगभग ₹१७००० करोड़ अतिरिक्त ऋण लेना पड़ेगा, जो कि सरासर नाइंसाफ़ी है।
– करनी और कथनी में भारी अंतर- भूपेश करना तो बहुत कुछ चाहते थे पर उसको करने के लिए सही नीति और सही नियत का मानसिक और वैचारिक अभाव।
– आय के स्रोत के लिए सरकार पूर्णतः शराब बेचने पर निर्भर रहेगी, आय के स्रोतों की वैकल्पिक व्यवस्था के निर्माण न करना सरकार के मानसिक दिवालियापन को स्पष्ट दिखाता है। आज प्रदेश में पाए जाने वाले ४७ खनिज पदार्थों में से केवल ७ का खनन हो रहा है, बाक़ी के बारे में सरकार के पास कोई सोच नहीं।
– सरकार उपभोग-आधारित जी॰एस॰टी॰ प्रणाली लागू होने के बाद उत्पादन-आधारित छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को लगभग ₹२५००० करोड़ के सालाना घाटे की पूर्ति कैसा पूरा करेगी? -इसका कोई ज़िक्र नहीं।
– बजट में सरकार के प्रशासनिक व्यय में एक रुपए की कमी नहीं दिखती।

HNS24 NEWS

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