छत्तीसगढ़ : जिस तरह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के विरुद्ध सीबीआई का दुरुपयोग कर रहे हैं, ठीक वैसे ही “छत्तीसगढ़ का मोदी” मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी प्रदेश के प्रशसानिक और पुलिस तंत्र का दुरुपयोग अपने प्रतिद्वंदियों की राजनीतिक हत्या करने के लिए करना चाहते हैं। इसमें दोनों सफल नहीं होंगे: JCCJ
सीएम भूपेश के इन सब हथकंडों के विरुद्ध JCCJ न्यायपालिका की शरण में जाएगी क्योंकि प्रदेश में किसी “व्यक्ति का राज नहीं” बल्कि “क़ानून और संविधान का राज” चलता है।
भूपेश बघेल ने 8 अक्टूबर 2018 को घोषणा की थी कि “अंतागढ़, मूनत और पुनिया समेत सभी स्टिंग सीडीयों की जांच उच्च न्यायालय के सिटिंग जज द्वारा की जाएगी”। क्या सीएम की कुर्सी पर बैठते ही उनका न्यायापालिका से भरोसा हट गया?
JCCJ की मांग है कि पूर्व में अपनी घोषणा के अनुरूप अंतागढ़, मूनत और पुनिया सीडी की संयुक्त रूप से उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा जांच की जानी चाहिए क्योंकि प्रदेश के राजनीतिक माहौल को दूषित करने वाले इन तीनों सीडीयों के मास्टरमाइंड हमारे माननीय सीएम हैं।
छत्तोसगढ़ सरकार द्वारा न्यायपालिका की खुली अवमानना की जा रही है: मान. उच्च न्यायालय के द्वारा भाजपा प्रत्याशी की चुनाव याचिका ख़ारिज करने के ३ दिन बाद गौरेला थाने में FIR और मान. ज़िला-सत्र न्यायालय के अंतागढ़ मामले का संज्ञान लेने के ३ दिन बाद रायपुर थाने में FIR सरकार द्वारा न्यायालय के फ़ैसले को सर्वोच्च और उच्च न्यायालय की जगह थानों में चुनौती देना आपत्तिजनक और हास्यपद है।